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ग्राउंड रिपोर्ट: 'आधुनिक नालंदा' का हाल बेहाल, मात्र 130 शिक्षकों के भरोसे 70 हजार छात्र

बिहार के पूर्णिया विश्वविद्यालय के अंतर्गत आने वाले सभी 15 कॉलेजों में शिक्षकों का बेहद अभाव है. वहीं, बुनियादी सुविधाओं के चलते इन कॉलेजों में 70 हजार स्टूडेंट्स के भविष्य की गाड़ी रेंग रही है. पेश है ग्राउंड रिपोर्ट...

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Published : Sep 13, 2019, 8:43 PM IST

पूर्णिया: एक तरफ देश में नई शिक्षा नीति-2019 को अमल में लाए जाने की कवायदे जारी हैं. तो दूसरी तरह बिहार के तमाम कॉलेज शिक्षकों की भारी कमी से जूझ रहे हैं. कुछ ऐसी ही स्थिति पूर्णिया विश्वविद्यालय की है. जिसके अंतर्गत आने वाले सभी कॉलजों में शिक्षकों की भारी कमी है. आश्चर्य की बात है कि जिस पीयू को आधुनिक नालंदा की संज्ञा दी जाती है, वहां तकरीबन 70 हजार छात्रों के भविष्य की गाड़ी महज 130 शिक्षकों के कंधों पर है.

दरअसल, साल 2018 में पूर्णिया विश्वविद्यालय के स्थापना के साथ ही ऐसे कयास लगाए जाने लगे कि दशकों से जारी शिक्षकों की कमी के मंडराते बादल पीयू के सिर से छठेंगे. लेकिन हैरत की बात है राज्यपाल से लेकर सीएम और शिक्षा सचिव के दौरों के बाद भी अब तलक शिक्षकों के बाट जोहते पीयू की स्थिति आज भी जस की तस है.

नया प्रवेश चालू
नया प्रवेश चालू

क्या कहता है यूजीसी का सर्कुलर...
यूजीसी ने नए सर्कुलर जारी कर शैक्षणिक संस्थानों को अविलंब रिक्त पदों को भर शिक्षकों की कमी को दूर करने के सख्त आदेश है. ऐसा न करने पर इसे यूजीसी अपने मानदंडों का उल्लंघन मानेगी. शैक्षणिक गुणवत्ता निम्न होने पर आर्थिक मदद के सारे रास्ते रोक सकती है. बावजूद इसके अभी तक शिक्षकों की बहाली नहीं की जा सकी है. बता दें कि जिले में पूर्णिया विवि के अंतर्गत 15 कॉलेजों में शिक्षकों की घोर कमी है.

स्टूडेंट 10 हजार, शिक्षक सिर्फ 21
आलम ये है कि नई सुबह की राह ताक रहे पूर्णिया कॉलेज में इस वक्त 100 से115 शिक्षकों की जरूरत है. यहां 10 हजार स्टूडेंट्स पर महज 19 शिक्षक हैं. इस हिसाब से 476 स्टूडेंट्स के लिए महज एक शिक्षक से काम चलाया जा रहा है. इनमें से 2 गेस्ट फैकल्टी है. वहीं 2 से 3 शिक्षक पिछले कुछ वक्त से डेप्युटेशन पर हैं. मतलब साफ है कि 2 अन्य विषयों का अतिरिक्त बोझ दो ऐसे शिक्षकों के कंधों पर है, जो इसके विषय विशेषज्ञ नहीं हैं. वहीं, 53 प्रोफेसरों के पद पहले से रिक्त पड़े हैं. 5 नए विषय जोड़े जाने के बाद 35 और टीचरों की जरूरत है.

जब शिक्षक ही नहीं तो क्यों आएं कॉलेज- छात्र
जब शिक्षक ही नहीं तो क्यों आएं कॉलेज- छात्र

सरकार की बेरुखी से गेस्ट फैकल्टी पर भी आफत...
ईटीवी से खास बातचीत में पूर्णिया कॉलेज प्रोफेसर डॉ. मिथिलेश मिश्र से खासबात की. वे बताते हैं राष्ट्रकवि दिनकर की प्रसिद्ध कृति 'रश्मिरथी' की रचना का साक्षी पूर्णिया कॉलेज में इंटर ,ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन की पढ़ाई होती है. इंटर, ग्रेजुएशन ,पोस्ट ग्रेजुएशन की पढ़ाई को मिलाकर 10 हजार बच्चे हैं. सालों से 53 प्रोफेसरों के पद रिक्त पड़े हैं. लेकिन अब तक बहाली नहीं की जा सकी है. लिहाजा, शिक्षकों की कमी को देखते हुए गेस्ट फैकल्टी को बुलाया गया था. राज्य सरकार ने आर्थिक मदद पर रोक लगा दी इसके बाद उनके वेतन का भुगतान नहीं हो पाया.

