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पूर्णिया: लाइन बाजार बना फर्जी अस्पतालों का अड्डा, चोरी-छिपे अस्पतालों में चल रहा कोविड मरीजों का इलाज - undefined

जिले के लाइन बाजार को मेडिकल हब के रूप में जाना जाता है. नर्सिंग होम से लेकर निजी अस्पताल, अल्ट्रासाउंड, एक्स-रे समेत मेडिसिन की सैकड़ों दुकानें है. लेकिन अस्पताल से मिले रिकॉर्ड के मुताबिक इनमें से ज्यादातर बगैर किसी लाइसेंस के चलाए जा रहे हैं.

पूर्णिया
लाइन बाजार बना फर्जी अस्पतालों का अड्डा
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Published : May 23, 2021, 6:14 PM IST

पूर्णिया: मेडिकल हब के नाम से मशहूर लाइन बाजार फर्जी अस्पतालों का अड्डा बन गया है. जहां धड़ल्ले से सैकड़ों गैर निबंधित अस्पताल चल रहे हैं. स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक इन फर्जी क्लीनिक और अस्पतालों की संख्या 400 के करीब है. जहां कोरोना काल में इलाज के नाम पर पैसे ऐंठने का खेल जारी है.

हैरत की बात यह है कि बगैर निबंधन के ऐसे कई अस्पतालों में चोरी-छिपे कोरोना मरीजों का इलाज तक किया जा रहा है और सिस्टम को इसकी खबर तक नहीं. जबकि लाइन बाजार में 37 नर्सिंग होम और अस्पताल ही रजिस्टर्ड हैं.

ये भी पढ़ें...कोविड-19 की आड़ में मनमाना शुल्क वसूल रहे सात अस्पतालों का STF ने खोला काला चिट्ठा

फर्जी अस्पतालों का हब बना लाइन बाजारदरअसल, आए दिन मेडिकल हब से किसी ना किसी मरीज की मौत की खबर आती है. कम अनुभवी निजी डॉक्टर की चूक के कारण यहां आए दिनों मरीज की मौत के बाद परिजन जमकर हंगामा मचाते हैं. कोविड काल में ही ऐसे कई मामले आए जिससे ऐसे अस्पतालों में कोविड मरीज के अवैध इलाज का खुलासा हुआ.

ये भी पढ़ें...पटना: स्वास्थ्य मंत्री का दावा- बिहार में संक्रमण के दर में कमी, तीसरे लहर की आशंका को लेकर अस्पतालों में तैयारी

चोरी-छिपे चल रहा कोविड मरीजों का इलाज
आज से कुछ दिन पहले ही लाइन बाजार चौक स्थित सेंसफोर्ड नामक एक निजी अस्पताल में अररिया जिले के कोचाधामन के एक कोविड-19 मरीज का चोरी-छिपे इलाज चल रहा था. इसकी सूचना स्वास्थ्य विभाग को भी नहीं दी गई थी. इलाज के दौरान कोविड मरीज की मौत हो गई. जिसके बाद मृतक के परिजनों ने इसकी शिकायत सिविल सर्जन से की.

गठित जांच टीम जब अस्पताल पहुंची तो वहां का नजारा देख कर जांच टीम के होश ही उड़ गए. अस्पताल में एक भी डॉक्टर या कर्मचारी नहीं था. वेंटिलेटर और ऑक्सीजन के नाम पर रूम में सिर्फ एक साधारण बेड लगा हुआ था. जहां कई मरीजों का फर्जी इलाज भी चल रहा था.

3 मामलों ने खोली फर्जी अस्पतालों की पोल
सीएस डॉ एसके वर्मा ने अस्पताल पर फौरन कार्रवाई करते हुए इसके संचालक के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के आदेश दिए. जिसके बाद कार्रवाई से बिफरे अस्पताल संचालक अवधेश साहनी ने सिविल सर्जन और डीएम को देख लेने की धमकी तक दे डाली. वहीं, इससे पूर्व भी लाइन बाजार के मेडिसिटी से ऐसे ही घटना सामने आई थी. जिसमें अस्पताल फर्जी निकला था.

