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पूर्णिया: मरीज के परिजनों का आरोप- सदर अस्पताल में सिर्फ पैसा और पैरवी वालों का होता है इलाज

परिजन बताते हैं कि स्वास्थ्य विभाग में पैरवी के बाद अभिषेक को फिर से री एडमिट किया गया. परिजनों ने कहा कि मरीज का पैर फ्रैक्चर होने के बाद भी अस्पताल उन्हें गंभीरता से नहीं ले रहा है. यहां सिर्फ प्राइवेट अस्पताल में जाने की सलाह दी जाती है.

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Published : Sep 8, 2019, 11:55 AM IST

पूर्णिया: जिले के सदर अस्पताल में लापरवाही का मामला सामने आया है. अस्पताल में मरीज के भर्ती होने के बाद इलाज में देरी की जा रही है. परिजनों का आरोप है कि अस्पताल में सिर्फ पैरवी और पैसे वालों का इलाज होता है. हालांकि, अस्पताल अधीक्षक ने इन सभी आरोपों को निराधार बताया है.

बताया जाता है कि यहां के बनमनखी प्रखंड स्थित औराही के अभिषेक कुमार का रोड एक्सीडेंट में पैर टूट गया था, जिसके बाद उसे सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया. परिजनों ने अस्पताल पर आरोप लगाया कि मरीज के भर्ती होने के चार दिन बाद भी डॉक्टर इलाज में कोताही बरत रहे हैं.

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इंद्र नारायण झा, अस्पताल अधीक्षक

'रेफर करने की मिलती है सलाह'
परिजन बताते हैं कि अभिषेक के अस्पताल में भर्ती होने के बाद से डॉक्टर इलाज में ढ़ीला रवैया अपना रहे हैं. पहले मरीज को भर्ती कर लिया गया. फिर प्राथमिक उपचार के बाद उसे रेफर कर दिया गया. आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण डॉक्टर उन्हें परेशान कर रहे हैं. परिजन बताते हैं कि स्वास्थ्य विभाग में पैरवी के बाद अभिषेक को फिर से री एडमिट किया गया.
परिजनों ने कहा कि मरीज का पैर फ्रैक्चर होने के बाद भी अस्पताल उन्हें गंभीरता से नहीं ले रहा है. यहां सिर्फ प्राइवेट अस्पताल में जाने की सलाह दी जाती है. जबकि डॉक्टर को इस बात की जानकारी भी है कि मरीज गरीब परिवार से आता है, फिर भी इलाज में लापरवाही बरती जा रही है.

ईटीवी भारत की खास रिपोर्ट

मरीज का क्या है कहना ?
मरीज अभिषेक ने कहा कि इलाज के नाम पर सिर्फ मजाक हो रहा है. न तो ठीक से ड्रेसिंग हो रही है और न ही कोई ट्रीटमेंट. डॉक्टर बस हाल जानकर चले जाते हैं. उन्होंने बताया कि मामूली दवाई और सूई से काम चल रहा है. नतीजतन धीरे-धीरे पैर का जख्म और भी बढ़ता जा रहा है.

आरोप निराधार- अस्पताल अधीक्षक
वहीं, अस्पताल अधीक्षक इंद्र नारायण झा ने इन आरोपों को निराधार बताया है. उन्होंने कहा कि जो भी आरोप परिजन लगा रहे हैं, वह बेबुनियाद है. मरीज का इलाज ठीक तरीके से हो रहा है. हालत क्रिटिकल होने के कारण रेफर किया गया था. अधीक्षक ने बताया कि अस्पताल में अमीर-गरीब देखकर इलाज नहीं होता है.

पूर्णिया: जिले के सदर अस्पताल में लापरवाही का मामला सामने आया है. अस्पताल में मरीज के भर्ती होने के बाद इलाज में देरी की जा रही है. परिजनों का आरोप है कि अस्पताल में सिर्फ पैरवी और पैसे वालों का इलाज होता है. हालांकि, अस्पताल अधीक्षक ने इन सभी आरोपों को निराधार बताया है.

