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खेल मंत्री के जिले में नहीं बन सका क्रिकेट स्टेडियम, 5 साल इंतजार के बाद खिलाड़ी नाराज - No any cricket ground

पूर्णिया में एक भी क्रिकेट मैदान नहीं होने से खिलाड़ी नाराज हैं. खिलाड़ियों ने कहा कि इस क्षेत्र से दो बड़े खिलाड़ियों ने सबका नाम रौशन किया है. वहीं, क्रिकेट मैदान नहीं होने से फुटबॉल के मैदान में अभ्यास करना पड़ता है.

मीडिया से बात करते खिलाड़ी
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Published : Apr 5, 2019, 4:41 AM IST

पूर्णिया: जिले से क्रिकेट के क्षेत्र में कुछ खिलाड़ी बेहद तेजी से उभर रहे हैं. खिलाड़ियों ने क्रिकेट के क्षेत्र में बिहार को गौरव हासिल करवाने में जी-जान लगा दी है लेकिन दुर्भाग्य की बात है कि इन खिलाड़ियों को आजतक क्रिकेट का मैदान तक नसीब नहीं हो सका है.

मीडिया से बात करते खिलाड़ी

ताज्जुब की बात है कि वर्तमान में यहां के विधायक कृष्ण कुमार ऋषि बिहार सरकार में खेल मंत्री हैं. सरकार जहां एक ओर क्रिकेटरों को अपनी सियासत बनाकर पीठ थपथपाने में पीछे नहीं हटती है. वहीं क्रिकेट खिलाड़ियों को अबतक फुटबॉल ग्राउंड से ही काम चलाना पड़ रहा है.

जिले से दो खिलाड़ियों ने नाम किया रौशन
बता दें कि जिले से बहुत कम वक्त में दो बड़े क्रिकेटर निकले हैं. विजय भारती जहां गली क्रिकेट से निकलकर रणजी में पहुंचे हैं. अब इंटरनेशनल क्रिकेट में अपनी छाप छोड़ने के लिए मौके की तलाश में हैं. वहीं, अंडर 23 महिला क्रिकेट टीम की ऑलराउंडर अपूर्वा घोष ने भी खूब नाम कमाया है.

'खेल मंत्री ने सिर्फ सुर्खियां बटोरीं'
वहीं, कई दूसरे खिलाड़ियों ने भी जिला क्रिकेट से निकलकर बड़े प्लेटफॉर्म पर जाकर क्रिकेट की दुनिया में तेजी से अपना नाम बनाया है. लिहाजा बिहार सरकार के खेल मंत्री कृष्ण कुमार ऋषि को इन उपलब्धियों के लिए सुर्खियां बटोरते हुए कई बार देखा गया है. अगर खिलाड़ियों की मानें तो इन्हें आगे बढ़ाने में सरकार का नहीं कुछ हद तक बीसीए का योगदान है.

क्रिकेट ग्राउंड के नाम पर हो रही सियासत
सांसद संतोष कुशवाहा ने भी पिछले आम चुनावों में क्रिकेट ग्राउंड की वर्षों पुरानी मांग को अहम मुद्दा बनाया था. लेकिन आज सरकार अपने पांच साल पूरे करने को है. वहीं, खेल मंत्री को कार्यकाल भी पूरा होने को है. इसके बावजूद क्रिकेट ग्राउंड के नाम पर सियासत से इतर कुछ और हासिल नहीं हो सका है.


खिलाड़ियों की समस्या
वहीं, कई खिलाड़ियों ने बताया कि क्रिकेट की प्रैक्टिस के लिए आज तक कोई स्थायी साधन नसीब नहीं हो सका है. हैरत की बात तो यह है कि लीग प्रैक्टिस के लाख दरख्वास्त होने के बाद भी कोई दूसरा ग्राउंड तक नहीं मिला. इसीलिए फुटबॉल ग्राउंड से ही काम चलाना पड़ता है.

पूर्णिया: जिले से क्रिकेट के क्षेत्र में कुछ खिलाड़ी बेहद तेजी से उभर रहे हैं. खिलाड़ियों ने क्रिकेट के क्षेत्र में बिहार को गौरव हासिल करवाने में जी-जान लगा दी है लेकिन दुर्भाग्य की बात है कि इन खिलाड़ियों को आजतक क्रिकेट का मैदान तक नसीब नहीं हो सका है.