बगैर निबंधन के चल रहे इस अस्पताल को सीज करने का आदेश जारी हुआ. लेकिन बाद में मामले की लीपापोती कर दी गई. वहीं, कोविड से पीड़ित पिता की मौत के बाद बिलखते बेटे का एक वीडियो तेजी से वायरल हुआ. जिसमें एक अन्य अस्पताल की दुर्दशा सामने आई थी.

350 से अधिक अस्पताल और नर्सिंग होम फर्जी
ऐसे में ईटीवी भारत ने जब रजिस्टर्ड अस्पतालों और नर्सिंग होम का रिकॉर्ड खंगाला तो 350 से अधिक अस्पताल और निजी नर्सिंग होम गैर निबंधित निकले. इतना ही नहीं डॉक्टरों में 95 फ़ीसद गैर निबंधित डॉक्टर होते हैं, जो कम अनुभव के चलते अच्छे भले मरीज को मौत के मुंह में धकेल देते हैं और खुद घटना के बाद फरार हो जाते हैं.

ऐसे फल-फूल रहा फर्जी अस्पतालों का धंधा
सूत्रों की माने तो प्राइवेट नर्सिंग होम और अस्पताल जगह-जगह अपने दलाल रखते हैं. यह दलाल जिले के मरीजों के साथ ही सीमावर्ती जिलों से आने वाले मरीजों को सस्ते इलाज का मोह देकर निजी अस्पताल और नर्सिंग होम तक खींच लाते हैं. वहींं, निबंधित नहीं होने का फायदा ऐसे अस्पतालों और नर्सिंग होम के संचालक डॉक्टरों को मिलता है.

'फर्जी निजी अस्पताल और नर्सिंग होम पर कार्यवाही की जा रही है. कुछ गैर निबंधित चिन्हित अस्पतालों और नर्सिंग होम ने निबंधन के लिए आवेदन दिए हैं. जल्द ही मानक को जांच कर इसे निबटा लिया जाएगा. वैसे चिकित्सक जो फर्जी डिग्री लेकर किसी और से क्लीनिक संचालन करवाते हैं, उनके खिलाफ भी कठोर रुख अपनाया जाएगा. फेक डिग्री वाले डॉक्टरों को किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा'.- डॉ एस के वर्मा, सिविल सर्जन

पूर्णिया: मेडिकल हब के नाम से मशहूर लाइन बाजार फर्जी अस्पतालों का अड्डा बन गया है. जहां धड़ल्ले से सैकड़ों गैर निबंधित अस्पताल चल रहे हैं. स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक इन फर्जी क्लीनिक और अस्पतालों की संख्या 400 के करीब है. जहां कोरोना काल में इलाज के नाम पर पैसे ऐंठने का खेल जारी है.

हैरत की बात यह है कि बगैर निबंधन के ऐसे कई अस्पतालों में चोरी-छिपे कोरोना मरीजों का इलाज तक किया जा रहा है और सिस्टम को इसकी खबर तक नहीं. जबकि लाइन बाजार में 37 नर्सिंग होम और अस्पताल ही रजिस्टर्ड हैं.

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फर्जी अस्पतालों का हब बना लाइन बाजारदरअसल, आए दिन मेडिकल हब से किसी ना किसी मरीज की मौत की खबर आती है. कम अनुभवी निजी डॉक्टर की चूक के कारण यहां आए दिनों मरीज की मौत के बाद परिजन जमकर हंगामा मचाते हैं. कोविड काल में ही ऐसे कई मामले आए जिससे ऐसे अस्पतालों में कोविड मरीज के अवैध इलाज का खुलासा हुआ.

