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पूर्णिया के नावेद अख्तर 'बाइक एंबुलेंस' से बचा रहे मरीजों की जिंदगी, 1 रुपए लेकर दे रहे सेवा - Purnea News

एक रुपए में अब कोई अच्छी चॉकलेट भी नहीं आती, लेकिन पूर्णिया के नावेद अख्तर (Naved Akhtar of Purnea) महज एक रुपए में बाइक एंबुलेंस की सेवा दे रहे हैं. नावेद अख्तर की इस पहल की हर कोई सराहना कर रहा है. नावेद ने मोटरसाइकिल को बाइक एंबुलेंस में तब्दील कर दिया है. अब तक उनके बाइक एंबुलेंस का लाभ शहर के दर्जनों लोग ले चुके हैं. वे 24×7 इसकी सेवाएं दे रहे हैं. इतना ही नहीं उन्होंने इसके लिए दो मोबाइल नंबर भी जारी कर रखे हैं. पढ़ें ये रिपोर्ट..

Bike ambulance service in one rupee
Bike ambulance service in one rupee
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Published : Mar 1, 2022, 11:33 AM IST

पूर्णिया: बिहार के पूर्णिया लाइन बाजार आशियाना कॉलोनी के रहने वाले नावेद अख्तर बाइक एंबुलेंस (Bike Ambulance Service) बनाकर लोगों को सेवा दे रहे हैं. उनकी इस पहल की हर तरफ चर्चा हो रही है. नावेद ने अपनी मोटरसाइकिल को एम्बुलेंस बना दिया है. बाइक के बगल में एक 15×7 का बॉक्स बनाया है. इस बॉक्स के अंदर मरीज के लिए एक बेड भी लगाया है. बेड पर मरीज को सुलाकर एक से दूसरे स्थानों तक आसानी से नावेद ले जाते हैं.

ये भी पढ़ें- कोरोना संक्रमितों की सांस के आस बन रहे डाकिया, पूर्णिया में संक्रमितों के घर पहुंचा रहे दवा

देखें रिपोर्ट-

इस बाइक एंबुलेंस का नाम नावेद ने राजा एम्बुलेंस रखा है. सप्ताह के सातों दिन 24 घंटे वो मरीजों की सेवा के लिए उपलब्ध हैं. दो मोबाइल नंबर भी इसके लिए जारी किए गए हैं. बाइक एंबुलेंस सेवा शुल्क के नाम पर नावेद मरीजों से महज 1 रुपए (Bike ambulance service in one rupee) लेते हैं. मरीजों को गूगल पे के माध्यम से सेवा शुल्क अदा करना होता है. विशेष तौर पर स्थानीय लोगों के लिए एक रुपए में बाइक एंबुलेंस की सेवा बेहद फायदेमंद है. ईटीवी से बात करते हुए नावेद वे बताया कि पूर्णिया शहर में सरकारी अस्पताल और 200 से ज्यादा नर्सिंग होम व जांच घर हैं. ऐसे में अस्पताल से जांच घर ले जाने में मरीजों को काफी जद्दोजहद करना पड़ती है.

''निजी एंबुलेंस वाले मनमाना चार्ज करते हैं. 1 से 2 किलोमीटर के लिए ही मरीजों से हजारों रुपए की वसूली की जाती है. कई मरीज को तो खुद स्ट्रेचर पर रखकर एक जगह से दूसरी जगह जाना होता है. इसी को देखते हुए बाइक एंबुलेंस की शुरुआत की है. इसके लिए गूगल पे के माध्यम से मात्र 1 रुपए देना होते हैं. दोस्तों के सहयोग से यह बाइक एम्बुलेंस बनाने की तरकीब सूझी थी. करीब 1 महीने पहले बाइक एंबुलेंस सर्विस की शुरूआत की. 15 मरीजों को अब तक अस्पताल पहुंचा चुका हूं.''- नावेद अख्तर, बाइक एम्बुलेंस मालिक

वहीं, स्थानीय लोग बताते हैं कि कुछ दिन पहले एक जानने वाले की तबीयत देर रात बिगड़ गई थी. उस वक्त मदद के लिए नावेद अपनी बाइक एंबुलेंस लेकर पहुंचे थे. मिडिल क्लास ही नहीं अब असहाय भी इमरजेंसी में एम्बुलेंस की सेवा ले सकेंगे. भले ही यह बाइक एम्बुलेंस ही क्यों न हो. कम से कम स्ट्रेचर पर या ठेले पर ले जाने से बेहतर इससे उनके मरीज की जान बचाई जा सकेगी. इस तरह की सोच लोगों को नई राह दिखलाती है.

