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पूर्णिया में भी वायरल फीवर ने दी दस्तक, बच्चों पर बुखार का अटैक शुरू

पूर्णिया में भी वायरल फीवर ने दस्तक दे दी है. बड़ी संख्या में परिजन अपने बच्चों को लेकर अस्पताल पहुंच रहे हैं. अच्छी बात यह है कि जिले के राजकीय मेडिकल कॉलेज अस्पताल में बच्चों के इलाज में कोई परेशानी नहीं आ रही है.

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Published : Sep 11, 2021, 1:05 PM IST

Updated : Sep 11, 2021, 2:29 PM IST

पूर्णिया: बिहार में दिन-प्रतिदिन वायरल फीवर (Viral Fever In Bihar) का प्रकोप का बढ़ता जा रहा है. वायरल फीवर अब बिहार के पूर्णिया (Purnia) जिले में भी दस्तक दे चुका है. जिसके कारण बड़ी तादाद में परिजन बच्चों को लेकर अस्पताल पहुंच रहे हैं. इनमें कुछ मेनिनजाइटिस (Meningitis) के तो कुछ चमकी बुखार के मरीज शामिल हैं.

इसे भी पढ़ें: बिहार में चमकी बुखार का बढ़ा प्रकोप, 12 साल तक के बच्चों को ज्यादा खतरा

बता दें कि पूर्णिया सदर अस्पताल का नाम अभी हाल ही में बदलकर पूर्णिया राजकीय मेडिकल कॉलेज (Purnea Medical College) कर दिया गया है. इन दिनों यहां मेडिकल कॉलेज की बड़ी-बड़ी बिल्डिंग बन रही हैं. इसी बीच पूर्णिया में वायरल फीवर ने अपना पैर पसारना शुरू कर दिया है. जिस कारण बच्चे काफी संख्या में बीमार पड़ रहे हैं. मेडिकल कॉलेज के शिशु वार्ड और एसएनसीयू में 12 से अधिक वायरल फीवर से ग्रसित बच्चे भर्ती हैं.

ये भी पढ़ें: गया में वायरल फीवर का कहर, ANMCH में 90 फीसदी बेड फुल

'अभी यहां बच्चा वार्ड में 22 मरीज भर्ती हैं. जिसमें अधिकांश वायरल फीवर से ग्रसित हैं. इसके अलावा चमकी बुखार, मेनिनजाइटिस समेत अन्य दूसरी बीमारियों के भी मरीज भर्ती हैं. मेडिकल कॉलेज में किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए बॉयज हॉस्टल में 36 बेड लगाए गए हैं. इसके साथ ही ऑक्सीजन कंसंट्रेटर समेत तमाम सुविधाएं उपलब्ध कराई गई हैं.' -डॉ विजय कुमार, अधीक्षक, मेडिकल कॉलेज

देखें रिपोर्ट.

डॉ विजय कुमार ने आगे बताया कि अस्पताल में 36 बेड का एसएनसीयू भी है. जहां नवजात बच्चों का इलाज होता है. इसके साथ ही चार बच्चा रोग विशेषज्ञ भी हैं. हर वार्ड में ऑक्सीजन समेत अन्य चीजों की व्यवस्था कराई गई हैं. डॉ ने बताया कि अभी तक वायरल फीवर से किसी की मौत नहीं हुई है.

मेडिकल कॉलेज के बच्चा वार्ड में तैनात नर्स बबीता कुमारी कहती हैं कि इन दिनों जिले में वायरल फीवर का केस काफी आ रहा है. जिसके इलाज की समुचित व्यवस्था कराई गई है. बच्चों के परिजनों ने कहा कि बच्चों को सर्दी-खांसी, बुखार जैसी बीमारियों से जूझना पड़ रहा है. परिजनों ने कहा कि मेडिकल कॉलेज में इलाज की अच्छी व्यवस्था है. डॉक्टर भी समय पर आते हैं और नर्स वार्ड में देखभाल करती हैं. वहीं, समय-समय पर बच्चों को दवाई और अन्य जरूरी सामान भी मिल जाती है.

अस्पताल में सभी तरीके की सुविधाएं हैं. किसी प्रकार की कोई परेशानी नहीं हो रही है. नर्स और डॉक्टर समय-समय पर बच्चों को देखने आते हैं. यहां ऑक्सीजन से लेकर अन्य सभी सुविधाए उपलब्ध हैं. बच्चों को जरूरी दवाईयां भी दी जाती हैं. -रूपा सिंह, मरीज के परिजन

बताते चलें कि देशभर के तमाम राज्यों में वायरल फीवर (Viral Fever In India) ने तेजी से पैर पसारना शुरू कर दिया है. यूपी, एमपी, बिहार और अब दिल्ली में भी ये वायरस तेजी से फैलता जा रहा है. चिंता का विषय यह है कि इससे सबसे ज्यादा बच्चे पीड़ित हो रहे हैं. बिहार, यूपी समेत तमाम राज्यों में हालात ये हैं कि अस्पतालों में जगह नहीं बच रही है.