पेश है खास रिपोर्ट

अधूरी रह गई प्रोफेसर की सहयोगी के साथ की तमन्ना...
नाम जाहिर न करने की शर्त पर पीयू के इतिहास के प्रोफेसर बताते हैं कि उन्हें जॉब करते हुए आज दशक गुजरने को है. 32 की उम्र में इतिहास के बतौर अस्सिटेंट प्रोफेसर बहाल यह शिक्षक 54 साल के दहलीज पर कदम रख चुके हैं. बच्चों के साथ ही दशकों से इन्हें भी अपने काम में हाथ बंटाने वाले इतिहास के प्रोफेसर की जरूरत है. लेकिन इनकी ये तमन्ना कोरे कागज पर सिमट कर रह गई है. कुल मिलाकर इतिहास के एकमात्र शिक्षक यही हैं, जिनके भरोसे इंटरमीडिएट, स्नातक, स्नातकोत्तर के 10 हजार स्टूडेंट्स की रेलगाड़ी रेंग रही है. कुछ यही हाल बाकी विषयों का भी है.

बस उपस्थिति दर्ज कराने आते हैं कॉलेज
बस उपस्थिति दर्ज कराने आते हैं कॉलेज

तो इसलिए कॉलेज नहीं आते छात्र....
छात्र बताते हैं कि सीमांचल और कोसी समेत भागलपुर को मिलाकर तकरीबन 70 हजार स्टूडेंट्स पीयू में पढ़ते हैं. वहीं, बात पूर्णिया कॉलेज और महिला कॉलेज की हो तो ये मॉडल कॉलेजों में गिने जाते हैं. इन मॉडल कॉलेजों को छात्रों की कमी नहीं है. एडमिशन का क्रेज ऐसा कि आज भी सीमांचल और कोसी सहित भागलपुर के छात्र यहां दाखिला लेने को बेताब दिखते हैं. इसी बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि जब मॉडल कॉलेजों का हाल इतना बेहाल है, तो बाकी कॉलेजों का क्या होगा. छात्र कॉलेज सिर्फ इसलिए नहीं जाते क्योंकि पर्याप्त शिक्षक नहीं है. छात्र क्लासरूम में मक्खियां मार अपना समय नहीं बर्बाद करना चाहते.

1. पूर्णिया कॉलेज

  • यह एक मॉडल कॉलेज है. यहां 10 हजार स्टूडेंट्स पर महज 19 शिक्षक हैं. इनमें से 2 गेस्ट फैकल्टी है.
  • इस हिसाब से 476 स्टूडेंट्स पर महज एक शिक्षक हैं. 53 प्रोफेसरों के पद सृजित हैं.
  • हालांकि 100-115 शिक्षको की जरूरत है. स्मार्ट क्लास है लेकिन शिक्षकों की कमी है.
  • लिहाजा, रोजाना नियमित क्लास नहीं होती. अत्याधुनिक लैब नहीं है.
  • नल खराब पड़े हैं. पेयजल सुविधा नहीं है.
    कॉलेज परिसर
    कॉलेज परिसर

2. महिला कॉलेज

  • 3 हजार छात्राओं पर महज 12 प्रोफेसर हैं.
  • इसी हिसाब से 246 स्टूडेंट्स के लिए महज एक शिक्षक.
  • यहां लैब नहीं और इसके शिक्षक बहाल हैं. यह भी एक मॉडल कॉलेज है.
  • जहां पूर्णिया ही नहीं अरिरिया, कटिहार ,किशनगंज ,सुपौल, मधेपुरा व भागलपुर की छात्राएं पढ़ती हैं.
  • यहां छात्रावास की कमी है.