ये भी पढ़ें- सड़क सुरक्षा को लेकर चलाया गया जागरुकता अभियान, NCC कैडेट्स ने की ट्रैफिक नियम पालन करने की अपील

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पूर्णिया: बिहार के पूर्णिया लाइन बाजार आशियाना कॉलोनी के रहने वाले नावेद अख्तर बाइक एंबुलेंस (Bike Ambulance Service) बनाकर लोगों को सेवा दे रहे हैं. उनकी इस पहल की हर तरफ चर्चा हो रही है. नावेद ने अपनी मोटरसाइकिल को एम्बुलेंस बना दिया है. बाइक के बगल में एक 15×7 का बॉक्स बनाया है. इस बॉक्स के अंदर मरीज के लिए एक बेड भी लगाया है. बेड पर मरीज को सुलाकर एक से दूसरे स्थानों तक आसानी से नावेद ले जाते हैं.

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देखें रिपोर्ट-

इस बाइक एंबुलेंस का नाम नावेद ने राजा एम्बुलेंस रखा है. सप्ताह के सातों दिन 24 घंटे वो मरीजों की सेवा के लिए उपलब्ध हैं. दो मोबाइल नंबर भी इसके लिए जारी किए गए हैं. बाइक एंबुलेंस सेवा शुल्क के नाम पर नावेद मरीजों से महज 1 रुपए (Bike ambulance service in one rupee) लेते हैं. मरीजों को गूगल पे के माध्यम से सेवा शुल्क अदा करना होता है. विशेष तौर पर स्थानीय लोगों के लिए एक रुपए में बाइक एंबुलेंस की सेवा बेहद फायदेमंद है. ईटीवी से बात करते हुए नावेद वे बताया कि पूर्णिया शहर में सरकारी अस्पताल और 200 से ज्यादा नर्सिंग होम व जांच घर हैं. ऐसे में अस्पताल से जांच घर ले जाने में मरीजों को काफी जद्दोजहद करना पड़ती है.

''निजी एंबुलेंस वाले मनमाना चार्ज करते हैं. 1 से 2 किलोमीटर के लिए ही मरीजों से हजारों रुपए की वसूली की जाती है. कई मरीज को तो खुद स्ट्रेचर पर रखकर एक जगह से दूसरी जगह जाना होता है. इसी को देखते हुए बाइक एंबुलेंस की शुरुआत की है. इसके लिए गूगल पे के माध्यम से मात्र 1 रुपए देना होते हैं. दोस्तों के सहयोग से यह बाइक एम्बुलेंस बनाने की तरकीब सूझी थी. करीब 1 महीने पहले बाइक एंबुलेंस सर्विस की शुरूआत की. 15 मरीजों को अब तक अस्पताल पहुंचा चुका हूं.''- नावेद अख्तर, बाइक एम्बुलेंस मालिक

वहीं, स्थानीय लोग बताते हैं कि कुछ दिन पहले एक जानने वाले की तबीयत देर रात बिगड़ गई थी. उस वक्त मदद के लिए नावेद अपनी बाइक एंबुलेंस लेकर पहुंचे थे. मिडिल क्लास ही नहीं अब असहाय भी इमरजेंसी में एम्बुलेंस की सेवा ले सकेंगे. भले ही यह बाइक एम्बुलेंस ही क्यों न हो. कम से कम स्ट्रेचर पर या ठेले पर ले जाने से बेहतर इससे उनके मरीज की जान बचाई जा सकेगी. इस तरह की सोच लोगों को नई राह दिखलाती है.

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