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पूर्णिया के पार्थ मंडल अपने स्टार्टअप के जरिए प्रवासी मजदूरों को दे रहे हैं रोजगार - Partha Mandal started startup

पार्थ ने बताया कि पढ़ाई के दौरान ही उन्होंने यह सोच रखा था कि आगे वे एक स्टार्टअप शुरू करेंगे. इसके बाद उद्योग विभाग से सीएम एससी/एसटी उद्यमी योजना की सभी 3 किस्त रेडीमेड गारमेंट्स से जुड़े स्टार्टअप के लिए रिलीज कर दी गई. शेड डेवलप किए जाने के साथ ही मशीन भी फिक्स हो गए.

पूर्णिया
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Published : Jun 12, 2020, 6:51 PM IST

पूर्णिया: कहते हैं बुलंद हौसले हर मुश्किल राहें आसान कर देतीं हैं. इन पंक्तियों को सच कर दिखाया है, लालगंज के लाल पार्थ मंडल ने. दरसअल, एक तरह जहां कोरोना काल में जाने कितनों की नौकरियां चली गईं. वहींं, इन सब से अलग इंजीनियरिंग के छात्र पार्थ ने प्रवासी मजदूरों का दर्द भांपकर मोटी सैलरी वाली नौकरी छोड़कर कोरोना महामारी में अत्यंत आवश्यक प्रोडक्ट मास्क निर्माण का स्टार्टअप शुरू कर 28 ग्रामीणों को रोजगारी दे रहे हैं.

पूर्णिया
स्टार्टअप इनोवेटर पार्थ मंडल

महज 26 साल के पार्थ बने प्रवासी मजदूरों का सहारा
जिला मुख्यालय से 7 किलोमीटर दूर लालगंज पंचायत निवासी पार्थ मंडल भले ही सुदूर ग्रामीण बस्ती में रहते हों. लेकिन पेशे से इंजीनियरिंग के छात्र रहे पार्थ की सोच हाईटेक है. बता दें कि महज 26 साल के पार्थ ने राज्य सरकार की अनुसूचित जाति-जनजाति उद्यमी योजना का लाभ लेकर प्रवासी मजदूरों की बेरोजगारी का नायाब तोड़ ढूंढ़ निकाला है. जिसकी लालगंज में ही नहीं बल्कि समूचे सूबे में तारीफ हो रही है. बीते 11 जून को राजधानी पटना में संपन्न हुई विभागीय मीटिंग में पार्थ के कार्य की तारीफ करते हुए इस मॉडल को अब समूचे सूबे में लागू करने की तैयारी शुरू हो गई है.

पूर्णिया
श्रवण कुमार मास्क कारीगर

प्रवासी मजदूरों के लिए छोड़ी नौकरी
26 साल इस के युवा ने लॉकडाउन के जोखिमों के बावजूद मोटी सैलरी वाली नौकरी को ठुकराकर प्रवासी मजदूरों के लिए जो कर दिखाया इसकी कल्पना भी किसी ने नहीं की थी. ईटीवी भारत से एक्सक्लूसिव बातचीत में पार्थ ने बताया कि इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्हें एक प्रतिष्ठित कंपनी में अच्छी-खासी तनख्वाह वाली जॉब मिल गई. लेकिन एक सप्ताह बाद ही कुछ कर गुजरने के जज्बे ने उनसे सिर्फ 15 दिनों में ही जॉब छुड़वा दी.