यूपी के फिरोजाबाद में इस बीमारी ने न जाने कितनों मासूमों की जिंदगी चली गई है. वहीं, मध्य प्रदेश के ग्वालियर में भी यही हाल है. इसी बीच लोगों के चिंता ये भी है कि कहीं ये कोरोना की तीसरी लहर तो नहीं. मुजफ्फरपुर, सीतामढ़ी, सीवान, छपरा, गोपालगंज, पश्चिमी चंपारण, हाजीपुर और पूर्वी चंपारण में मरीज भर्ती हैं. हर जगह स्थिति भयावह बना हुआ है.

बता दें कि वायरल बुखार एक एक्यूट वायरल संक्रमण है. इसमें संक्रमित विषाणु शरीर में तेजी से फैलते हैं और कुछ ही दिनों में पूरी तरह खत्म भी हो जाते हैं. वायरल होने पर रोगी का तांत्रिक तंत्र भी प्रभावित हो सकता है. शिशुओं के लिए वायरल और अधिक कष्टदायी होता है. जानकारों का मानना है कि वायरल बुखार कम से कम तीन दिन और अधिक से अधिक दो सप्ताह तक रह सकता है.

वायरल बुखार को किसी दवा से या एंटीबायोटिक से ठीक नहीं किया जा सकता है. ऐसे समय में बच्चों की प्रतिरोधक क्षमता बहुत घट जाती है, जिस कारण ये जरुरी होता है की समय-समय पर डॉक्टर की सलाह और दवाई दी जाये. बच्चों को वायरल फीवर होने पर कुछ इस प्रकार के लक्षण दिखते हैं-

  • बच्चे पीले और सुस्त पड़ जाते हैं.
  • श्वसन और स्तनपान में कठिनाई के साथ ही उल्टी-दस्त भी हो सकती है.
  • बच्चे के पूरे शरीर में अत्यधिक दर्द होता है.
  • गले में खराश और खांसी आने लगती है.
  • नाक से लगातार पानी बहता है.
  • आंखें लाल हो जाती है और उसमें जलन का एहसास होने लगता है.
  • तेज सिर दर्द के साथ त्वचा में धब्बे पड़ने लगते हैं.

पूर्णिया: बिहार में दिन-प्रतिदिन वायरल फीवर (Viral Fever In Bihar) का प्रकोप का बढ़ता जा रहा है. वायरल फीवर अब बिहार के पूर्णिया (Purnia) जिले में भी दस्तक दे चुका है. जिसके कारण बड़ी तादाद में परिजन बच्चों को लेकर अस्पताल पहुंच रहे हैं. इनमें कुछ मेनिनजाइटिस (Meningitis) के तो कुछ चमकी बुखार के मरीज शामिल हैं.

इसे भी पढ़ें: बिहार में चमकी बुखार का बढ़ा प्रकोप, 12 साल तक के बच्चों को ज्यादा खतरा

बता दें कि पूर्णिया सदर अस्पताल का नाम अभी हाल ही में बदलकर पूर्णिया राजकीय मेडिकल कॉलेज (Purnea Medical College) कर दिया गया है. इन दिनों यहां मेडिकल कॉलेज की बड़ी-बड़ी बिल्डिंग बन रही हैं. इसी बीच पूर्णिया में वायरल फीवर ने अपना पैर पसारना शुरू कर दिया है. जिस कारण बच्चे काफी संख्या में बीमार पड़ रहे हैं. मेडिकल कॉलेज के शिशु वार्ड और एसएनसीयू में 12 से अधिक वायरल फीवर से ग्रसित बच्चे भर्ती हैं.

ये भी पढ़ें: गया में वायरल फीवर का कहर, ANMCH में 90 फीसदी बेड फुल

'अभी यहां बच्चा वार्ड में 22 मरीज भर्ती हैं. जिसमें अधिकांश वायरल फीवर से ग्रसित हैं. इसके अलावा चमकी बुखार, मेनिनजाइटिस समेत अन्य दूसरी बीमारियों के भी मरीज भर्ती हैं. मेडिकल कॉलेज में किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए बॉयज हॉस्टल में 36 बेड लगाए गए हैं. इसके साथ ही ऑक्सीजन कंसंट्रेटर समेत तमाम सुविधाएं उपलब्ध कराई गई हैं.' -डॉ विजय कुमार, अधीक्षक, मेडिकल कॉलेज

देखें रिपोर्ट.

