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पूर्णिया: चंदा इकट्ठा कर लोगों ने बनाई सड़क, ग्रामीणों ने किया वोट बहिष्कार का ऐलान - नया विकल्प तलाश रही जनता

पूर्णिया जिले के सदर विधानसभा के दर्जनों इलाकों के लोग इसबार वोट बहिष्कार का पूरी तरह मन बना लिया है. लोगों का कहना है कि लाख कोशिशों के बाद भी यह सड़क नहीं बन सकी, जिसके बाद हजारों लोगों ने चंदा इकट्ठा कर सड़क निर्माण का बीड़ा उठाया है.

4 दशक से बदहाल सड़क.
4 दशक से बदहाल सड़क.
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Published : Oct 31, 2020, 4:25 PM IST

पूर्णिया: जिले में आगामी 7 नवंबर को सभी विधानसभा सीटों पर चुनाव होने वाला है. वहीं इससे पहले बदहाल सड़क से परेशान पूर्णिया सदर के दर्जन भर इलाके के लोगों ने वोट बहिष्कार का फैसला लिया है. दरअसल स्थानीय लोगों की नाराजगी का एक बड़ा कारण दशकों से बदहाल पड़ी सड़क है, जो दर्जनों इलाकों को जिला मुख्यालय से जोड़ती है. लिहाजा जब लाख कोशिशों के बाद भी यह सड़क नहीं बन सकी तो थक हारकर यहां रहने वाले हजारों लोगों ने चंदा इकट्ठा कर सड़क निर्माण का बीड़ा उठाया है.

सुशासन के 15 सालों में भी नहीं बन सकी सड़क
स्थानीय लोगों का कहना है कि 4 टर्म से यहां भाजपा के विधायक जीतकर आ रहे हैं. लालू राज से बदहाल सड़क सुशासन के 15 साल में भी नहीं बन सकी, जिसके चलते हजारों की आबादी को जिला मुख्यालय से जोड़ने वाली अहम हनुमानबाग लिंक रोड की किस्मत नहीं बदल सकी. वहीं इसके चलते आस-पास के इलाके का पानी कच्ची सड़क पर लबालब भर जाता है, जिस पर गाड़ियां तो दूर पैदल चलने वाले लोगों को भी भारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है.

देखें रिपोर्ट.

नया विकल्प तलाश रही जनता
स्थानीय लोगों ने बताया कि इसे लेकर वे वर्षों से सांसद और विधायक समेत दूसरे जनप्रतिनिधियों से मिल चुके हैं. उन्हें अपनी समस्याओं से अवगत करा चुके हैं. लेकिन अब तक किसी ने इस सड़क की सुध नहीं ली. आलम ये है कि महीने भर से दुर्गापुर समेत आस-पास के कच्ची सड़कों पर पानी जमा था, जिसे लेकर स्थानीयों ने लगातार जनप्रतिनिधियों से संपर्क किया. किसी नेता ने कोई रिसपॉन्स नहीं दिया, जिसके बाद स्थानीय खुद चंदा इकट्ठा कर ऊंची सड़क निर्माण करवा रहे हैं. लिहाजा इस घटनाक्रम से आहत लोगों ने इस बार एक नए विकल्प तलाशने का मन बनाया है.

इस बार पार्टी के नाम पर वोट करने से बचेंगे लोग
लोगों का कहना है कि यह हाल केवल इसी सड़क का नहीं है बल्कि मुख्य सड़क को छोड़ दी जाए तो ज्यादातर सड़कों का वर्षों से कुछ यहीं हाल है. वहीं कुछ सड़क पक्के भी हुए मगर गुणवत्ता की गड़बड़ी होने के कारण 3-4 महीने के भीतर ही ऐसे सड़कों ने दम तोड़ दिया. वहीं शहर में कई ऐसी सड़क है, जिसका शिलान्यास तो वर्षों पहले हो गया मगर अब तक इन शिलालेखों की सड़कें अपने निर्माण की बाट जोह रही है. लिहाजा इस बार सभी ने तय कर लिया है कि पार्टी के नाम पर वे वोट नहीं देंगे.

पूर्णिया: जिले में आगामी 7 नवंबर को सभी विधानसभा सीटों पर चुनाव होने वाला है. वहीं इससे पहले बदहाल सड़क से परेशान पूर्णिया सदर के दर्जन भर इलाके के लोगों ने वोट बहिष्कार का फैसला लिया है. दरअसल स्थानीय लोगों की नाराजगी का एक बड़ा कारण दशकों से बदहाल पड़ी सड़क है, जो दर्जनों इलाकों को जिला मुख्यालय से जोड़ती है. लिहाजा जब लाख कोशिशों के बाद भी यह सड़क नहीं बन सकी तो थक हारकर यहां रहने वाले हजारों लोगों ने चंदा इकट्ठा कर सड़क निर्माण का बीड़ा उठाया है.

सुशासन के 15 सालों में भी नहीं बन सकी सड़क
स्थानीय लोगों का कहना है कि 4 टर्म से यहां भाजपा के विधायक जीतकर आ रहे हैं. लालू राज से बदहाल सड़क सुशासन के 15 साल में भी नहीं बन सकी, जिसके चलते हजारों की आबादी को जिला मुख्यालय से जोड़ने वाली अहम हनुमानबाग लिंक रोड की किस्मत नहीं बदल सकी. वहीं इसके चलते आस-पास के इलाके का पानी कच्ची सड़क पर लबालब भर जाता है, जिस पर गाड़ियां तो दूर पैदल चलने वाले लोगों को भी भारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है.

देखें रिपोर्ट.

नया विकल्प तलाश रही जनता
स्थानीय लोगों ने बताया कि इसे लेकर वे वर्षों से सांसद और विधायक समेत दूसरे जनप्रतिनिधियों से मिल चुके हैं. उन्हें अपनी समस्याओं से अवगत करा चुके हैं. लेकिन अब तक किसी ने इस सड़क की सुध नहीं ली. आलम ये है कि महीने भर से दुर्गापुर समेत आस-पास के कच्ची सड़कों पर पानी जमा था, जिसे लेकर स्थानीयों ने लगातार जनप्रतिनिधियों से संपर्क किया. किसी नेता ने कोई रिसपॉन्स नहीं दिया, जिसके बाद स्थानीय खुद चंदा इकट्ठा कर ऊंची सड़क निर्माण करवा रहे हैं. लिहाजा इस घटनाक्रम से आहत लोगों ने इस बार एक नए विकल्प तलाशने का मन बनाया है.

इस बार पार्टी के नाम पर वोट करने से बचेंगे लोग
लोगों का कहना है कि यह हाल केवल इसी सड़क का नहीं है बल्कि मुख्य सड़क को छोड़ दी जाए तो ज्यादातर सड़कों का वर्षों से कुछ यहीं हाल है. वहीं कुछ सड़क पक्के भी हुए मगर गुणवत्ता की गड़बड़ी होने के कारण 3-4 महीने के भीतर ही ऐसे सड़कों ने दम तोड़ दिया. वहीं शहर में कई ऐसी सड़क है, जिसका शिलान्यास तो वर्षों पहले हो गया मगर अब तक इन शिलालेखों की सड़कें अपने निर्माण की बाट जोह रही है. लिहाजा इस बार सभी ने तय कर लिया है कि पार्टी के नाम पर वे वोट नहीं देंगे.

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