पूर्णिया: प्रसिद्ध साहित्यकार फणीश्वरनाथ रेणु को उनकी जन्म शताब्दी वर्ष पर भारत रत्न दिए जाने की मांग तेज हो गई है. ईटीवी भारत से बात करते हुए जाने-माने साहित्यकार भोलानाथ आलोक ने कहा कि महान कथाकार फणीश्वरनाथ रेणु को उन्होंने काफी करीब से देखा है. रेणु वही लिखते थे जिसे जीते थे. उनकी लेखनी में एक शब्द से पूरे दृश्य को दर्शाने की ताकत थी. अपनी कालजई रचनाओं की बदौलत रेणु कल भी प्रसांगिक थे और आज भी प्रासंगिक हैं.
ये भी पढ़ें- विधानसभा चुनाव में शिकस्त के बाद 15% वोट बैंक पर नीतीश की नजर
''जहां दूसरे रचनाकारों की कृतियों में काल्पनिक कहानियां मिलती हैं. वहीं, उन्होंने इससे अलग अपने गांव और समाज को समझकर उसे उसी तरह जीवंत लिख भी दिया करते थे. कहते हैं जहां से हिंदी साहित्य के जादूगर प्रेमचंद का अंत होता है, वहां से फणीश्वरनाथ रेणु का उदय होता है. ऐसे में हिंदी साहित्य को नूतन आयाम तक पहचान दिलाने वाले महान कथाकार फणीश्वरनाथ रेणु को भारत रत्न से नवाजा जाना चाहिए''- भोलानाथ आलोक, समाजसेवी व साहित्यकार
समाज के इर्दगिर्द घूमती हैं रचनाएं
कथावाचक और साहित्यकार शिव नारायण शर्मा व्यथित का कहना है कि जिले की माटी में जन्मे रेणु जी की समस्त रचनाएं समाज के इर्दगिर्द घूमती मिलती हैं. उनकी रचनाओं में समाज का दर्द है, तो सामान्य जनजीवन की पीड़ा भी है. इसमें कोई बदलाव नहीं हो सकता और यही उन्हें आज के संदर्भ में प्रासंगिक बनाए हुए है. इसके साथ ही भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में भी उनकी कृतियों ने मशाल का काम किया. लिहाजा उनकी शताब्दी वर्ष पर भारत रत्न से सम्मानित कर एक नई परंपरा की शुरुआत की जानी चाहिए.
''इसे देश की विडंबना कहा जाए या कुछ और.. राजनीति, खेल, कला और विज्ञान जगत से जुड़ी विभूतियों को ही भारत रत्न से नवाजा जाता रहा है. लिहाजा उनकी शताब्दी वर्ष पर उन्हें भारत रत्न दिए जाने के साथ ही एक नई परंपरा की शुरुआत किए जाने का यही उचित समय है''- शिव नारायण शर्मा व्यथित, कथावाचक और साहित्यकार
साहित्य को उंचाईयों तक पहुंचाया
फणीश्वरनाथ रेणु के नाती अभिषेक आनंद कहते हैं कि रेणु जी ने अपनी रचनाओं से हिंदी साहित्य को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया है. उनकी रचनाओं में समूचा देश और युग दिखाई देता है. वे अपने समय के थर्मामीटर थे. उन्होंने आने वाले समय के स्वरूप और मिजाज को माप लिया था.
''रेणु जी के परिवार का हिस्सा होने के नाते नहीं, बल्कि एक छात्र होने के नाते मैं और उनका परिवार ये मांग करते हैं कि रेणु जी के नाम पर पूर्णिया विश्वविद्यालय का नाम रखा जाए मगर ऐसा नहीं हो सका. अब उनकी शताब्दी वर्ष पर समूचा देश चाहता है कि रेणु जी को मरणोपरांत भारत रत्न से अलंकृत किया जाए''- अभिषेक आनंद, रेणु के नाती
ये भी पढ़ें- 1 अप्रैल से लग सकता है बिजली का झटका, दरों में बढ़ोतरी कर सकता है विद्युत विनियामक आयोग
भारत रत्न के लिए विराट अभियान
पूर्णिया नवनिर्माण मंच के संस्थापक शंकर कुशवाहा का कहना है कि वे अपने संस्था के माध्यम से सरकार तक अपनी आवाज पहुंचाने के लिए एक विशेष अभियान चलाएंगे. रेणु को भारत रत्न देने के लिए वे अब लोगों को इससे जोड़ने का काम करेंगे. ताकि सरकार तक ये संदेश पहुंचे और महान कथाकार फणीश्वरनाथ रेणु को भारत रत्न से सममानित किया जाए.