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चोरी-छिपे चल रहा कोविड मरीजों का इलाज
आज से कुछ दिन पहले ही लाइन बाजार चौक स्थित सेंसफोर्ड नामक एक निजी अस्पताल में अररिया जिले के कोचाधामन के एक कोविड-19 मरीज का चोरी-छिपे इलाज चल रहा था. इसकी सूचना स्वास्थ्य विभाग को भी नहीं दी गई थी. इलाज के दौरान कोविड मरीज की मौत हो गई. जिसके बाद मृतक के परिजनों ने इसकी शिकायत सिविल सर्जन से की.

गठित जांच टीम जब अस्पताल पहुंची तो वहां का नजारा देख कर जांच टीम के होश ही उड़ गए. अस्पताल में एक भी डॉक्टर या कर्मचारी नहीं था. वेंटिलेटर और ऑक्सीजन के नाम पर रूम में सिर्फ एक साधारण बेड लगा हुआ था. जहां कई मरीजों का फर्जी इलाज भी चल रहा था.

3 मामलों ने खोली फर्जी अस्पतालों की पोल
सीएस डॉ एसके वर्मा ने अस्पताल पर फौरन कार्रवाई करते हुए इसके संचालक के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के आदेश दिए. जिसके बाद कार्रवाई से बिफरे अस्पताल संचालक अवधेश साहनी ने सिविल सर्जन और डीएम को देख लेने की धमकी तक दे डाली. वहीं, इससे पूर्व भी लाइन बाजार के मेडिसिटी से ऐसे ही घटना सामने आई थी. जिसमें अस्पताल फर्जी निकला था.

बगैर निबंधन के चल रहे इस अस्पताल को सीज करने का आदेश जारी हुआ. लेकिन बाद में मामले की लीपापोती कर दी गई. वहीं, कोविड से पीड़ित पिता की मौत के बाद बिलखते बेटे का एक वीडियो तेजी से वायरल हुआ. जिसमें एक अन्य अस्पताल की दुर्दशा सामने आई थी.

350 से अधिक अस्पताल और नर्सिंग होम फर्जी
ऐसे में ईटीवी भारत ने जब रजिस्टर्ड अस्पतालों और नर्सिंग होम का रिकॉर्ड खंगाला तो 350 से अधिक अस्पताल और निजी नर्सिंग होम गैर निबंधित निकले. इतना ही नहीं डॉक्टरों में 95 फ़ीसद गैर निबंधित डॉक्टर होते हैं, जो कम अनुभव के चलते अच्छे भले मरीज को मौत के मुंह में धकेल देते हैं और खुद घटना के बाद फरार हो जाते हैं.

ऐसे फल-फूल रहा फर्जी अस्पतालों का धंधा
सूत्रों की माने तो प्राइवेट नर्सिंग होम और अस्पताल जगह-जगह अपने दलाल रखते हैं. यह दलाल जिले के मरीजों के साथ ही सीमावर्ती जिलों से आने वाले मरीजों को सस्ते इलाज का मोह देकर निजी अस्पताल और नर्सिंग होम तक खींच लाते हैं. वहींं, निबंधित नहीं होने का फायदा ऐसे अस्पतालों और नर्सिंग होम के संचालक डॉक्टरों को मिलता है.

'फर्जी निजी अस्पताल और नर्सिंग होम पर कार्यवाही की जा रही है. कुछ गैर निबंधित चिन्हित अस्पतालों और नर्सिंग होम ने निबंधन के लिए आवेदन दिए हैं. जल्द ही मानक को जांच कर इसे निबटा लिया जाएगा. वैसे चिकित्सक जो फर्जी डिग्री लेकर किसी और से क्लीनिक संचालन करवाते हैं, उनके खिलाफ भी कठोर रुख अपनाया जाएगा. फेक डिग्री वाले डॉक्टरों को किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा'.- डॉ एस के वर्मा, सिविल सर्जन

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