3.जीएलएम कॉलेज बनमनखी

  • बीए आर्ट्स , साइंस और वाणिज्य को मिलाकर 2 हजार छात्रों के लिए 40 प्रोफेसरों की जरूरत है.
  • वर्तमान में सिर्फ 8 शिक्षकों से काम लिया जा रहा है. 32 शिक्षकों के पद अब तक रिक्त पड़े हैं.
  • वहीं 30 क्लासरूम की जरूरत है. मगर इस वक्त सिर्फ 8 क्लासरूम हैं.
  • इसके अलावा प्रिंसिपल डॉ अनंत प्रसाद गुप्ता के मुताबिक बेसिक इंफ्रास्ट्रक्चर, साइंस लैब, छात्रावास नदारद है.
    मॉडल कॉलेज की बुनियाद
    मॉडल कॉलेज की बुनियाद

4. डिग्री कॉलेज संझाघाट,धमदाहा

  • 1500 छात्र पर प्रिंसिपल के अलावा महज 5 प्रोफेसर हैं, जबकि 31 प्रोफेसरों की जरूरत है.
  • प्रिंसिपिल कक्ष सहित क्लासरूम, स्टाफ रूम, लैब, लाइब्रेरी, बैठने की मेज के अलावा बिजली और शुद्ध पेय जल जैसी बेसिक इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी से जूझ रहा है.

5. एलएल आर्या कॉलेज, कसबा

  • यहां इंटर और डिग्री स्तर की पढ़ाई होती है.
  • कला, विज्ञान और वाणिज्य को मिलाकर 7 हजार स्टूडेंट्स पर महज 16 शिक्षक हैं. 26 शिक्षकों के पद रिक्त हैं.
  • लैब की सुविधा नहीं है.

6. राजकीय अनुमंडल कॉलेज बायसी

  • यहां 24 विषयों की पढ़ाई होती है. इस हिसाब से 2500 स्टूडेंट्स पर कम से कम 24 शिक्षक होने थे. लेकिन सिर्फ 5 शिक्षकों से काम लिया जा रहा है.
  • न बिजली की व्यवस्था है. न पर्याप्त संख्या में मेज हैं, लैब तो दूर की बात है.

7. आर एल कॉलेज माधवनगर, धमदाहा

  • 2 हजार छात्रों पर महज 6 शिक्षक हैं. 26 प्रोफेसरों के पद अब तक रिक्त पड़े हैं.
  • इस हिसाब से इतने छात्र कॉलेज पहुंच जाते हैं कि मेज और कमरों की संख्या कम पड़ जाती है. यह निर्माण प्रक्रिया में है.

इनके अलावा ये कॉलेज भी शिक्षकों की भारी कमी से जूझ रहे हैं. लैब ,पर्याप्त कमरे और मेज घोर समस्या है.
8. के बी झा कॉलेज
9. डी एस कॉलेज ,कटिहार
10. फारबिसगंज कॉलेज
11. अररिया कॉलेज
12. मारवाडी कॉलेज, किसान
13. नहरू कॉलेज
14. एम जे एम एम कॉलेज, कटिहार
15. आर डी एस कॉलेज ,सालमारी

ऐसे में बिहार सरकार कब पूर्णिया विश्वविद्यालय की दयनीय स्थिति पर अपनी नजर घुमाती है. ये तो आने वाला वक्त बताएगा.

पूर्णिया: एक तरफ देश में नई शिक्षा नीति-2019 को अमल में लाए जाने की कवायदे जारी हैं. तो दूसरी तरह बिहार के तमाम कॉलेज शिक्षकों की भारी कमी से जूझ रहे हैं. कुछ ऐसी ही स्थिति पूर्णिया विश्वविद्यालय की है. जिसके अंतर्गत आने वाले सभी कॉलजों में शिक्षकों की भारी कमी है. आश्चर्य की बात है कि जिस पीयू को आधुनिक नालंदा की संज्ञा दी जाती है, वहां तकरीबन 70 हजार छात्रों के भविष्य की गाड़ी महज 130 शिक्षकों के कंधों पर है.

दरअसल, साल 2018 में पूर्णिया विश्वविद्यालय के स्थापना के साथ ही ऐसे कयास लगाए जाने लगे कि दशकों से जारी शिक्षकों की कमी के मंडराते बादल पीयू के सिर से छठेंगे. लेकिन हैरत की बात है राज्यपाल से लेकर सीएम और शिक्षा सचिव के दौरों के बाद भी अब तलक शिक्षकों के बाट जोहते पीयू की स्थिति आज भी जस की तस है.

