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पूर्णिया: हैदराबाद कांड पर महिलाओं के गुस्से में उबाल, दोषियों को ऑन द स्पॉट सजा की मांग

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Published : Dec 3, 2019, 9:19 AM IST

Updated : Dec 3, 2019, 9:25 AM IST

हैदराबाद में लेडी वेटनरी डॉक्टर का दुष्कर्म मामला महिलाओं का आक्रोश बढ़ा रहा है. लेडी वेटनरी डॉक्टर के साथ हुए गैंगरेप और मर्डर के बाद महिला संगठनों का आक्रोश सातवें आसमान पर है. सिस्टम की लचर प्रणाली, धीमी कानूनी प्रक्रिया के खिलाफ सबका गुस्सा फूट पड़ा.

women outrage in hyderabad veterinary doctor rape case
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पूर्णिया: हैदराबाद में लेडी वेटनरी डॉक्टर के साथ हुए रेपकांड की गूंज अब बिहार तक पहुंच चुकी है. सूबे के तमाम जिलों से विरोध प्रदर्शन की अलग-अलग तस्वीरें सामने आने लगी हैं. सियासी हलकों से लेकर महिला संगठनों का आक्रोश जहां सड़कों पर साफ देखा जा सकता है. वहीं क्लासरूप और कॉपी-किताबों का दामन छोड़ शैक्षणिक संस्थानों की छात्राएं 'वी वांट जस्टिस' तख्तियां थाम सड़कों पर उतर चुकी हैं.

धीमी कानूनी प्रक्रिया के खिलाफ फूटा सबका गुस्सा
लेडी वेटनरी डॉक्टर के साथ हुए गैंगरेप और मर्डर के बाद नारी शक्ति के आक्रोश और उबाल के बीच रेप, खौफ और महिला सुरक्षा जैसे सवालों के साथ ईटीवी भारत की टीम ने कई महिलाओं से बात-चीत की. सिस्टम की लचर प्रणाली, धीमी कानूनी प्रक्रिया के खिलाफ सबका गुस्सा फूट पड़ा.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

इसे भी पढ़ें- नीतीश कुमार छोड़ देंगे BJP का साथ, विधानसभा चुनाव से पहले ही टूट जाएगा NDA'

बेटों को समझाने का वक्त
इस पूरे मामले में महिला संगठनों का उबाल सातवें आसमान पर है. मारवाड़ी महिला सम्मलेन अध्यक्ष की डॉ निशा प्रकाश की मानें तो पिछली घटनाओं से सबक लेने के बजाए सात साल बाद एक बार फिर ऐसी घटना की पुनरावृत्ति देश पर कलंक जैसी है. निशा कहती हैं कि ऐसी घटनाओं को तभी रोका जा सकता है जब दोषियों को ऑन द स्पॉट दर्दनाक सजा सुनाई जाए. इसके साथ ही अब वक्त है अपने बेटों को यह समझाने का कि बाहर सड़कों पर उनकी बहनें ही हैं,और उन्हें भी उनकी रक्षा करनी हैं. जब मांए अपने बेटों को यह समझा देंगी उस दिन ऐसी घटना खुद दम तोड़ देगीं.

दोषियों में कानून का खौफ नहीं
वहीं बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान की महिला संयोजक पंकज कुमारी भी गुस्से से भरी हैं. वे कहती हैं कि लेडी डॉक्टर प्रकरण में भी दामिनी रेप कांड की तरह दोषियों को 14 दिनों की न्यायिक हिरासत पर भेजा जाना असंतोषजनक है. दामिनी केस में लेटलतीफी हुई, दोषियों के प्रति सॉफ्ट कार्नर अपनाया गया. नतीजतन ऐसी घटनाओं को शह मिली. दोषियों में कानून का खौफ पैदा न होना ही इस घटना के दोहराव का कारण है. पंकज कहती हैं इस बार कैंडल और ट्रायल के बजाए जरूरत है अध्यादेश को मंजूरी देने की, ताकि ऑन द स्पॉट इन्हें मौत की सजा सुनाई जा सके.

24 घंटे के भीतर मौत की सजा देने की मांग
हैदराबाद में महिला वेटनरी डॉक्टर के साथ हुई दरिंदगी की वारदात पर महिला चिकित्सकों में खासा उबाल है. रेपकांड से आहत महिला चिकित्सक रेप जैसी जघन्य घटनाओं को अंजाम देने वाले दरिंदों को 24 घंटे के भीतर मौत की सजा देने की मांग कर रही हैं. रेप जैसी घटना को लेकर डॉक्टर ने सरकार को कई दूसरे देशों के मॉडल को प्रचलन में लाने की बात की.

पूर्णिया: हैदराबाद में लेडी वेटनरी डॉक्टर के साथ हुए रेपकांड की गूंज अब बिहार तक पहुंच चुकी है. सूबे के तमाम जिलों से विरोध प्रदर्शन की अलग-अलग तस्वीरें सामने आने लगी हैं. सियासी हलकों से लेकर महिला संगठनों का आक्रोश जहां सड़कों पर साफ देखा जा सकता है. वहीं क्लासरूप और कॉपी-किताबों का दामन छोड़ शैक्षणिक संस्थानों की छात्राएं 'वी वांट जस्टिस' तख्तियां थाम सड़कों पर उतर चुकी हैं.