बताया जाता है कि यहां के बनमनखी प्रखंड स्थित औराही के अभिषेक कुमार का रोड एक्सीडेंट में पैर टूट गया था, जिसके बाद उसे सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया. परिजनों ने अस्पताल पर आरोप लगाया कि मरीज के भर्ती होने के चार दिन बाद भी डॉक्टर इलाज में कोताही बरत रहे हैं.

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इंद्र नारायण झा, अस्पताल अधीक्षक

'रेफर करने की मिलती है सलाह'
परिजन बताते हैं कि अभिषेक के अस्पताल में भर्ती होने के बाद से डॉक्टर इलाज में ढ़ीला रवैया अपना रहे हैं. पहले मरीज को भर्ती कर लिया गया. फिर प्राथमिक उपचार के बाद उसे रेफर कर दिया गया. आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण डॉक्टर उन्हें परेशान कर रहे हैं. परिजन बताते हैं कि स्वास्थ्य विभाग में पैरवी के बाद अभिषेक को फिर से री एडमिट किया गया.
परिजनों ने कहा कि मरीज का पैर फ्रैक्चर होने के बाद भी अस्पताल उन्हें गंभीरता से नहीं ले रहा है. यहां सिर्फ प्राइवेट अस्पताल में जाने की सलाह दी जाती है. जबकि डॉक्टर को इस बात की जानकारी भी है कि मरीज गरीब परिवार से आता है, फिर भी इलाज में लापरवाही बरती जा रही है.

ईटीवी भारत की खास रिपोर्ट

मरीज का क्या है कहना ?
मरीज अभिषेक ने कहा कि इलाज के नाम पर सिर्फ मजाक हो रहा है. न तो ठीक से ड्रेसिंग हो रही है और न ही कोई ट्रीटमेंट. डॉक्टर बस हाल जानकर चले जाते हैं. उन्होंने बताया कि मामूली दवाई और सूई से काम चल रहा है. नतीजतन धीरे-धीरे पैर का जख्म और भी बढ़ता जा रहा है.

आरोप निराधार- अस्पताल अधीक्षक
वहीं, अस्पताल अधीक्षक इंद्र नारायण झा ने इन आरोपों को निराधार बताया है. उन्होंने कहा कि जो भी आरोप परिजन लगा रहे हैं, वह बेबुनियाद है. मरीज का इलाज ठीक तरीके से हो रहा है. हालत क्रिटिकल होने के कारण रेफर किया गया था. अधीक्षक ने बताया कि अस्पताल में अमीर-गरीब देखकर इलाज नहीं होता है.

Intro:आकाश कुमार (पूर्णिया) exclusive report सीमांचल के एम्स के नाम से मशहूर जिले के सदर अस्पताल से एक बड़ा मामला सामने है। यहां एडमिट हुए एक मरीज और उनके परिजनों ने सदर अस्पताल प्रबंधन पर बेहद गंभीर आरोप लगाया है। मरीज व उनके परिजनों ने ईटीवी भारत के कैमरे पर आरोप लगाते हुए कहा कि यहां पैसा और पैरवी बोलता है। दरअसल इनका आरोप है कि पहले तो पेसेंट को दो दिनों तक टरकाया जाता रहा जब मामला क्रिटिकल हो गया तो डॉक्टर ने पेसेंट को रेफर कर दिया। बाद में स्वास्थ्य विभाग में कार्यरत एक सगे- संबंधी की पैरवी लेने पर रेफर पेसेंट को री एडमिट करा लिया गया। वहीं ईटीवी को मामले की भनक लगती ही डॉक्टर रफ्फूचक्कर हो गया।


