पूर्णिया(अमौर): बिहार में कोरोना संक्रमण के बीच चुनाव जारी है. इस विधानसभा क्षेत्र नदियों से घिरे होने के कारण प्रत्येक वर्ष कनकई, महानंदा, परमान और दास सहित उनकी सहायक नदियां तबाही मचाती है. यहां रहने वाले लोग किसी तरह गुजर-बसर करने को मजबूर हैं. हर साल आशियाना सहित सैकड़ों एकड़ जमीन नदियों में विलीन हो जाते हैं.
लोगों की मानें तो प्रत्येक वर्ष पलायन करना मजबूरी बन चुकी है. लोगों ने इस बार इसे चुनावी मुद्दा बनाया है. अमौर विधानसभा क्षेत्र में प्रत्येक वर्ष बार अपनी तबाही मचाती है. क्षेत्र के लोगों ने बाढ़ से निजात पाने के लिए स्थानीय जनप्रतिनिधि को चुना. लेकिन आज तक बाढ़ का स्थाई समाधान नहीं हो पाया.
लोगों ने जताया आक्रोश
ग्रामीण संजीर आलम, सोहराब, मोहम्मद हाशिम, मुकर्रम हुसैन, मुन्ना आलम और अन्य ने बताया कि कटाव की समस्या का समाधान महानंदा बेसिन के साथ क्षेत्र में शिक्षा, स्वास्थ्य और सड़कों की जर्जर हालत इस बार यहां का विकास का चुनावी मुद्दा बना हुआ है. लोगों ने साफ कहा है कि जनप्रतिनिधि इन सभी चीजों पर जनता को विश्वास दिलाएंगे जनता उन्हें ही सुनेगी. अमौर विधानसभा क्षेत्र के कनकई नदी से प्रभावित सिरसी पंचायत, चंदवार, खपरा, हफनिया,खाड़ी महीनगांव एवं कनकई नदी से डहुआबारी पंचायत, तालबारी पंचायत, ज्ञानडोव, रंगरैया लालटोली, हरिपुर, खाड़ी महिनगांव, परमान नदी से प्रभावित बरबट्टा, आधांग, तीयरपाडा, झौवाडी मच्छटटा, भवानीपुर, अमौर, रंगरैया लालटोली, नितेंद्र पंचायत गांव प्रभावित होते हैं.