धीमी कानूनी प्रक्रिया के खिलाफ फूटा सबका गुस्सा
लेडी वेटनरी डॉक्टर के साथ हुए गैंगरेप और मर्डर के बाद नारी शक्ति के आक्रोश और उबाल के बीच रेप, खौफ और महिला सुरक्षा जैसे सवालों के साथ ईटीवी भारत की टीम ने कई महिलाओं से बात-चीत की. सिस्टम की लचर प्रणाली, धीमी कानूनी प्रक्रिया के खिलाफ सबका गुस्सा फूट पड़ा.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

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बेटों को समझाने का वक्त
इस पूरे मामले में महिला संगठनों का उबाल सातवें आसमान पर है. मारवाड़ी महिला सम्मलेन अध्यक्ष की डॉ निशा प्रकाश की मानें तो पिछली घटनाओं से सबक लेने के बजाए सात साल बाद एक बार फिर ऐसी घटना की पुनरावृत्ति देश पर कलंक जैसी है. निशा कहती हैं कि ऐसी घटनाओं को तभी रोका जा सकता है जब दोषियों को ऑन द स्पॉट दर्दनाक सजा सुनाई जाए. इसके साथ ही अब वक्त है अपने बेटों को यह समझाने का कि बाहर सड़कों पर उनकी बहनें ही हैं,और उन्हें भी उनकी रक्षा करनी हैं. जब मांए अपने बेटों को यह समझा देंगी उस दिन ऐसी घटना खुद दम तोड़ देगीं.

दोषियों में कानून का खौफ नहीं
वहीं बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान की महिला संयोजक पंकज कुमारी भी गुस्से से भरी हैं. वे कहती हैं कि लेडी डॉक्टर प्रकरण में भी दामिनी रेप कांड की तरह दोषियों को 14 दिनों की न्यायिक हिरासत पर भेजा जाना असंतोषजनक है. दामिनी केस में लेटलतीफी हुई, दोषियों के प्रति सॉफ्ट कार्नर अपनाया गया. नतीजतन ऐसी घटनाओं को शह मिली. दोषियों में कानून का खौफ पैदा न होना ही इस घटना के दोहराव का कारण है. पंकज कहती हैं इस बार कैंडल और ट्रायल के बजाए जरूरत है अध्यादेश को मंजूरी देने की, ताकि ऑन द स्पॉट इन्हें मौत की सजा सुनाई जा सके.

24 घंटे के भीतर मौत की सजा देने की मांग
हैदराबाद में महिला वेटनरी डॉक्टर के साथ हुई दरिंदगी की वारदात पर महिला चिकित्सकों में खासा उबाल है. रेपकांड से आहत महिला चिकित्सक रेप जैसी जघन्य घटनाओं को अंजाम देने वाले दरिंदों को 24 घंटे के भीतर मौत की सजा देने की मांग कर रही हैं. रेप जैसी घटना को लेकर डॉक्टर ने सरकार को कई दूसरे देशों के मॉडल को प्रचलन में लाने की बात की.

Intro:आकाश कुमार (पूर्णिया)
special report ।

हैदराबाद में हुए लेडी डॉक्टर रेपकांड की गूंज अब बिहार तक पहुंच चुकी है। दामनी रेपकांड की पुनरावृत्ति कही जा रही लेडी डॉक्टर रेपकांड को ले सूबे के तमाम जिलों से विरोध प्रदर्शन की अलग-अलग तस्वीरें सामने आने लगी हैं। सियासी हलकों से लेकर महिला संगठनों का आक्रोश जहां सड़कों पर साफ देखा जा सकता है। वहीं क्लासरूप और कॉपी-किताबों का दामन छोड़ शैक्षणिक संस्थानों की छात्राएं 'वी वांट जस्टिस' तख्तियां थाम सड़कों पर उतर चुकी है।


Body:लिहाजा वेटनरी लेडी डॉक्टर के साथ हुई गैंगरेप और मर्डर के बाद नारी शक्ति के आक्रोश और उबाल के बीच रेप ,खौफ व महिला सुरक्षा जैसे सवालों के साथ ईटीवी भारत की टीम सियासती गलियारे से लेकर महिलाओं संगठनों व सरकारी- गैर सरकारी इकाइयों में काम करने वाली महिलाओं के साथ ही शैक्षणिक संस्थानों में पढ़ने वाली छात्राओं के पास पहुंचा।



