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Purnea News: जमीन खाली कराने गई पुलिस को करना पड़ा भारी विरोध का सामना, बोले लोग- मर जाएंगे लेकिन हटेंगे नहीं.. - Uproar over eviction of land in Purnea

पूर्णिया पुलिस को आज अजीबोगरीब हालात का सामना करना पड़ा. वार्ड नंबर 42 आनंद नगर में आलाधिकारियों के साथ भारी पुलिस बल कोर्ट के आदेश के बाद 22 एकड़ जमीन खाली कराने गई थी. लेकिन इस दौरान जमीन पर दखल करने वाला शख्स ही मौके से नदारद रहा. वहीं 60 सालों से भी अधिक समय से इस जमीन पर घर बनाकर रह रहे तमाम लोग सड़कों पर उतर आए. लोगों ने कहा कि हम मर जाएंगे लेकिन जमीन खाली नहीं करेंगे.

Police vacating land in Purnea
Police vacating land in Purnea
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Published : May 15, 2023, 5:38 PM IST

पुलिस को करना पड़ा लोगों के विरोध का सामना

पूर्णिया: जिले के सदर थाना क्षेत्र के आनंद नगर में उस समय लोग सड़क पर उतर गए जब उन्हें जानकारी मिली कि पूर्णिया प्रशासन के द्वारा वार्ड नंबर 42 की 22 एकड़ जमीन को खाली कराने के लिए भारी संख्या में पुलिस पहुंच रही है. कोर्ट के आदेश पर पूर्णिया के एसडीओ, एसडीपीओ, सिविल कोर्ट के अधिकारी, कई वरीय पदाधिकारी के साथ-साथ भारी संख्या में पुलिस बल मौके पर पहुंची थी.

पढ़ें- Lalan Singh Mutton Party: मटन पार्टी देने वाली JDU का गिर गया है राजनीतिक स्तर- सम्राट चौधरी

पुलिस को करना पड़ा लोगों के विरोध का सामना: जमीन खाली करवाने के लिए पुलिस इतनी भारी संख्या में पहुंची थी कि आनंद नगर मोहल्ला पुलिस छावनी में तब्दील हो गया. वहीं कड़कड़ाती धूप में सड़क पर महिला, पुरुष और बच्चे डटे रहे. जमीन खाली कराने गई पुलिस को लोगों के विरोध का सामना करना पड़ा. स्थानीय लोगों ने कहा कि पिछले 50 से 60 वर्षों से वे लोग इस जमीन पर रह रहे हैं. उनके पास जमीन की रजिस्ट्री के कागजात हैं. नगर निगम और सरकार के द्वारा दी जाने वाली सारी योजनाओं का लाभ उन्हें मिलता है. आनंद नगर पहुंचे पुलिस के वरीय पदाधिकारियों के साथ-साथ सिविल कोर्ट के पदाधिकारी और एसडीओ ने स्थानीय लोगों की बातें सुनीं. साथ ही उनके पास के कागजात भी देखें.

"जिनको डिग्री जमीन की मिली है, उनको नक्शा और अमीन के साथ आज यहां रहना था. वो डिग्री दिखाते तो हमलोग दखल दिलाने का प्रयास करते. आज वे अनुपस्थिति है. अगली तिथि निर्धारित होने से पहले स्थानीय लोगों को अपनी बात कोर्ट में रखनी चाहिए."-राकेश रमन, अनुमंडल पदाधिकारी

बिना जमीन खाली कराए वापस लौटी टीम: सबसे बड़ी बात सामने आई कि जिस जमींदार ने कोर्ट से मामला जीता था, वह उस जगह पर उपस्थित नहीं था. स्थानीय लोगों ने कहा कि उन लोगों को कोर्ट से किसी प्रकार का नोटिस नहीं आया है और ना ही पुलिस प्रशासन ने इस बात की जानकारी दी है कि उनकी जमीन अवैध है. इन लोगों को जानकारी मिली कि पुलिस आज उनकी जमीन खाली करवाने के लिए पहुंच रही है. जिसके बाद सभी सड़क पर उतरे और विरोध किया. सरकारी पदाधिकारी ने भी इन लोगों की बात सुनी. लोग का कहना है कि वह लोग भी अपनी बात को रखने के लिए कोर्ट में जाएंगे. लोगों के भारी विरोध के बाद पुलिस को खाली हाथ लौटना पड़ा.

"वार्ड नंबर 42 में हम रहते हैं. हमने इस जमीन के कागज दिखाए थे कि ले सकते हैं या नहीं. फिर अंचल पदाधिकारी के पास भी आए कि जमीन खरीदना चाह रहे हैं. हमने 1989 में जमीन लिए थे. खतियान भी है. करीब 60-70 लोगों ने लिया था. जीतन यादव ने कहा कि मेरी जमीन खाली है और चंद लोगों का घर है उसे खाली कराया जाए. फर्स्ट पार्टी सही होता तो पदाधिकारी को बताता लेकिन वो आया ही नहीं. वो आदमी जाली, फ्रॉड और धोखेबाज है."- स्थानीय निवासी

"हमारी इतनी बड़ी बस्ती जिसमें 1000 घर है को उजाड़ने का प्रयास किया जा रहा है. दो व्यक्ति के बीच की लड़ाई में इस जमीन में रहने वाले लोगों को परेशानी हो रही है. लोग यहां 50 साल से रह रहे हैं, उनका क्या कसूर है. हमारे पास जमीन से जुड़े सारे कागजात मौजूद है. हमें कोई नोटिस नहीं मिला. अचानक यहां से हटाने का काम हो रहा है."- स्थानीय निवासी