नया प्रवेश चालू
नया प्रवेश चालू

क्या कहता है यूजीसी का सर्कुलर...
यूजीसी ने नए सर्कुलर जारी कर शैक्षणिक संस्थानों को अविलंब रिक्त पदों को भर शिक्षकों की कमी को दूर करने के सख्त आदेश है. ऐसा न करने पर इसे यूजीसी अपने मानदंडों का उल्लंघन मानेगी. शैक्षणिक गुणवत्ता निम्न होने पर आर्थिक मदद के सारे रास्ते रोक सकती है. बावजूद इसके अभी तक शिक्षकों की बहाली नहीं की जा सकी है. बता दें कि जिले में पूर्णिया विवि के अंतर्गत 15 कॉलेजों में शिक्षकों की घोर कमी है.

स्टूडेंट 10 हजार, शिक्षक सिर्फ 21
आलम ये है कि नई सुबह की राह ताक रहे पूर्णिया कॉलेज में इस वक्त 100 से115 शिक्षकों की जरूरत है. यहां 10 हजार स्टूडेंट्स पर महज 19 शिक्षक हैं. इस हिसाब से 476 स्टूडेंट्स के लिए महज एक शिक्षक से काम चलाया जा रहा है. इनमें से 2 गेस्ट फैकल्टी है. वहीं 2 से 3 शिक्षक पिछले कुछ वक्त से डेप्युटेशन पर हैं. मतलब साफ है कि 2 अन्य विषयों का अतिरिक्त बोझ दो ऐसे शिक्षकों के कंधों पर है, जो इसके विषय विशेषज्ञ नहीं हैं. वहीं, 53 प्रोफेसरों के पद पहले से रिक्त पड़े हैं. 5 नए विषय जोड़े जाने के बाद 35 और टीचरों की जरूरत है.

जब शिक्षक ही नहीं तो क्यों आएं कॉलेज- छात्र
जब शिक्षक ही नहीं तो क्यों आएं कॉलेज- छात्र

सरकार की बेरुखी से गेस्ट फैकल्टी पर भी आफत...
ईटीवी से खास बातचीत में पूर्णिया कॉलेज प्रोफेसर डॉ. मिथिलेश मिश्र से खासबात की. वे बताते हैं राष्ट्रकवि दिनकर की प्रसिद्ध कृति 'रश्मिरथी' की रचना का साक्षी पूर्णिया कॉलेज में इंटर ,ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन की पढ़ाई होती है. इंटर, ग्रेजुएशन ,पोस्ट ग्रेजुएशन की पढ़ाई को मिलाकर 10 हजार बच्चे हैं. सालों से 53 प्रोफेसरों के पद रिक्त पड़े हैं. लेकिन अब तक बहाली नहीं की जा सकी है. लिहाजा, शिक्षकों की कमी को देखते हुए गेस्ट फैकल्टी को बुलाया गया था. राज्य सरकार ने आर्थिक मदद पर रोक लगा दी इसके बाद उनके वेतन का भुगतान नहीं हो पाया.

पेश है खास रिपोर्ट

अधूरी रह गई प्रोफेसर की सहयोगी के साथ की तमन्ना...
नाम जाहिर न करने की शर्त पर पीयू के इतिहास के प्रोफेसर बताते हैं कि उन्हें जॉब करते हुए आज दशक गुजरने को है. 32 की उम्र में इतिहास के बतौर अस्सिटेंट प्रोफेसर बहाल यह शिक्षक 54 साल के दहलीज पर कदम रख चुके हैं. बच्चों के साथ ही दशकों से इन्हें भी अपने काम में हाथ बंटाने वाले इतिहास के प्रोफेसर की जरूरत है. लेकिन इनकी ये तमन्ना कोरे कागज पर सिमट कर रह गई है. कुल मिलाकर इतिहास के एकमात्र शिक्षक यही हैं, जिनके भरोसे इंटरमीडिएट, स्नातक, स्नातकोत्तर के 10 हजार स्टूडेंट्स की रेलगाड़ी रेंग रही है. कुछ यही हाल बाकी विषयों का भी है.