Body:सड़क हादसे के बाद लाया गया था सदर अस्पताल... बताया जाता है कि जिले के बनमनखी प्रखंड के औराही में रहने वाले अभिषेक कुमार सड़क हादसे में गंभीर रूप से घायल होने के बाद आनन-फानन में सदर अस्पताल में भर्ती कराए गए थे। यहां उन्हें सर्जिकल वार्ड 1 के बेड संख्या 13 पर भर्ती लिया गया। बताया जाता है कि वे आज से ठीक चार दिन पहले सदर अस्पताल में एडमिट हुए थे। परिजनों ने लगया ट्रीटमेंट में कोताही का आरोप... अभिषेक कुमार की बहन अर्चना देवी व मौसेरे भाई का आरोप है कि इन दो दिनों तक आर्थिक रूप से कमजोर होने की वजह से अभिषेक कुमार के ट्रीटमेंट में कोताही बरती गई। इनका आरोप है कि यहां आने वाले गरीब पेसेंट के इलाज में लाखों की सैलरी पाने वाले डॉक्टर कोताही बररते हैं। यहां उन्हीं का इलाज होता है जिनके पास पैसा और सबसे खास बात पैरवी होती है। परवी हो तो यहां सबकुछ संभंव है। वरना पेसेंट पीड़ा से मर जाए अस्पताल प्रबंधन को कोई फर्क तक नहीं पड़ता। हुई पैरवी तो रेफर मरीज हुए री एडमिट.... परिजनों के आरोपों पर गौर करें तो तो एडमिट होने के चार दिनों तक पेसेंट के इलाज में कोताही बरती गई। ट्रीटमेंट के नाम पर आरोपी डॉक्टर खानापूर्ति करते रहे। वहीं मामले को हाथ से निकलता देख आरोपी डॉक्टर ने आनन-फानन में अभिषेक को रेफर कर दिया। जिसके बाद पेसेंट के परिवार वालों ने स्वास्थ्य विभाग में कार्यरत एक सगी-संबंधी की मदद ली। जिनकी पैरवी व डांट-डपटई के बाद मामले ने तूल पकड़ा। और आरोपी डॉक्टर के कारनामे से अनजान सोया महकमा हरकत में आया। जिसके ठीक बाद रेफर किए गए पेसेंट को री एडमिट किया गया। डॉक्टर साहब देते थे प्राइवेट अस्पताल जाने की सलाह... गंभीर रूप से पैर से फ्रैक्चर अभिषेक कुमार का आरोप है कि गरीब होने व ट्रीटमेंट मेजर होने की वजह से डॉक्टर उनका इलाज करने के बजाए किसी प्राइवेट अस्पताल में दाखिल होने की सलाह देते रहे। जबकि उनसे यह बताया कि वह आर्थिक रूप से कमजोर है लाखों के ट्रीटमेंट जा खर्च वहन नहीं कर सकेगा। मगर आरोपी डॉक्टर ने इनकी एक न सुनी टालमटोल के कारण गंभीर रूप से पैर से फ्रैक्चर अभिषेक की न प्रॉपर ड्रेसिंग की गई और न ही ट्रीटमेंट। चार दिनों तक दर्द से चीखते रहे अभिषेक.... ये बताते हैं दूसरे पेसेंट की तरह मामूली चिकित्सीय उपचार व दबाई -सुई से काम चलाया जाता रहा। नतीजतन धीरे-धीरे पैर का सृजन बढ़ता चला गया। प्लस का प्रवाह और बदबू से अभिषेक की दम घुटने लगी। आंखों में आंसू लिए अभिषेक बताते हैं इन चार दिनों में उन्होनें मौत को करीब से महसूस किया। हर वक़्त दर्द से कर्राहते रहे। सामने आया अधीक्षक का बयान... इस बाबत ईटीवी भारत ने मामले को प्रमुखता से उठाते हुए सदर अस्पताल अधीक्षक इंद्र नारायण झा के संज्ञान में पहुंचाया। उन्होंने कहा कि परिजनों का आरोप गलत है अस्पताल में सबका इलाज समान रूप से होता है पैरवी जैसी कोई बात नहीं। उन्होंने कहा कि पेसेंट के पैर का डैमेज हिस्सा ज्यादा है। फिलहाल दो दिन रखने के बाद ही कहा जा सकेगा कि प्लास्टिक सर्जरी के लिए रेफर करने की आवश्यकता है या नहीं।


Conclusion:
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