पूर्णियाः देश में एक ओर किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य और कृषि कानून को लेकर आंदोलन कर रहे हैं. वहीं पूर्णिया के किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य पर अपनी धान बेचकर लागत से दोगुना लाभ कमा रहे हैं. सीएम नीतीश कुमार के पहल पर 2006 में बाजार समितियों को भंग कर दिया गया था. इसके बाद राज्य में पंचायत स्तरीय पैक्स प्रणाली की शुरूआत की गई थी. इससे बिहार के किसानों को उचित मुनाफा मिल रहा है.
आ गए अन्नदाताओं के अच्छे दिन
जिले में धान की खरीदारी जोरों-शोरों पर है. 1868-1885 रुपये के सरकारी दरों से अब तक 10483 मीट्रिक टन धान खरीदी जा चुकी है. साथ ही 1 करोड़ 10 लाख से अधिक का भुगतान किया जा चुका है. किसानों को पैक्सों के माध्यम से की जा रही धान खरीदी का लाभ पहुंचाने के लिए इसकी अधिकतम सीमा 200 से बढ़ाकर 250 क्विंटल कर दी गई है. वहीं गैर सरकारी रैयतों में धान की खरीद की सीमा 75 से बढ़ाकर 100 क्विंटल कर दी गई है.
न्यूनतम समर्थन मूल्य पर धान की खरीदारी
पूर्णिया जिले के दूसरे पैक्सों की तरह हरदा पंचायत में भी न्यूनतम समर्थन मूल्य पर धान की खरीदारी की जा रही है. लिहाजा इससे किसानों को एक तरफ जहां बिचौलियों से मुक्ति मिली है वहीं दूसरी तरफ उन्हें उनकी उपज का बेहतर मुनाफा मिल रहा है. गेंहू की गुणवत्ता के अनुरूप वे 1868-1885 प्रति क्विंटल की दर से अपनी धान पैक्सों में बेच रहे हैं.
"पहले बिचौलिये की वजह से हमें ज्यादा मुनाफा नहीं मिल पाता था. पैक्स में अब डॉयरेक्ट धान बेचने से हमें अच्छा मुनाफा मिल जाता है. साथ ही 48 घंटे के अंदर ही हमारे खाते में उपज के पैसों की भुगतान कर दी जाती है. हमें इसमें किसी तरह की कोई परेशानी नहीं होती है."- रामदेव मेहता, किसान
"अब किसानों को बिचौलियों के चंगुल में नहीं जाना पड़ रहा है. यहां के किसान अपनी धान पैक्स में ही बेचते हैं. यहां सिर्फ धान की साफ-सफाई और नमी की गुणवत्ता का ख्याल रखा जाता है. साथ ही 48 घंटे के अंदर उनके अकाउंट में राशि दे दी जाती है."- रमेश कुमार मेहता, पैक्स संचालक,हरदा
'शुक्रिया सुशासन बाबू'
बहरहाल नए साल में भले ही थोड़ा वक्त शेष रह गया हो. लेकिन पैक्स के सिस्टम में सुधार से साल 2020 बिहारी किसानों के लिए नए साल की सौगात की तरह है. लिहाजा पैक्स प्रणाली की सरल भुगतान सिस्टम के बाद बिहारी अन्नदाताओं की खुशी का ठिकाना नहीं है. इसके लिए वे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को भी शुक्रिया कहते नहीं थक रहे हैं.