स्टार्टअप से जोड़ प्रवासियों को बेरोजगारी का तोड़
पार्थ ने बताया कि पढ़ाई के दौरान ही उन्होंने यह सोच रखा था कि आगे वे एक स्टार्टअप शुरू करेंगे. इसके बाद उद्योग विभाग से सीएम एससी/एसटी उद्यमी योजना की सभी 3 किस्त रेडीमेड गारमेंट्स से जुड़े स्टार्टअप के लिए रिलीज कर दी गई. शेड डेवलप किए जाने के साथ ही मशीन भी फिक्स हो गए. लेकिन कोरोना काल से आए इकोनॉमी भूचाल को देखते हुए उन्होंने इसे फिलहाल के लिए पोस्टपोंड करने का मन बनाया. इसके बाद उन्होंने कोरोना के अनुकूल स्टार्टअप शुरू करने का निश्चय किया.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

प्रदेशों से लौटे श्रमिकों की उम्मीद बने पार्थ
पार्थ ने आगे बताया कि मार्केट डिमांड देखते हुए मास्क प्रोडक्शन का मन बनाया. इसके तहत उन्होंने लालगंज समेत आस-पास के पंचायतों में प्रदेशों से लौटे प्रवासी श्रमिकों से संपर्क करना शुरू किया. उनके इस तरह के इस कार्य के लिए कुल 28 लोगों की टीम खड़ी हुई. इनमें अन्य प्रदेशों से लौटे सिलाई में स्किल्ड 18 लोगों के साथ ही मैटेरियल, आर्डर और ट्रांस्पोर्टेशन समेत दूसरे कार्यों के लिए 10 अन्य बेरोजगार लोगों को स्टार्टअप शुरू कर रोजगार मुहैया कराया. वहीं, अच्छी बात ये रही कि लॉकडाउन के दौरान शुरू किया गया मास्क प्रोडक्शन स्टार्टअप पूरी तरह दौड़ पड़ा.

पूर्णिया
स्टार्टअप इनोवेटर पार्थ मंडल

पार्थ का प्लान नेपाल, बांग्लादेश और भूटान
जल्द ही पार्थ अपने स्टार्टअप को आगे बढ़ाने वाले हैं. इसके साथ ही पार्थ ने स्टार्टअप में मेन पावर बढ़ाने का निश्चय किया है. पार्थ की प्रबल इच्छा है कि बिहार के व्यवसाई रेडिमेड गारमेंट्स के लिए बंगाल और दिल्ली न जाएं. इसके लिए वो रेडिमेड के सभी के डिमांड की आपूर्ति अपने स्टार्टअप के अंतर्गत करने की योजना बना रहे हैं. साथ ही पार्थ ने आगे अपने उत्पादों को नेपाल, भूटान और बांग्लादेश जैसे सीमावर्ती देशों में भेजने की तैयारी में हैं.

पूर्णिया: कहते हैं बुलंद हौसले हर मुश्किल राहें आसान कर देतीं हैं. इन पंक्तियों को सच कर दिखाया है, लालगंज के लाल पार्थ मंडल ने. दरसअल, एक तरह जहां कोरोना काल में जाने कितनों की नौकरियां चली गईं. वहींं, इन सब से अलग इंजीनियरिंग के छात्र पार्थ ने प्रवासी मजदूरों का दर्द भांपकर मोटी सैलरी वाली नौकरी छोड़कर कोरोना महामारी में अत्यंत आवश्यक प्रोडक्ट मास्क निर्माण का स्टार्टअप शुरू कर 28 ग्रामीणों को रोजगारी दे रहे हैं.

पूर्णिया
स्टार्टअप इनोवेटर पार्थ मंडल

महज 26 साल के पार्थ बने प्रवासी मजदूरों का सहारा
जिला मुख्यालय से 7 किलोमीटर दूर लालगंज पंचायत निवासी पार्थ मंडल भले ही सुदूर ग्रामीण बस्ती में रहते हों. लेकिन पेशे से इंजीनियरिंग के छात्र रहे पार्थ की सोच हाईटेक है. बता दें कि महज 26 साल के पार्थ ने राज्य सरकार की अनुसूचित जाति-जनजाति उद्यमी योजना का लाभ लेकर प्रवासी मजदूरों की बेरोजगारी का नायाब तोड़ ढूंढ़ निकाला है. जिसकी लालगंज में ही नहीं बल्कि समूचे सूबे में तारीफ हो रही है. बीते 11 जून को राजधानी पटना में संपन्न हुई विभागीय मीटिंग में पार्थ के कार्य की तारीफ करते हुए इस मॉडल को अब समूचे सूबे में लागू करने की तैयारी शुरू हो गई है.