लेडी डॉक्टर गैंगरेप मामले को ले इस बार महिला संगठनों का उबाल सातवे आसमान पर है। मारवाड़ी महिला सम्मलेन अध्यक्ष की डॉ निशा प्रकाश की मानें तो दामनी प्रकरण से सबक लेने के बजाए सात साल बाद एक बार फिर ऐसी घटना की पुनरावृत्ति देश पर कलंक जैसा है। निशा कहती हैं कि ऐसी घटनाओं को तभी रोका जा सकता है जब दोषियों को ऑन द स्पॉट दर्दनाक सजा सुनाई जाए। इसके साथ ही अब वक्त है अपने बेटों से ये प्रण दिलवाने कि बेटियों से तो हम कहते हैं शाम होने से पहले आना। मगर जिस दिन से हम बेटों को यह प्रण दिलाएंगे बेटा बाहर बाहर तो तुम जा रहे हो। मगर वहां तुम्हारी बहने ही होंगी बेटा तुम उसकी रक्षा करना उस दिन ऐसी घटना खुद व खुद दम तोड़ देगी।




वहीं बेटियों पर काम करने वाली बेटी बचाओ बेटी पढाओं अभियान की महिला संयोजक पंकज कुमारी की आंखें भी इस घटना के बाद नम हैं। पंकज के शब्दों में उस दर्दनाक घटना की कसक साफ सुनी जा सकती हैं। वे कहती हैं कि लेडी डॉक्टर प्रकरण में भी दामिनी रेप कांड की तरह दोषियों को 14 दिनों की न्यायिक हिरासत पर भेजा जाना असंतोषजनक है। दामिनी केस में लेटलतीफी हुई दोषियों के प्रति सॉफ्ट कार्नर अपनाया गया। नतीजतन ऐसी घटनाओं को सह मिला। लिहाजा वे दोषियों में कानून का खौफ पैदा न होना ही इस घटना के दोहराव का कारण मानती हैं। पंकज कहती हैं इस बार कैंडल और ट्रायल के बजाए जरूरत है अध्यादेश को मंजूरी देने की। ताकि ऑन द स्पॉट इन्हें मौत की सजा सुनाई जा सके।




हैदराबाद में महिला वेटनरी डॉक्टर के साथ हुई दरिंदगी की वारदात पर महिला चिकित्सकों में खासा उबाल है। रेपकांड से आहत महिला चिकित्सक रेप जैसी जघन्य घटनाओं को अंजाम देने वाले दरिंदों को 24 घण्टें के भीतर मौत की सजा देने की मांग कर रही हैं। कुछ ऐसी ही रोष की लहर के अंदर है। दुष्कर्म जैसी घटना के दोषियों के लिए स्पीडी ट्रायल की मांग कर रही हैं। वहीं रेप जैसी घटना को लेकर डॉक्टर सरकार को फॉरेन कंट्रीज के मॉडल को प्रचलन में लाने की बात करती हैं। ऐसे देश जहां रेप की घटना पहली और आखिरी साबित हुई। उन देशों से हमें सीख लेने की जरूरत है।


इस घटना के बाद कामकाजी महिलाएं और छात्राएं खौफजदा हैं। वे अब तक इस घटना से उबर नहीं सकी हैं। शहर के चित्रवानी रोड में ब्यूटीशियन शॉप चलाने वाली कहती हैं कि वह बड़े शहरों की घटनाएं हैं सो मीडिया इफेक्ट की वजह से सुर्खियों में आ जाती हैं। मगर हकीकत तो यह है कि ऐसी सैकड़ों ही घटनाएं रोजाना होती हैं। ऑफिस से लौटती लड़कियों को राह चलते उच्चके घूरते हैं भद्दे कमेंट करते हैं घर वालों को डर रहता है। घर से निकला और आना सब घड़ी की सुइयों पर तय रहता है हमने ऐसा भारत बनाया है। वे कहती हैं इन्हें तो अब रात हो या दिन घर से निकलने तक में डर होता है।


वहीं महिला नेत्री कहती हैं कि ऐसी घटनाओं का एक बड़ा कारण पीड़ित लड़की या परिवार का पुलिस थाने तक पहुंचने पर की जाने वाली बदसलूकी है। वे कहती हैं ऐसी घटनाओं को ले पुलिस संवेदनशील हो जाए। एफआईआर दर्ज करने के बजाए लड़कियों को शक के निगाहों से देखा जाता है। परिवार को उसकी बेटी का अफेयर की बात बताई जाती है। पुलिस थाने में शिकायत करने पर एक थाना दूसरे थाने पर टालता है। जिसकी वजह से दरिंदों को सबक के बजाए सह मिलता है।


Conclusion:1बाईट - मारवाड़ी महिला सम्मलेन अध्यक्ष की डॉ निशा प्रकाश , ब्लू साड़ी ।
बाईट- बेटी बचाओ बेटी पढाओं अभियान की महिला संयोजक पंकज कुमारी , काला साड़ी।
बाईट - डॉ अनुराधा सिंहा , आला के साथ डॉक्टर
बाईट - डॉ ब्यूटी रूबी , लाल ड्रेस
बाईट - डॉ विभा कुमारी , ब्लू वाइट साड़ी
बाईट - सरिता राय ,वार्ड सदस्य , गेरुआ कलर साड़ी
बाईट - संतोष भारत ,हॉकी अध्यक्ष ,सफेद साड़ी
8बाईट- रेणु रवि, कॉस्मेटिक शॉप ओनर ,पिंक ड्रेस
Last Updated : Dec 3, 2019, 9:25 AM IST
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