रोहतास: बिहार की बहादुर बेटियों के किस्से कहानियां तो आपने बहुत सुनी होगी. लेकिन हम जिन बहादुर बेटियों की बात रहे हैं, उनसे अब अपराधी, नक्सली तो क्या? आतंकवादी भी मुकाबला करने के लिए 10 बार सोचेंगे. रोहतास के डेहरी ऑन सोन के बीएमपी 2 ( Training Of Women Commandos in BMP 2 Dehri On Sone) के ग्राउंड में अपने कौशल का बिहार की बेटियां प्रदर्शन कर रही हैं. बिहार की पहली कमांडो जो महाराष्ट्र से विशेष कमांडो ट्रेनिंग लेकर लौटी हैं और अब दुश्मनों के दांत खट्टे करने के लिए तैयार हैं.
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विशेष कमांडो ट्रेनिंग: दअरसल बिहार के विभिन्न बीएमपी कैंप से विशेष कमांडो ट्रेनिंग लेकर महाराष्ट्र के मुतखेड से लौटी 92 कुशल प्रशिक्षित महिला कमांडो अब बिहार में अपराधियों और नक्सलियों के लिए काल बनकर आई हैं. पहली बार इस तरह के पैरामिलिट्री ट्रेनिंग लेकर लौटी इन बेटियों के जज्बे को देखकर ऐसा लगता है कि, आने वाले दिनों में बिहार के रोहतास में अपराधी (Crime In Rohtas) इन बेटियों के खौफ से पनाह मांगेंगे.
अपराध पर लगाम लगाएंगी महिला कमांडो: डेहरी ऑन सोन के बीएमपी 2 के ग्राउंड में ये वीरांगनाएं अपने कौशल को प्रदर्शित कर रही हैं. महाराष्ट्र में मिलिट्री फौज की तरह ट्रेनिंग करने के बाद यह बेटियां लौटी हैं जिनके हाथों में इंसास राइफल मानव खिलौनों की तरह है. यह महज 30 सेकेंड के अंदर अपने कई दुश्मनों को एक झटके में समाप्त कर सकती हैं. महिला कमांडोज को हर तरह की बुनियादी ट्रेनिंग दी गई है ताकि विषम परिस्थितियों में भी अपराधियों नक्सलियों और आतंकवादियों से लोहा ले सकें. यह शारीरिक और मानसिक दोनों स्तर से मजबूत बन कर लौटी हैं.
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स्पेशल ट्रेनिंग कर बनीं सक्षम: खड़ी दीवार पर रस्सी के सहारे चढ़ने से लेकर एक बिल्डिंग से दूसरे बिल्डिंग पर तक रस्सी के सहारे ये आसानी से जा सकती हैं. इतना ही नहीं ऊंची दीवार फांदना, पाइप के अंदर से निकलना, कटीले तार से बचकर भागना, यह सब कुछ बड़ी आसानी से यह स्पेशल कमांडो कर सकती हैं. साथ ही बंधक को छुड़ाने के लिए इन लोगों ने 'डेमो' का भी प्रदर्शन किया और लोगों को बताया कि किसी भी विकट परिस्थिति का सामना करने के लिए ये सभी पूरी तरह से सक्षम हैं.
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"हर लड़की को इस क्षेत्र में आना चाहिए. हम महाराष्ट्र गए तो वहां हमें कई तरह की ट्रेनिंग दी गई. हम अब अपने आप को प्रोटेक्ट कर सकते हैं साथ ही दूसरों को भी सुरक्षित कर सकते हैं. जो महिलाएं अपने को कमजोर महसूस करती हैं उनको मैं कहना चाहूंगी कि अगर वो इस विभाग में आकर सारा प्रशिक्षण ग्रहण करती हैं तो उन्हें अपने आप पर गर्व होगा."- लवली, स्पेशल कमांडो
BMP-2 के कमांडेंट स्वप्ना जी मेश्राम ने बताया कि, यह बेटियां नारी सशक्तिकरण की प्रतीक हैं और इनके जज्बे को देखकर और भी सारी लड़कियां प्रेरणा लेंगी. अपराधियों की धरपकड़ और विधि व्यवस्था संधारण में इनकी मदद ली जाएगी. आने वाले दिनों में अन्य एजेंसियों की तरह महिला कमांडोज को भी एंटी नेशनल ऑपरेशन, ऑर्गेनाइज क्राइम को ब्रेक करने जैसे मुहिम में भी लगाया जाएगा.
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"CRPF कैंप महाराष्ट्र से ट्रेनिंग लेकर लौटने के बाद महिला कमांडो की शारीरिक और मानसिक क्षमता दोनों में इंप्रूवमेंट हुआ है. बिहार में लगातार पुलिस सेवा में महिलाओं की भागीदारी बढ़ रही है, जो एक शुभ संकेत है."- स्वप्ना जी मेश्राम, कमांडेंट, BMP-2 डेहरी
बता दें कि, लगभग 56 दिनों की बेहद कठिन और स्पेशल ट्रेनिंग के बाद पास आउट होकर बतौर कंपनी रोहतास जिले में योगदान दे रही है. इनकी बुद्धि, विवेक, पराक्रम कहीं से भी पुरुष कमांडो से कम नहीं है. बहरहाल बिहार की ये वीरांगनायें आने वाले दिनों में अपराधियों पर काल बन के टूटने वाले हैं. बहादुर बेटियां कहती हैं 'डर से डरो मत' बल्कि 'डर को डराओ' इनका शौर्य, पराक्रम और अदम्य साहस देखते ही बनता है.
"आज महिलाओं का सशक्तिकरण हो चुका है. कोई भी महिला हो कहीं से भी हों उन्हें अपने अंदर के डर से कभी डरना नहीं चाहिए. ऐसी सोच रखनी चाहिए कि डर से मत डरो डर को डराओ कि वह सामने आने से भी डर जाए. हमने तीन महीने की एक्सट्रा ट्रेनिंग की है. मानसिकता को मजबूत बनाने के बात ही दुश्मनों का डटकर मुकाबला किया जा सकता है."- मधु, स्पेशल कमांडो
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