डॉ विजय कुमार ने आगे बताया कि अस्पताल में 36 बेड का एसएनसीयू भी है. जहां नवजात बच्चों का इलाज होता है. इसके साथ ही चार बच्चा रोग विशेषज्ञ भी हैं. हर वार्ड में ऑक्सीजन समेत अन्य चीजों की व्यवस्था कराई गई हैं. डॉ ने बताया कि अभी तक वायरल फीवर से किसी की मौत नहीं हुई है.

मेडिकल कॉलेज के बच्चा वार्ड में तैनात नर्स बबीता कुमारी कहती हैं कि इन दिनों जिले में वायरल फीवर का केस काफी आ रहा है. जिसके इलाज की समुचित व्यवस्था कराई गई है. बच्चों के परिजनों ने कहा कि बच्चों को सर्दी-खांसी, बुखार जैसी बीमारियों से जूझना पड़ रहा है. परिजनों ने कहा कि मेडिकल कॉलेज में इलाज की अच्छी व्यवस्था है. डॉक्टर भी समय पर आते हैं और नर्स वार्ड में देखभाल करती हैं. वहीं, समय-समय पर बच्चों को दवाई और अन्य जरूरी सामान भी मिल जाती है.

अस्पताल में सभी तरीके की सुविधाएं हैं. किसी प्रकार की कोई परेशानी नहीं हो रही है. नर्स और डॉक्टर समय-समय पर बच्चों को देखने आते हैं. यहां ऑक्सीजन से लेकर अन्य सभी सुविधाए उपलब्ध हैं. बच्चों को जरूरी दवाईयां भी दी जाती हैं. -रूपा सिंह, मरीज के परिजन

बताते चलें कि देशभर के तमाम राज्यों में वायरल फीवर (Viral Fever In India) ने तेजी से पैर पसारना शुरू कर दिया है. यूपी, एमपी, बिहार और अब दिल्ली में भी ये वायरस तेजी से फैलता जा रहा है. चिंता का विषय यह है कि इससे सबसे ज्यादा बच्चे पीड़ित हो रहे हैं. बिहार, यूपी समेत तमाम राज्यों में हालात ये हैं कि अस्पतालों में जगह नहीं बच रही है.

यूपी के फिरोजाबाद में इस बीमारी ने न जाने कितनों मासूमों की जिंदगी चली गई है. वहीं, मध्य प्रदेश के ग्वालियर में भी यही हाल है. इसी बीच लोगों के चिंता ये भी है कि कहीं ये कोरोना की तीसरी लहर तो नहीं. मुजफ्फरपुर, सीतामढ़ी, सीवान, छपरा, गोपालगंज, पश्चिमी चंपारण, हाजीपुर और पूर्वी चंपारण में मरीज भर्ती हैं. हर जगह स्थिति भयावह बना हुआ है.

बता दें कि वायरल बुखार एक एक्यूट वायरल संक्रमण है. इसमें संक्रमित विषाणु शरीर में तेजी से फैलते हैं और कुछ ही दिनों में पूरी तरह खत्म भी हो जाते हैं. वायरल होने पर रोगी का तांत्रिक तंत्र भी प्रभावित हो सकता है. शिशुओं के लिए वायरल और अधिक कष्टदायी होता है. जानकारों का मानना है कि वायरल बुखार कम से कम तीन दिन और अधिक से अधिक दो सप्ताह तक रह सकता है.

वायरल बुखार को किसी दवा से या एंटीबायोटिक से ठीक नहीं किया जा सकता है. ऐसे समय में बच्चों की प्रतिरोधक क्षमता बहुत घट जाती है, जिस कारण ये जरुरी होता है की समय-समय पर डॉक्टर की सलाह और दवाई दी जाये. बच्चों को वायरल फीवर होने पर कुछ इस प्रकार के लक्षण दिखते हैं-

  • बच्चे पीले और सुस्त पड़ जाते हैं.
  • श्वसन और स्तनपान में कठिनाई के साथ ही उल्टी-दस्त भी हो सकती है.
  • बच्चे के पूरे शरीर में अत्यधिक दर्द होता है.
  • गले में खराश और खांसी आने लगती है.
  • नाक से लगातार पानी बहता है.
  • आंखें लाल हो जाती है और उसमें जलन का एहसास होने लगता है.
  • तेज सिर दर्द के साथ त्वचा में धब्बे पड़ने लगते हैं.
Last Updated : Sep 11, 2021, 2:29 PM IST
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