रोहतास: लोक आस्था का महापर्व का आज उदयमान सूर्य को अर्घ्य देने के साथ समापन हुआ. इस महापावन पर्व को लेकर प्रदेश के विभिन्न जिलों में भक्तिमय माहौल बना रहा. व्रती अहले सुबह ही छठ घाटों पर पहुंच कर भगवान भास्कर के प्रकट होने का इंतजार करने लगीं थी. सूर्य देव के दर्शन के साथ ही व्रती भगवान को अर्घ्य देकर लोगों में प्रसाद का वितरण किया. इस दौरान जिले के अकोढ़ी गोला प्रखंड के शेरपुर गांव छठ आस्था और भातृत्व प्रेम की एक अलग मिसाल देखने को मिली. यहां एक भाई अपने लकवाग्रस्त भाई के ठीक होने पर अस्ताचलगामी से लेकर उदयीमान सूर्य के आराधना के लिए रातभर पोखर में खड़ा रहा.
आस्था और भातृत्व प्रेम की मिसाल
बताया जाता है कि प्रखंड क्षेत्र के हरिराम यादव नामक शख्स अपने छोटे भाई श्रीराम यादव के लिए रात भर ठंडे पानी के जलाशय में अकेले भगवान सूर्य को सुबह के अर्ध्य देने के लिए खड़ा रहा. इस बाबत हरिराम यादव बताते है कि मैं मुंबई में रहता हूं. मेरा छोटा भाई को लकवा से पीड़ित था. काफी ईलाज करवाया लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ था. गांव के लोगों नें छठी मैया से मन्नत मांगने को कहा. जिसके बाद मेरा भाई चमत्कारिक रूप से ठीक हो गया. इसलिए मैं अपने पूरे परिवार के साथ भगवान भास्कर की आराधना के लिए मुंबई से व्रत करने के लिए अपने पैतृक गांव आया हूं.
श्रद्धालुओं ने लोगों में बांटा भगवान भास्कर का प्रसाद
हरिराम के इस आस्था को देखकर गांव के लोग काफी प्रसन्न हैं. पूरी रात हरिराम यादव के साथ परिवार और गांव के लोग छठ घाट पर मौजूद रहे.लोग छठ व्रत और अपने भाई के लिए इस तरह का अद्भुत प्रेम देखकर अभिभूत हुए. इलाके के लोगों का कहना है कि वर्तमान समय में भाई-भाई का कत्ल कर रहा है. ऐसे में हरिराम का अपने भाई के लिए ऐसा प्रेम न सिर्फ जिले के लिए बल्कि पूरे प्रदेश के लिए प्रेरणा स्त्रोत है. व्रत के समापने होने के बाद श्रद्धलुओं ने लोगों में ठेकुआ समेत कई अन्य प्रसाद का लोगों में वितरण करते दिखे. छठ घाटों पर लोग अहले सुबह ही पहुंच चुके थे.इस दौरान छठ घाटों की छटा काफी मनमोहक थी.
व्रतियों ने किया पारण
4 दिन तक चलने वाले इस महापावन पर्व की शुरुआत नहाय खाय के साथ हुई थी. अगले दिन व्रतियों ने खरना किया था. जिसके बाद छठ व्रती का 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू हुआ था.सुख-शांति के लिए मनाये जाने वाले इस महापर्व का आज समापन हो गया. व्रतियों ने आज अपने उपावास व्रत को समाप्त कर पारण किया.
4 दिनों तक होता है यह महापर्व
चार दिन चलने वाले छठ पर्व के दौरान दो बार सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. पहला अर्घ्य षष्ठी तिथि के दिन डूबते सूर्य को दिया जाता है, जबकि दूसरा अर्घ्य सप्तमी तिथि को उदय होने वाले भगवान भास्कर को दिया जाता है. नदी, तालाब और नहरों पर बने छठ घाटों के पानी में उतरकर महिलाओं ने भगवान भास्कर को अर्घ्य देकर व्रत का समापन किया. इस दौरान लोग भक्ति भाव में डूबे नजर आए और नदियों के किनारे आस्था का सैलाब देखने को मिला. यह एक ऐसा पर्व है जिसमें उगते सूरज के साथ-साथ डूबते सूरज की भी पूजा होती है.