बस उपस्थिति दर्ज कराने आते हैं कॉलेज
बस उपस्थिति दर्ज कराने आते हैं कॉलेज

तो इसलिए कॉलेज नहीं आते छात्र....
छात्र बताते हैं कि सीमांचल और कोसी समेत भागलपुर को मिलाकर तकरीबन 70 हजार स्टूडेंट्स पीयू में पढ़ते हैं. वहीं, बात पूर्णिया कॉलेज और महिला कॉलेज की हो तो ये मॉडल कॉलेजों में गिने जाते हैं. इन मॉडल कॉलेजों को छात्रों की कमी नहीं है. एडमिशन का क्रेज ऐसा कि आज भी सीमांचल और कोसी सहित भागलपुर के छात्र यहां दाखिला लेने को बेताब दिखते हैं. इसी बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि जब मॉडल कॉलेजों का हाल इतना बेहाल है, तो बाकी कॉलेजों का क्या होगा. छात्र कॉलेज सिर्फ इसलिए नहीं जाते क्योंकि पर्याप्त शिक्षक नहीं है. छात्र क्लासरूम में मक्खियां मार अपना समय नहीं बर्बाद करना चाहते.

1. पूर्णिया कॉलेज

  • यह एक मॉडल कॉलेज है. यहां 10 हजार स्टूडेंट्स पर महज 19 शिक्षक हैं. इनमें से 2 गेस्ट फैकल्टी है.
  • इस हिसाब से 476 स्टूडेंट्स पर महज एक शिक्षक हैं. 53 प्रोफेसरों के पद सृजित हैं.
  • हालांकि 100-115 शिक्षको की जरूरत है. स्मार्ट क्लास है लेकिन शिक्षकों की कमी है.
  • लिहाजा, रोजाना नियमित क्लास नहीं होती. अत्याधुनिक लैब नहीं है.
  • नल खराब पड़े हैं. पेयजल सुविधा नहीं है.
    कॉलेज परिसर
    कॉलेज परिसर

2. महिला कॉलेज

  • 3 हजार छात्राओं पर महज 12 प्रोफेसर हैं.
  • इसी हिसाब से 246 स्टूडेंट्स के लिए महज एक शिक्षक.
  • यहां लैब नहीं और इसके शिक्षक बहाल हैं. यह भी एक मॉडल कॉलेज है.
  • जहां पूर्णिया ही नहीं अरिरिया, कटिहार ,किशनगंज ,सुपौल, मधेपुरा व भागलपुर की छात्राएं पढ़ती हैं.
  • यहां छात्रावास की कमी है.

3.जीएलएम कॉलेज बनमनखी

  • बीए आर्ट्स , साइंस और वाणिज्य को मिलाकर 2 हजार छात्रों के लिए 40 प्रोफेसरों की जरूरत है.
  • वर्तमान में सिर्फ 8 शिक्षकों से काम लिया जा रहा है. 32 शिक्षकों के पद अब तक रिक्त पड़े हैं.
  • वहीं 30 क्लासरूम की जरूरत है. मगर इस वक्त सिर्फ 8 क्लासरूम हैं.
  • इसके अलावा प्रिंसिपल डॉ अनंत प्रसाद गुप्ता के मुताबिक बेसिक इंफ्रास्ट्रक्चर, साइंस लैब, छात्रावास नदारद है.
    मॉडल कॉलेज की बुनियाद
    मॉडल कॉलेज की बुनियाद

4. डिग्री कॉलेज संझाघाट,धमदाहा

  • 1500 छात्र पर प्रिंसिपल के अलावा महज 5 प्रोफेसर हैं, जबकि 31 प्रोफेसरों की जरूरत है.
  • प्रिंसिपिल कक्ष सहित क्लासरूम, स्टाफ रूम, लैब, लाइब्रेरी, बैठने की मेज के अलावा बिजली और शुद्ध पेय जल जैसी बेसिक इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी से जूझ रहा है.

5. एलएल आर्या कॉलेज, कसबा

  • यहां इंटर और डिग्री स्तर की पढ़ाई होती है.
  • कला, विज्ञान और वाणिज्य को मिलाकर 7 हजार स्टूडेंट्स पर महज 16 शिक्षक हैं. 26 शिक्षकों के पद रिक्त हैं.
  • लैब की सुविधा नहीं है.

