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इलाज के लिए इस अस्पताल में अब गरीब भी नहीं आते, खाली पड़े हैं बेड, छाया है सन्नाटा

अस्पताल का आलम ये है कि यहां न तो दवाईयां हैं और ना ही जांच करने के लिए कोई मशीन. यहां तक कि इतने आलीशान अस्पताल में एक एक्सरे मशीन तक नहीं है. अस्पताल का सारा दारोमदार महज एक डॉक्टर के कंधे पर दे दिया गया है.

चेनारी प्रखंड का सरकारी अस्पताल
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Published : Apr 2, 2019, 9:15 AM IST

Updated : Apr 2, 2019, 5:09 PM IST

रोहतासः जिला मुख्यालय से तकरीबन 40 किलोमीटर दूर चेनारी प्रखंड कासरकारी अस्पताल भगवान भरोसे चल रहा है.यह एक ऐसा सेंटर है जहां पहाड़ी क्षेत्र के लोग पंहुचते हैं.लेकिन यह अस्पतालस्वास्थ्य पर खर्च हो रहे करोड़ों रुपये के सरकारी दावोंकोखोखला साबित कर रहा है.

प्रखंड का ये अस्पताल गरीबों के लिए किसीमंदिर से कम नहीं है.लेकिन सरकारीअनदेखी ने इस अस्पताल को बीमार कर दिया है.लिहाजाअब इस अस्पताल की ऐसी हालत हो चुकी जिसका अंदाजालगाना मुशिकल है.अस्पताल परिसर में छाया सन्नाटा इस बात का गवाह है कि लोग अब इस अस्पताल में इलाज कराने नहीं पहुंचते हैं.चाहे वो गरीब ही क्यों न हो.इस सरकारी अस्पताल का सारा दारोमदार महजएक डॉक्टर के कंधे पर दे दिया गया है.

phc incharge
पीएचसी प्रभारी

बुनियादी सुविधाएं तक नहीं
अस्पताल का आलम ये है कि यहां न तो दवाईयांहैं और ना हीजांच करने के लिए कोई मशीन ही है.यहां तक कि इतने आलीशान अस्पताल में एक एक्सरे मशीन तक नहीं है.जांच के नाम पर महजशुगर की जांच ही हो पाती है.ऐसे में सवाल उठना लाजमी है कि आखिर ये अस्पताल किस के भरोसे चल रहा है.वहीं खुद अस्पताल प्रभारी भी इस बात को बखूबी कबूल कर रहें है कि अस्पताल में बुनियादी सुविधा तक नहीं है.अस्पताल के अंदर खाली पड़ाबेड इस बात की गवाही दे रहाहै कि यहां अब कोई इलाज कराने नहीं आता है. जिससे साफ जाहिर है कि सरकारको इन गरीबों से कुछ लेना देना नहीं है.

अस्पताल प्रभारी का क्या है कहना
वहीं अस्पताल प्रभारी ने बताया कि सुविधा और डॉक्टर की कमी की वजह से यहां अब कोई इलाज कराने नहीं आता है. सरकारी अस्पतालों के रुख वैसे ही लोग करते है जिन के पास पैसों की कमी होती है यानी गरीब परिवार ही इस अस्पताल का रुख करता है.लेकिन अस्पताल की दुर्दशा ने गरीबों को प्राइवेट अस्पताल में जाने को मजबूर कर दिया है.

रोहतासः जिला मुख्यालय से तकरीबन 40 किलोमीटर दूर चेनारी प्रखंड कासरकारी अस्पताल भगवान भरोसे चल रहा है.यह एक ऐसा सेंटर है जहां पहाड़ी क्षेत्र के लोग पंहुचते हैं.लेकिन यह अस्पतालस्वास्थ्य पर खर्च हो रहे करोड़ों रुपये के सरकारी दावोंकोखोखला साबित कर रहा है.

प्रखंड का ये अस्पताल गरीबों के लिए किसीमंदिर से कम नहीं है.लेकिन सरकारीअनदेखी ने इस अस्पताल को बीमार कर दिया है.लिहाजाअब इस अस्पताल की ऐसी हालत हो चुकी जिसका अंदाजालगाना मुशिकल है.अस्पताल परिसर में छाया सन्नाटा इस बात का गवाह है कि लोग अब इस अस्पताल में इलाज कराने नहीं पहुंचते हैं.चाहे वो गरीब ही क्यों न हो.इस सरकारी अस्पताल का सारा दारोमदार महजएक डॉक्टर के कंधे पर दे दिया गया है.