"हम यहां 40 साल से हैं. रिक्शा, ठेला चलाकर परिवार का भरण पोषण करते हैं. अपनी मेहनत से जमीन ली. ब्लॉक से जमीन का रसीद भी कटा है. म्यूटेशन भी हो गया है. नगर निगम से लेकर इंदिरा आवास तक के कागजात हैं. किस कानून के तहत हमें हटाया जा रहा है. हम सभी कहां जाएंगे. हम मर जाएंगे लेकिन जगह खाली नहीं करेंगे."- इंदिरा देवी, स्थानीय

पुलिस को करना पड़ा लोगों के विरोध का सामना

पूर्णिया: जिले के सदर थाना क्षेत्र के आनंद नगर में उस समय लोग सड़क पर उतर गए जब उन्हें जानकारी मिली कि पूर्णिया प्रशासन के द्वारा वार्ड नंबर 42 की 22 एकड़ जमीन को खाली कराने के लिए भारी संख्या में पुलिस पहुंच रही है. कोर्ट के आदेश पर पूर्णिया के एसडीओ, एसडीपीओ, सिविल कोर्ट के अधिकारी, कई वरीय पदाधिकारी के साथ-साथ भारी संख्या में पुलिस बल मौके पर पहुंची थी.

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पुलिस को करना पड़ा लोगों के विरोध का सामना: जमीन खाली करवाने के लिए पुलिस इतनी भारी संख्या में पहुंची थी कि आनंद नगर मोहल्ला पुलिस छावनी में तब्दील हो गया. वहीं कड़कड़ाती धूप में सड़क पर महिला, पुरुष और बच्चे डटे रहे. जमीन खाली कराने गई पुलिस को लोगों के विरोध का सामना करना पड़ा. स्थानीय लोगों ने कहा कि पिछले 50 से 60 वर्षों से वे लोग इस जमीन पर रह रहे हैं. उनके पास जमीन की रजिस्ट्री के कागजात हैं. नगर निगम और सरकार के द्वारा दी जाने वाली सारी योजनाओं का लाभ उन्हें मिलता है. आनंद नगर पहुंचे पुलिस के वरीय पदाधिकारियों के साथ-साथ सिविल कोर्ट के पदाधिकारी और एसडीओ ने स्थानीय लोगों की बातें सुनीं. साथ ही उनके पास के कागजात भी देखें.

"जिनको डिग्री जमीन की मिली है, उनको नक्शा और अमीन के साथ आज यहां रहना था. वो डिग्री दिखाते तो हमलोग दखल दिलाने का प्रयास करते. आज वे अनुपस्थिति है. अगली तिथि निर्धारित होने से पहले स्थानीय लोगों को अपनी बात कोर्ट में रखनी चाहिए."-राकेश रमन, अनुमंडल पदाधिकारी

बिना जमीन खाली कराए वापस लौटी टीम: सबसे बड़ी बात सामने आई कि जिस जमींदार ने कोर्ट से मामला जीता था, वह उस जगह पर उपस्थित नहीं था. स्थानीय लोगों ने कहा कि उन लोगों को कोर्ट से किसी प्रकार का नोटिस नहीं आया है और ना ही पुलिस प्रशासन ने इस बात की जानकारी दी है कि उनकी जमीन अवैध है. इन लोगों को जानकारी मिली कि पुलिस आज उनकी जमीन खाली करवाने के लिए पहुंच रही है. जिसके बाद सभी सड़क पर उतरे और विरोध किया. सरकारी पदाधिकारी ने भी इन लोगों की बात सुनी. लोग का कहना है कि वह लोग भी अपनी बात को रखने के लिए कोर्ट में जाएंगे. लोगों के भारी विरोध के बाद पुलिस को खाली हाथ लौटना पड़ा.

"वार्ड नंबर 42 में हम रहते हैं. हमने इस जमीन के कागज दिखाए थे कि ले सकते हैं या नहीं. फिर अंचल पदाधिकारी के पास भी आए कि जमीन खरीदना चाह रहे हैं. हमने 1989 में जमीन लिए थे. खतियान भी है. करीब 60-70 लोगों ने लिया था. जीतन यादव ने कहा कि मेरी जमीन खाली है और चंद लोगों का घर है उसे खाली कराया जाए. फर्स्ट पार्टी सही होता तो पदाधिकारी को बताता लेकिन वो आया ही नहीं. वो आदमी जाली, फ्रॉड और धोखेबाज है."- स्थानीय निवासी

"हमारी इतनी बड़ी बस्ती जिसमें 1000 घर है को उजाड़ने का प्रयास किया जा रहा है. दो व्यक्ति के बीच की लड़ाई में इस जमीन में रहने वाले लोगों को परेशानी हो रही है. लोग यहां 50 साल से रह रहे हैं, उनका क्या कसूर है. हमारे पास जमीन से जुड़े सारे कागजात मौजूद है. हमें कोई नोटिस नहीं मिला. अचानक यहां से हटाने का काम हो रहा है."- स्थानीय निवासी

"हम यहां 40 साल से हैं. रिक्शा, ठेला चलाकर परिवार का भरण पोषण करते हैं. अपनी मेहनत से जमीन ली. ब्लॉक से जमीन का रसीद भी कटा है. म्यूटेशन भी हो गया है. नगर निगम से लेकर इंदिरा आवास तक के कागजात हैं. किस कानून के तहत हमें हटाया जा रहा है. हम सभी कहां जाएंगे. हम मर जाएंगे लेकिन जगह खाली नहीं करेंगे."- इंदिरा देवी, स्थानीय

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