मीडिया से बात करते खिलाड़ी

ताज्जुब की बात है कि वर्तमान में यहां के विधायक कृष्ण कुमार ऋषि बिहार सरकार में खेल मंत्री हैं. सरकार जहां एक ओर क्रिकेटरों को अपनी सियासत बनाकर पीठ थपथपाने में पीछे नहीं हटती है. वहीं क्रिकेट खिलाड़ियों को अबतक फुटबॉल ग्राउंड से ही काम चलाना पड़ रहा है.

जिले से दो खिलाड़ियों ने नाम किया रौशन
बता दें कि जिले से बहुत कम वक्त में दो बड़े क्रिकेटर निकले हैं. विजय भारती जहां गली क्रिकेट से निकलकर रणजी में पहुंचे हैं. अब इंटरनेशनल क्रिकेट में अपनी छाप छोड़ने के लिए मौके की तलाश में हैं. वहीं, अंडर 23 महिला क्रिकेट टीम की ऑलराउंडर अपूर्वा घोष ने भी खूब नाम कमाया है.

'खेल मंत्री ने सिर्फ सुर्खियां बटोरीं'
वहीं, कई दूसरे खिलाड़ियों ने भी जिला क्रिकेट से निकलकर बड़े प्लेटफॉर्म पर जाकर क्रिकेट की दुनिया में तेजी से अपना नाम बनाया है. लिहाजा बिहार सरकार के खेल मंत्री कृष्ण कुमार ऋषि को इन उपलब्धियों के लिए सुर्खियां बटोरते हुए कई बार देखा गया है. अगर खिलाड़ियों की मानें तो इन्हें आगे बढ़ाने में सरकार का नहीं कुछ हद तक बीसीए का योगदान है.

क्रिकेट ग्राउंड के नाम पर हो रही सियासत
सांसद संतोष कुशवाहा ने भी पिछले आम चुनावों में क्रिकेट ग्राउंड की वर्षों पुरानी मांग को अहम मुद्दा बनाया था. लेकिन आज सरकार अपने पांच साल पूरे करने को है. वहीं, खेल मंत्री को कार्यकाल भी पूरा होने को है. इसके बावजूद क्रिकेट ग्राउंड के नाम पर सियासत से इतर कुछ और हासिल नहीं हो सका है.


खिलाड़ियों की समस्या
वहीं, कई खिलाड़ियों ने बताया कि क्रिकेट की प्रैक्टिस के लिए आज तक कोई स्थायी साधन नसीब नहीं हो सका है. हैरत की बात तो यह है कि लीग प्रैक्टिस के लाख दरख्वास्त होने के बाद भी कोई दूसरा ग्राउंड तक नहीं मिला. इसीलिए फुटबॉल ग्राउंड से ही काम चलाना पड़ता है.

Intro:आकाश कुमार (पूर्णिया)
exclusive।

जिले से क्रिकेट के क्षेत्र में कुछ खिलाड़ी बेहद तेजी से उभरे हैं।
किकेट को एक धर्म और क्रिकेटरों को खोज बताकर सरकार की ओर से अपनी पीठ थपथपाकर सियासतों का दौर जारी है।
वहीं एक तस्वीर ऐसी भी हैं। जहां वायदों के पांच साल गुजर जाने के बाद आज भी क्रिकेट ग्राउंड नहीं बन सकी। दुर्भाग्य देखिए कि क्रिकेटरों को फुटबॉल ग्राउंड से ही काम चलाना पड़ रहा है।
यह हाल तब है जब खुद यहां से विधायक कृष्ण कुमार ऋषि बिहार सरकार में खेल मंत्री हैं। लिहाजा बाकी जिलों का क्या हश्र होगा। इसका अंदाजा आप स्वयं लगा सकते हैं।