6. राजकीय अनुमंडल कॉलेज बायसी

  • यहां 24 विषयों की पढ़ाई होती है. इस हिसाब से 2500 स्टूडेंट्स पर कम से कम 24 शिक्षक होने थे. लेकिन सिर्फ 5 शिक्षकों से काम लिया जा रहा है.
  • न बिजली की व्यवस्था है. न पर्याप्त संख्या में मेज हैं, लैब तो दूर की बात है.

7. आर एल कॉलेज माधवनगर, धमदाहा

  • 2 हजार छात्रों पर महज 6 शिक्षक हैं. 26 प्रोफेसरों के पद अब तक रिक्त पड़े हैं.
  • इस हिसाब से इतने छात्र कॉलेज पहुंच जाते हैं कि मेज और कमरों की संख्या कम पड़ जाती है. यह निर्माण प्रक्रिया में है.

इनके अलावा ये कॉलेज भी शिक्षकों की भारी कमी से जूझ रहे हैं. लैब ,पर्याप्त कमरे और मेज घोर समस्या है.
8. के बी झा कॉलेज
9. डी एस कॉलेज ,कटिहार
10. फारबिसगंज कॉलेज
11. अररिया कॉलेज
12. मारवाडी कॉलेज, किसान
13. नहरू कॉलेज
14. एम जे एम एम कॉलेज, कटिहार
15. आर डी एस कॉलेज ,सालमारी

ऐसे में बिहार सरकार कब पूर्णिया विश्वविद्यालय की दयनीय स्थिति पर अपनी नजर घुमाती है. ये तो आने वाला वक्त बताएगा.

Intro:आकाश कुमार (पूर्णिया)
exclusive ground report

एक तरफ देश में नई शिक्षा नीति 2019 को अमल में लाए जाने की कवायदे जारी हैं। तो दूसरी तरह सूबे के तमाम कॉलेज शिक्षकों की भारी कमी से जूझ रहे हैं। कुछ ऐसी ही स्थिति पूर्णिया विश्वविद्यालय की है। जिसके अंदर आने वाले सभी
15 कॉलेजों में शिक्षकों की भारी कमी है। ताज्जुब की बात है जिस पीयू को आधुनिक नालन्दा की संज्ञा दी जा रही है। ऐसे
विवि में तकरीबन 70 हजार छात्रों के भविष्य की गाड़ी महज 130 शिक्षकों के भरोसे रेंग रही है। पेश है पूर्णिया से बुनियादी शैक्षणिक जरूरतों से जूझते पीयू की बदहाली पर एक 'महारिपोर्ट'-




Body:शिक्षकों की कमी से जूझ रहा नया नालन्दा...

दरअसल साल 2018 में पूर्णिया विश्वविद्यालय के स्थापना के साथ ही ऐसे कयास लगाए जाने लगे कि दशकों से जारी शिक्षकों की कमी के मंडराते बादल पीयू के सर से छठेंगे। लिहाजा शिक्षकों की कमी जैसे बुनियादी सुविधाओं से जद्दोजेहद करते पीयू के अच्छे दिन आने वाले हैं। मगर हैरत की बात है राज्यपाल से लेकर सीएम और शिक्षा सचिव के दौरों के बाद भी अब तलक शिक्षकों के बाट जोहते पीयू में आज तलक शिक्षकों की कमी की समस्या से पार नहीं पाया जा सका है।


क्या कहता है यूजीसी का सर्कुलर...


वह भी तब जब यूजीसी ने नए सर्कुलर जारी कर शैक्षणिक संस्थानों को अविलंब रिक्त पदों को भर शिक्षकों की कमी को दूर करने के सख्त आदेश है। ऐसा न करने पर इसे यूजीसी अपने मानदंडों का उलंघन मानेगी। शैक्षणिक गुणवत्ता निम्न होने पर
आर्थिक मदद के सारे रास्ते रोक सकती है।


स्टूडेंट 10 हजार शिक्षक सिर्फ 21.....

