रोहतासः 'यूं ही नहीं मिलती राही को मंजिल, एक जुनून सा दिल में जगाना होता है', इसी जज्बे से लबरेज होकर बिहार बीएमपी की महिला सिपाहियों ने जब अपनी ट्रेनिंग पूरी की तो उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा. वहीं, अपनी लाडली बेटियों को सिपाही बनते देख परिजनों की आंखों में खुशी के आंसू छलक उठे.
महिला सिपाहियों में देखा गया जोश
रोहतास के बीएमपी-2 में प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद महिला सिपाहियों का मनोबल काफी ऊंचा देखने को मिला. 1 साल की कठिन ट्रेनिंग के बाद बीएमपी-2 में प्रशिक्षण लेकर 401 महिला सिपाही बिहार के कोने-कोने में अपनी सेवा देने के लिए तैयार हैं. इनकी ट्रेनिंग पूरी होने के बाद पासिंग आउट परेड हुआ. जहां इन महिला सिपाहियों में काफी जोश था.
कड़ी मेहनत के बाद पाया मुकाम
हर विषम परिस्थितियों के लिए अपने आपको तैयार रखने का प्रशिक्षण प्राप्त कर लड़कियां काफी खुश थीं. सबसे बड़ी बात है कि सिपाही बनी ज्यादातर लड़कियां गरीब या फिर निम्न मध्यमवर्गीय परिवार से हैं. इन लोगों ने अपनी कड़ी मेहनत से यह मुकाम पाया है.

परिवार वालों में खुशी की लहर
लड़कियों में सिवान की दो सगी बहनें भी हैं. जब पासिंग आउट परेड में उनकी मां पहुंची तो दोनों बहनों ने मां को गले लगा लिया. वह कहती हैं कि गांव में लोक लाज के कारण आधी रात में ही दौड़ की प्रैक्टिस करती थी. आज बहुत खुशी हो रही है कि हमारी बेटियां सफल हो गई. दोनों बहनों के भाई इंद्रजीत भी काफी खुश थे.

देश सेवा का लिया प्रण
वहीं, ट्रेंड महिला सिपाही पल्लवी और पूजा कहती हैं कि 1 साल की ट्रेनिंग के दौरान यहां अपनों जैसा प्यार मिला है. इस जगह और यहां के लोगों को हम लोग हमेशा याद करेंगे. हम लोगों ने देश सेवा की कसम खाई है. उसे मरते दम तक निभाएंगे.