पूर्णियाः लॉकडाउन के बाद से प्रदेशों में फंसे बिहारी मजदूरों की वापसी का सिलसिला जारी है. अब तक 9 स्पेशल ट्रेनों के जरिए तकरीबन 10 हजार से अधिक यात्री पूर्णिया जंक्शन से गृह जिले के लिए प्रस्थान कर चुके हैं. कल तक परदेस पर प्यार लुटाने वाले ये मजदूर अब भूलकर भी परदेस नहीं जाना चाहते.
दाने-दाने को हुए मोहताज
दरअसल, बिहार वापस लौटे प्रवासी मजदूर दोबारा दूसरे राज्य जाने के नाम से भी डर रहे हैं. अजमेर से तीन साल के नन्हें राजकुमार और पति संग अपना सबकुछ लेकर लौट चुकी उषा देवी ने बताया कि काम-धंधा बंद होने के बाद बचे सारे रूपये खत्म हो गए. उन्हें लगा कि जिस शहर को दिन-रात एक कर खून-पसीने से तराशा वहां की सरकार इस मुश्किल वक्त में उनकी मदद जरूर करेगी. लेकिन वहां वे दाने दाने को मोहताज हो गए. सरकार की तरफ से भी तीन लोगों पर एक को खाना दिया जाता था.
डंडे दिखाकर पुलिस ने भगाया
दिल्ली से लौटे सुरेंद्र साह ने बताया कि लॉकडाउन के बाद खाने तक के लाले पड़ गए थे. जब देश भर में लोग दीये जला रहे थे. तब दिल्ली में फंसे बिहारी मजदूर भूख की तड़प को आंसुओं से बुझा रहे थे. उन्होंने बताया कि बदतर होते हालातों के बाद सीएम केजरीवाल के दफ्तर तक गए. लेकिन डंडे दिखाकर पुलिस ने वहां से भगा दिया.
सैलरी देने से किया इंकार
वहीं, महाराष्ट्र के मुंबई से लौटे रामपाल यादव ने बताया कि बुरे दिन आते ही हमारी मेहनत की कीमत दरकिनार कर कॉन्ट्रेक्टर और ओनर ने लॉकडाउन का हवाला देकर सैलरी देने से इंकार कर दिया. इसका विरोध करने पर उन्हें धक्के मारकर बिल्डिंग से बाहर निकाल दिया गया.
अब नहीं जाना दूसरे राज्य
अन्य प्रदेशों से लौटे प्रवासी मजदूरों का कहना है कि अब वे भूलकर भी दूसरे राज्यों में नहीं जाना चाहते. अन्य राज्यों में रह रहे बिहारी मजदूर रोज अपना सामान लेकर वापस लौट रहे हैं. उनका कहना है कि अपने घर में ही चार पैसे ही कमाएंगे और खुशी से खाएंगे.