आलम है नए सबेरे की राह तक रहे पूर्णिया कॉलेज में इस वक़्त 100-115 शिक्षकों की जरूरत है। मगर आपको यह जानकर ताज्जुब होगा कि यहां 10 हजार स्टूडेंट्स पर महज 19 शिक्षक हैं। इस हिसाब से 476 स्टूडेंट्स के लिए महज एक शिक्षक से काम चलाया जा रहा है। इनमें से 2 गेस्ट फैकल्टी है। वहीं 2-3 शिक्षक पिछले कुछ वक्त से डेपुटेशन पर हैं। मतलब साफ है कि 2 अन्य विषयों का अतिरिक्त बोझ दो ऐसे शिक्षकों के कंधे है जो इसके विषय विशेषज्ञ नहीं। वहीं 53 प्रोफेसरों के पद पहले से रिक्त पड़े हैं। 5 नए विषय जोड़े जाने के बाद 35 और टीचरों की जरूरत है। मगर अब भी महज 19 शिक्षकों के भरोसे यहां की शिक्षा व्यवस्था बेपटरी होकर रेंग रही है।


सरकार की बेरुखी से गेस्ट फैकल्टी पर भी आफत...

ईटीवी से खास बातचीत में पूर्णिया कॉलेज प्रोफेसर डॉक्टर मिथिलेश मिश्र से खासबात की। वे बताते हैं राष्ट्रकवि दिनकर की प्रसिद्ध कृति 'रश्मिरथी' की रचना का साक्षी पूर्णिया कॉलेज में इंटर ,ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन की पढ़ाई होती है। इंटर, ग्रेजुएशन ,पोस्ट ग्रेजुएशन की पढ़ाई को मिलाकर 10 हजार बच्चे हैं। सालों से 53 प्रोफेसरों के पद रिक्त पड़े हैं मगर अब तक बहाली नहीं की जा सकी है। लिहाजा शिक्षकों की कमी को देखते हुए गेस्ट फैकल्टी को बुलाया गया था। मगर राज्य सरकार ने आर्थिक मदद पर रोक लगा दी। जिससे इनका पूर्व का पैसा भी बकाया है।


अधूरी रह गई प्रोफेसर की सहयोगी के साथ की तमन्ना...


नाम जाहिर न करने की शर्त पर पीयू के इतिहास के प्रोफेसर बताते हैं कि उन्हें जॉब करते हुए आज दशक गुजरने को है।
32 की उम्र में इतिहास के बतौर अस्सिटेंट प्रोफेसर बहाल यह शिक्षक 54 साल के दहलीज पर कदम रख चुके हैं। बच्चों के साथ ही दशकों से इन्हें भी अपने काम में हाथ बटाने वाले इतिहास के प्रोफेसर की जरूरत है। मगर अब तक इनकी यह तमन्ना किसी कागज की तरह कोरी है। लिहाजा इतिहास के एकमात्र शिक्षक यही हैं जिनके भरोसे इंटरमीडिएट ,स्नातक
,स्नातकोत्तर के 10000 स्टूडेंट्स की रेलगाड़ी रेंग रही है। कुछ यही हाल बाकी विषयों का भी है।


तो इसलिए कॉलेज नहीं आते बच्चे....


हैरानी की बात है कि छात्र बताते हैं कि सीमांचल व कोसी समेत भागलपुर को मिलाकर तकरीबन 70 हजार स्टूडेंट्स पीयू में पढ़ते हैं। वहीं बात पूर्णिया कॉलेज व महिला कॉलेज की हो। तो ये मॉडल कॉलेजों में गिने जाते हैं। इन मॉडल कॉलेजों को छात्रों की कमी नहीं रही। एडमिशन का क्रेज ऐसा कि आज भी सीमांचल और कोसी सहित भागलपुर के छात्र यहां दाखिला लेने को बेताब दिखते हैं। लिहाजा इसी बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि जब मॉडल कॉलेजों का हाल इतना बेहाल है तो बाकी कॉलेजों का क्या होगा। बच्चे कॉलेज सिर्फ इसलिए नहीं जाते क्योंकि पर्याप्त शिक्षक नहीं। लिहाजा क्लासरूम में मखियां मार बच्चे अपना कीमती वक़्त बर्बाद नहीं करना चाहते।



लिहाजा ईटीवी पीयू के अंदर आने वाले सभी 15 कॉलेजों की ग्राउंड रिपोर्ट लेकर आया है...


