पूर्णिया: बिहार के पूर्णिया जिले के अमौर से साइबर ठगी गैंग का भंडाफोड़ हुआ है. अमौर पुलिस ने तीन साइबर अपराधियों को गिरफ्तार किया है. पुलिस गिरफ्त में आए इन शातिर साइबर ठगों की पहचान रोशन जमीर, मो इफ्तखार आलम और राशिद आलम के रूप में हुई है. सभी अमौर के ही रहने वाले बताए जा रहे हैं. इनके कुछ साथी अंधेरे का फायदा उठाकर फरार हो गये. पकड़े गए शातिर ठगों ने झारखंड के जामताड़ा में ट्रेनिंग ली थी.
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"बिहार और बंगाल की सीमा से लगे अमौर से सक्रिय 3 शातिर अपराधियों को पुलिस ने गिरफ्तार किया है. पकड़े गए साइबर ठगों के पास से 1 लैपटॉप, 3 मोबाइल, रबड़ से बना 205 फिंगरप्रिंट, फिंगरप्रिंट स्कैनर, 1 पिट्ठू बैग, आधार नंबर लिखे हुए कई पेज जब्त किए हैं"- आदित्य कुमार, एसडीपीओ, बायसी
ऐसे पकड़े गये अपराधीः अमौर थाना में रविवार को बायसी एसडीपीओ आदित्य कुमार ने प्रेस वार्ता कर बताया कि उन्हें गुप्त सूचना मिली थी कि बिशनपुर चौक पर कई दिनों से लैपटॉप पर फर्जी तरीके से दूसरे व्यक्ति का केवाला डाउनलोड कर और फिंगरप्रिंट बनाकर पैसा की निकासी का काम जारी है. प्राप्त सूचना के आधार पर पुलिस टीम छापेमारी करने पहुंची. जैसे ही बिशनपुर चौक पहुंची कि उन्हें देखकर एक इलेक्ट्रॉनिक दुकान से सात-आठ लोग इधर-उधर भागने लगे. पुलिस ने पीछा कर इनमें से 3 लोगों को धर दबोचा. बाकी अंधेरे का फायदा उठाकर भागने में सफल रहे.
जामताड़ा से है कनेक्शनः पूछताछ के क्रम में शातिर साइबर ठगों ने बताया कि उन लोगों का एक संगठित गिरोह है. जिस गिरोह में कई सदस्य कार्य करते हैं. वे लोग दूसरे राज्य का केवाला डाउनलोड करके उससे लोगों का आधार नंबर एवं फिंगरप्रिंट प्राप्त कर फर्जी तरीके से रबर की सीट पर डुप्लीकेट फिंगरप्रिंट तैयार कर AEPS के माध्यम से पैसा की निकासी करते हैं. पकड़े गए शातिर ठगों ने झारखंड के जामताड़ा जाकर ट्रेनिंग ली थी. यहां आने के बाद संगठित रूप से कुछ लोगों को इसकी ट्रेनिंग दी. इसके बाद साइबर ठगी का खेल शुरू हुआ.