phc incharge
पीएचसी प्रभारी

बुनियादी सुविधाएं तक नहीं
अस्पताल का आलम ये है कि यहां न तो दवाईयांहैं और ना हीजांच करने के लिए कोई मशीन ही है.यहां तक कि इतने आलीशान अस्पताल में एक एक्सरे मशीन तक नहीं है.जांच के नाम पर महजशुगर की जांच ही हो पाती है.ऐसे में सवाल उठना लाजमी है कि आखिर ये अस्पताल किस के भरोसे चल रहा है.वहीं खुद अस्पताल प्रभारी भी इस बात को बखूबी कबूल कर रहें है कि अस्पताल में बुनियादी सुविधा तक नहीं है.अस्पताल के अंदर खाली पड़ाबेड इस बात की गवाही दे रहाहै कि यहां अब कोई इलाज कराने नहीं आता है. जिससे साफ जाहिर है कि सरकारको इन गरीबों से कुछ लेना देना नहीं है.

अस्पताल प्रभारी का क्या है कहना
वहीं अस्पताल प्रभारी ने बताया कि सुविधा और डॉक्टर की कमी की वजह से यहां अब कोई इलाज कराने नहीं आता है. सरकारी अस्पतालों के रुख वैसे ही लोग करते है जिन के पास पैसों की कमी होती है यानी गरीब परिवार ही इस अस्पताल का रुख करता है.लेकिन अस्पताल की दुर्दशा ने गरीबों को प्राइवेट अस्पताल में जाने को मजबूर कर दिया है.

Intro:रोहतास। जिला मुख्यालय से तक़रीबन चालीस किलोमीटर दूर चेनारी प्रखंड के सरकारी अस्पताल भगवान भरोसे चलने को मजबूर है।


Body:रोहतास का चेनारी प्रखंड एक ऐसा सेंटर है जहां पहाड़ी छेत्र के लोग पंहुचते है। इसी प्रखंड मुख्यालय में सरकारी अस्पताल भी मौजूद है। जहां गरीबों का इलाज होता है। लेकिन अफसोस सरकार एक तरफ जहां दावा करती है कि वो स्वास्थ के नाम करोड़ो रूपये खर्च करती है। लेकिन हक़ीक़त में इसकी तस्वीर बिल्कुल उल्टी है। प्रखंड के सरकारी अस्पताल गरीबों के लिए किसी भगवान के मंदिर से कम नहीं है। लेकिन सरकार और उसके हुकारमों की अनदेखी ने इस अस्पताल को बीमार कर दिया है। लिहाज़ा अब इस अस्पताल की ऐसी हालत हो चुकी जिसका अंदाज़ लगाना मुशिकल है। अस्पताल परिसर में छाया सन्नाटा इस बात का गवाह है कि लोग अब इस अस्पताल में किसी भी तरह का इलाज कराने नहीं पहुचते है। ज़हीर है आखिर इस सरकारी अस्पताल मरीज़ क्यों आए चाहे वो गरीब ही क्यों न हो जान की परवाह हर इंसान को होती है। लेकिन इस सरकारी अस्पताल का सारा दारोमदार महज़ एक डॉक्टर के कंधे पर दे दिया गया है। अस्पताल का आलम ये है कि यहां न तो दवाईयों है और नहीं जांच करने के लिए कोई मशीन ही है। यहां तक कि इतने आलीशान अस्पताल में एक एक्सरे मशीन तक नहीं है। जांच के नाम पर महज़ शुगर की जांच ही हो पाती है। ऐसे में सवाल उठना लाज़मी है कि आखिर ये अस्पताल किस के भरोसे चल रहा है। वहीं खुद अस्पताल प्रभारी भी इस बात को बखूबी क़बूल कर रहें है कि अस्पताल में बुनियादी सुविधा तक नहीं है। अस्पताल के अंदर खाली पड़ी बेड इस बात की गवाही दे रही है कि यहां अब कोई इलाज कराने नहीं आता है। जिससे साफ ज़हीर है कि सरकारों को इन गरीबों से कुछ लेना देना नहीं है। वहीं अस्पताल प्रभारी ने बताया कि सुविधा और डॉक्टर की कमी की वजह से यहां अब कोई इलाज कराने नहीं आता है। ज़हीर है सरकारी अस्पतालों के रुख वैसे ही लोग करते है जिन के पास पैसों की कमी होती है यानी गरीब परिवार ही इस अस्पताल का रुख करता है। लेकिन अस्पताल की दुर्दशा ने गरीबों को प्राइवेट अस्पताल में जाने को मजबूर कर दिया है।


Conclusion:बहरहाल सरकारी अस्पताल बदहाली ने सरकार के सारे दावों की पोल खोल दी है।
Last Updated : Apr 2, 2019, 5:09 PM IST
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