1. पूर्णिया कॉलेज- यह एक मॉडल कॉलेज है। यहां 10000 स्टूडेंट्स पर महज 19 शिक्षक हैं। इनमें से 2 गेस्ट फैकल्टी है। इस हिसाब से 476 स्टूडेंट्स पर महज एक शिक्षक हैं। 53 प्रोफेसरों के पद सृजित हैं। हालांकि 100-115 शिक्षको की जरूरत है। स्मार्ट क्लास है मगर शिक्षकों की कमी है लिहाजा रोजाना नियमित क्लास नहीं होती। अत्याधुनिक लैब नहीं। नल खराब पड़े हैं। पीने के पानी की सुविधा नहीं।


2. महिला कॉलेज- 3000 छात्राओं पर महज 12 प्रोफेसर हैं। इसी हिसाब से 246 स्टूडेंट्स के लिए महज एक शिक्षक। यहां लैब नहीं मगर इसके शिक्षक बहाल हैं। यह भी एक मॉडल कॉलेज है। जहां पूर्णिया ही नहीं अरिरिया, कटिहार ,किशनगंज ,सुपौल, मधेपुरा व भागलपुर की छात्राएं पढ़ती हैं। इस हिसाब से यहां छात्रावास की कमी है।


3.जीएलएम कॉलेज बनमनखी - बीए आर्ट्स , साइंस व वाणिज्य को मिलाकर 2000 छात्र के लिए 40 प्रोफेसरों की जरूरत है। वर्तमान में सिर्फ 8 शिक्षकों से काम लिया जा रहा है। 32 शिक्षकों के पद अब तक रिक्त पड़े हैं। वहीं 30 क्लासरूम की जरूरत है। मगर इस वक़्त सिर्फ 8 । इसके अलावा प्रिंसिपल डॉ अनंत प्रसाद गुप्ता के मुताबिक बेसिक इंफ्रास्ट्रक्चर व साइंस लैब ,छात्रावास नदारद।


4. डिग्री कॉलेज संझाघाट , धमदाहा- 1500 छात्र पर प्रिंसिपल के अलावा महज 5 प्रोफेसर । जबकि 31 प्रोफेसर की जरूरत।
प्रिंसिपिल कक्ष सहित क्लासरूम ,स्टाफ रूम ,लैब , लाइब्रेरी, बैठने का मेज के अलावा बिजली व शुद्ध पेय जल जैसी बेसिक इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी से जूझ रहा है।


5. एलएल आर्या कॉलेज, कसबा- यहां इंटर व डिग्री स्तर की पढ़ाई होती है। कला , विज्ञान व वाणिज्य को मिलाकर 7000 स्टूडेंट्स पर महज 16 शिक्षक हैं। 26 शिक्षकों के पद रिक्त हैं।
लैब की सुविधा नहीं।

6. राजकीय अनुमंडल कॉलेज बायसी- यहां 24 विषय की पढ़ाई होती है। इस हिसाब से 2500 स्टूडेंट्स पर कम से कम 24 शिक्षक होने थे। मगर सिर्फ 5 शिक्षक से काम लिया जा रहा है।
न बिजली की व्यवस्था है न पर्याप्त संख्या में मेज है। लैब तो दूर की बात है।

7. आर एल कॉलेज माधवनगर , धमदाहा- 2000 छात्रों पर महज 6 शिक्षक हैं। 26 प्रोफेसरों के पद अब तक रिक्त पड़े हैं।
इस हिसाब से इतने छात्र कॉलेज पहुंच जाते हैं कि मेज व कमरों की संख्या कम पड़ जाती है। यह निर्माण प्रक्रिया में है।


इनके अलावा ये कॉलेज भी शिक्षकों की भारी कमी से जूझ रहे हैं। लैब ,पर्याप्त कमरा व मेज ,लैब की घोर समस्या है।


8. के बी झा कॉलेज
9. डी एस कॉलेज ,कटिहार
10. फारबिसगंज कॉलेज
11. अररिया कॉलेज
12. मारवाडी कॉलेज, किसान
13. नहरू कॉलेज
14. एम जे एम एम कॉलेज, कटिहार
15. आर डी एस कॉलेज ,सालमारी





Conclusion:बहरहाल जिस राज्य के सीएम बाढ़ और सुखाड़ की व्यस्तता का हवाला दे नई शिक्षा नीति से बचते नजर आएंगे। वहां के शैक्षणिक संस्थानों से ऐसी ही तस्वीरें सामने आएंगी।


कॉलेज सीट संबंधी डाटा का स्त्रोत- पूर्णिया कॉलेज प्रिंसिपल व अन्य 3 कॉलेज के प्रिंसिपिल से प्राप्त एक्सक्लूसिव डेटा ।
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