Body:दरअसल बेहद कम वक्त में ही जिले से दो बड़े क्रिकेटर निकले हैं।
विजय भारती जहां गली क्रिकेट से निकलकर रणजी में जा पहुंचे। और अब इंटरनेशनल क्रिकेट में एक मौके की तलाश में हैं। वहीं इस वक़्त अंडर 23 महिला क्रिकेट टीम की आल राउंडर अपूर्वा घोष भी यही से हैं। वहीं कई दूसरे खिलाड़ियों ने भी जिला क्रिकेट से निकलकर क्रिकेट की दुनिया में तेजी से अपना नाम कमाया है। लिहाज़ा अक्सर ही बिहार सरकार में खेल मंत्री कृष्ण कुमार ऋषि को इस उपलब्धियों के लिए सुर्खियां बटोरते देखा जा सकता है। मगर खिलाड़ियों की मानें तो इन्हें आगे बढाने में सरकार नहीं बल्कि बीसीए का योगदान है।


दरअसल जिले के क्रिकेट खिलाड़ियों की मानें तो बिहार सरकार में खेल मंत्री का पद संभाल रहे कृष्ण कुमार ऋषि यहीं से विधायक हैं। वहीं जिले के सांसद संतोष कुशवाहा भी सीएम नीतीश कुमार की पार्टी जदयू से ही है। लिहाज़ा पिछले आम चुनावों में क्रिकेट ग्राउंड की वर्षों पुराना मांग को अहम मुद्दा बनाए जाने के बाद आज जनता को किये गए चुनावी वायदों को 5वी सालगिरह होने को है। मगर आज तक इन्हें क्रिकेट ग्राउंड के नाम पर सियासत से इतर कुछ और हासिल नहीं हो सका।



क्रिकेटर चेतन राज व गोविंद चक्रवर्ती की बातों पर गौर करें तो यही वजह है। कि इन्हें क्रिकेट की प्रैक्टिस के लिए आज तक कोई स्थायी व साधन संपन्न स्टेडियम नसीब नहीं हो सकी। ताज्जुब की बात तो यह है कि लीग प्रैक्टिस के लाख दरख्वास्त के बाद भी जब इन्हें कोई दूसरी ग्राउंड तक नहीं मिली। तो अंत में इन्हें फुटबॉल ग्राउंड से ही काम चलाना पड़ा। वहीं रोजाना प्रैक्टिस के लिए जहां इन्हें विवादित डीएसए ग्राउंड तो कभी किसी दूसरे कामचलाऊ ग्राउंड से काम चलाना पड़ता है।



जिले में ग्राउंड की समस्या कितनी गहरी है। इसकी एक बानगी क्रिकेटर आशुतोष व ऋतिक बताते हैं। कि हालयां में संपन्न हुई जिला स्तरीय क्रिकेट प्रतियोगिता के वक़्त तो इन्हें प्ले ग्राउंड मुहैया कराई गई। मगर वह भी टेम्परेरी साबित हुई। डिस्ट्रिक्ट लीग खत्म होते ही इसे छीन लिया गया। इनकी मानें तो खेल को निखारा जा सके के लिए यह बेहद जरूरी है कि ग्राउंड टर्फ हो। वहीं संसाधनों के नाम पर आज भी इन्हें 70 के दशक वाली मेट से ही काम चलाना पड़ रहा है। ये बताते हैं कि जिले के दो खिलाड़ी सहित अन्य खिलाड़ी अगर बेहतर कर रहे हैं तो वह तकरीबन 18 साल बाद मान्यता दिए गए बीसीए का परिणाम है न कि राज्य सरकार का ।






लिहाज़ा नितेश व इनके साथी खिलाड़ी खेल मंत्री कृष्ण कुमार ऋषि से इस चुनावी समर में यह मांग कर रहे हैं। कि इनके बेहतर प्रदर्शन को देखते हुए इन्हें क्रिकेट ग्राउंड मुहैया कराया जाए। जिसमें कॉमेंट्री बॉक्स संबंधित दूसरी अहम सुविधाएं हो। खेल मंत्री से निवदेन करते हुए यह दावा करते हैं। कि अगर इन्हें इन सुविधाओं से लैश कराया गया। तो बाकी जिलों व राज्यों के बनिस्पत यह बेहतर कर सकते हैं। क्रिकेट की दुनिया में बेहतर करने वाले जिले के खिलाड़ियों का यह आंकड़ा बेशक और बढ़ जाएगा।





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