पूर्णिया: साल 2011 में लाखों की लागत से तैयार पूर्णिया के सदर अस्पताल के आईसीयू से 7 जिलों की आबादी को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं बहाल की जानी थी. हालांकि, आम दिनों में ही नहीं बल्कि कोरोना जैसे संक्रमण काल में भी आईसीयू फिसड्डी ही साबित हुआ.
ये भी पढ़ें- बजट बढ़ा फिर भी नहीं बदले आयुष चिकित्सालयों के हालात, फेंके जा रहे कूड़े, तो किसी में उग आए पेड़
सीमांचल के एम्स का फिसड्डी आईसीयू
सीमांचल-कोसी का केंद्र होने के साथ ही जिले से सटे कई दूसरे राज्यों के मरीज रोजाना यहां एडमिट होते हैं. अफसोस आईसीयू की सेवाएं ठप होने की वजह से या तो उन्हें अपनी जान गंवानी पड़ती है या उन्हें दूसरे अस्पतालों में रेफर करना पड़ता है.
वीवीआईपी गेस्ट का वीआईपी आईसीयू
हालांकि, ऐसा भी नहीं है कि सीमांचल के इस एम्स की आईसीयू की सेवाएं कभी बहाल ही नहीं हुईं. उद्देश्यों से इतर हाई प्रोफाइल और वीवीआईपी चेहरों के लिए उद्घाटन के बाद इसे कई बार खोला गया. इस तरह वीआईपी आईसीयू की सेवाएं पाने वालों में सांसद, विधायक और दूसरे हाई प्रोफाइल चेहरों का नाम शामिल रहा है.
आईसीयू पर सिस्टम की सुस्ती का ताला
स्थानीय बताते हैं कि पटना से करीब 400 किलोमीटर का फासला होने के कारण जिले से ही नहीं, बल्कि सीमांचल-कोसी सहित सीमावर्ती पश्चिम बंगाल के कुछ जिलों से भी लोग यहां इलाज के लिए पहुंचते हैं. हालांकि, ऐसे सभी मरीज जिनकी हालात नाजुक होती है, आईसीयू पर ताला जड़े होने के कारण या तो उन्हें नजदीकी सिलीगुड़ी जिले या फिर राजधानी पटना के अस्पतालों के लिए रेफर कर दिया जाता है.
ये भी पढ़ें- डिप्टी सीएम तारकिशोर और स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे पहुंचे पूर्णिया, RTPCR लैब और ब्लड बैंक का किया उद्घाटन
2011 में हुआ था आईसीयू का उद्घाटन
अस्पताल के आईसीयू में ताला लटका होने से यहां के स्थानीयों में इसे लेकर खासी नाराजगी है. इनकी मानें तो 2011 में यहां आईसीयू का उद्घाटन तो कर दिया गया. लेकिन, इसके करीब एक दशक बाद भी किसी मरीज को आईसीयू की सुविधा उपलब्ध नहीं हो सकी. अस्पताल रिकॉर्ड के मुताबिक इन 10 सालों में महज 2 दर्जन लोगों को ही आईसीयू के रिकॉर्ड लिस्ट में जगह मिल सकी है. हालांकि, आईसीयू रोजाना केवल साफ सफाई के लिए खुलता है.
बिना आईसीयू दम तोड़ रही जिंदगियां
स्थानीय बताते हैं आईसीयू की सुविधा हो जाए तो महज पूर्णिया ही नहीं, बल्कि 7 जिलों के लोगों को राहत मिल सकेगा. साथ ही कई ऐसी जानें भी बचाई जा सकेंगी जो आईसीयू की आस में या तो अस्पताल के कॉमन इमरजेंसी वेंटिलेटर पर दम तोड़ देती हैं या फिर जिनकी राजधानी पटना स्थित पीएमसीएच जाते हुए एंबुलेंस में ही मौत हो जाती है.
''आईसीयू में एडमिट होने वाले मरीजों को अनुभवी चिकित्सकों की जरूरत पड़ती है. जबकि यहां कुशल चिकित्सकों की कमी है. इस संबंध में विभाग को पत्र लिखकर चिकित्सकों की बहाली की मांग की गई है''- डॉ. उमेश शर्मा, सिविल सर्जन
ये भी पढ़ें- पूर्णिया: स्वतंत्रता सेनानी का परिवार दूध बेचकर कर रहा गुजारा, जमीन पर भू माफियाओं का कब्जा
आश्वासनों का आईसीयू
वहीं, इन सब पर सदर अस्पताल के सिविल सर्जन उमेश शर्मा आईसीयू बंद होने की अलग ही दलील पेश करते हैं. इनके मुताबिक इसके बंद होने की मुख्य वजह डॉक्टरों की कमी है. बहुत जल्द इस समस्या से अस्पतालों को निजात मिलेगी.