पूर्णिया
श्रवण कुमार मास्क कारीगर

प्रवासी मजदूरों के लिए छोड़ी नौकरी
26 साल इस के युवा ने लॉकडाउन के जोखिमों के बावजूद मोटी सैलरी वाली नौकरी को ठुकराकर प्रवासी मजदूरों के लिए जो कर दिखाया इसकी कल्पना भी किसी ने नहीं की थी. ईटीवी भारत से एक्सक्लूसिव बातचीत में पार्थ ने बताया कि इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्हें एक प्रतिष्ठित कंपनी में अच्छी-खासी तनख्वाह वाली जॉब मिल गई. लेकिन एक सप्ताह बाद ही कुछ कर गुजरने के जज्बे ने उनसे सिर्फ 15 दिनों में ही जॉब छुड़वा दी.

स्टार्टअप से जोड़ प्रवासियों को बेरोजगारी का तोड़
पार्थ ने बताया कि पढ़ाई के दौरान ही उन्होंने यह सोच रखा था कि आगे वे एक स्टार्टअप शुरू करेंगे. इसके बाद उद्योग विभाग से सीएम एससी/एसटी उद्यमी योजना की सभी 3 किस्त रेडीमेड गारमेंट्स से जुड़े स्टार्टअप के लिए रिलीज कर दी गई. शेड डेवलप किए जाने के साथ ही मशीन भी फिक्स हो गए. लेकिन कोरोना काल से आए इकोनॉमी भूचाल को देखते हुए उन्होंने इसे फिलहाल के लिए पोस्टपोंड करने का मन बनाया. इसके बाद उन्होंने कोरोना के अनुकूल स्टार्टअप शुरू करने का निश्चय किया.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

प्रदेशों से लौटे श्रमिकों की उम्मीद बने पार्थ
पार्थ ने आगे बताया कि मार्केट डिमांड देखते हुए मास्क प्रोडक्शन का मन बनाया. इसके तहत उन्होंने लालगंज समेत आस-पास के पंचायतों में प्रदेशों से लौटे प्रवासी श्रमिकों से संपर्क करना शुरू किया. उनके इस तरह के इस कार्य के लिए कुल 28 लोगों की टीम खड़ी हुई. इनमें अन्य प्रदेशों से लौटे सिलाई में स्किल्ड 18 लोगों के साथ ही मैटेरियल, आर्डर और ट्रांस्पोर्टेशन समेत दूसरे कार्यों के लिए 10 अन्य बेरोजगार लोगों को स्टार्टअप शुरू कर रोजगार मुहैया कराया. वहीं, अच्छी बात ये रही कि लॉकडाउन के दौरान शुरू किया गया मास्क प्रोडक्शन स्टार्टअप पूरी तरह दौड़ पड़ा.

पूर्णिया
स्टार्टअप इनोवेटर पार्थ मंडल

पार्थ का प्लान नेपाल, बांग्लादेश और भूटान
जल्द ही पार्थ अपने स्टार्टअप को आगे बढ़ाने वाले हैं. इसके साथ ही पार्थ ने स्टार्टअप में मेन पावर बढ़ाने का निश्चय किया है. पार्थ की प्रबल इच्छा है कि बिहार के व्यवसाई रेडिमेड गारमेंट्स के लिए बंगाल और दिल्ली न जाएं. इसके लिए वो रेडिमेड के सभी के डिमांड की आपूर्ति अपने स्टार्टअप के अंतर्गत करने की योजना बना रहे हैं. साथ ही पार्थ ने आगे अपने उत्पादों को नेपाल, भूटान और बांग्लादेश जैसे सीमावर्ती देशों में भेजने की तैयारी में हैं.

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