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पूर्णिया: बदहाल अस्पताल का हाल, जमीन पर लेटा कर हो रहा इलाज

अस्पताल में बेड की कमी होने के कारण मरीजों का इलाज जमीन पर हो रहा है. मरीजों को ग्लूकोज भी फर्श पर लिटा कर चढ़या जा रहा है. जिससे मरीजों को काफी परेशानी हो रही है.

मरीज
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Published : Jul 7, 2019, 9:04 AM IST

Updated : Jul 7, 2019, 9:12 AM IST

पूर्णिया: बिहार सरकार स्वास्थ्य व्ययवस्था को दुरुस्त करने की लाख दावा कर रही हो. लेकिन, जमीनी हकीकत कुछ और ही है. जिले का सदर अस्पताल इन दिनों अपनी बदहाली का मार झेल रहा है. इस अस्पताल में बेड की कमी से मरीजों को फर्श पर ही इलाज कराना पड़ रहा है.


दरअसल, अस्पताल में बेड की कमी होने के कारण मरीजों का इलाज जमीन पर हो रहा है. मरीजों को ओआरएस की घोल भी फर्श पर लिटा कर चढ़या जा रहा है. जिससे मरीजों को काफी परेशानी हो रही है. फर्श पर इतनी गन्दगी फैली हुई है कि इलाज कराने आए मरीजों को फिर से बीमार पड़ जाए.

purnea
इन्द्र नारायण झा, अस्पताल अधीक्षक
मरीजों की शिकायतइस संबंध में मरीज ने कहा कि वह इलाज कराने आए थे. लेकिन, अस्पताल में बेड की कमी होने के कारण उन्हें जमीन पर इलाज कराना पड़ रहा है. पैसे की कमी होने के कारण किसी और अस्पताल में इलाज नहीं करा सकता. लिहाजा मजबूरी में इस अस्पताल में भर्ती होना पड़ा. वहीं, दूसरे मरीजों का भी दर्द कुछ ऐसा ही है. उन्होंने भी कहा कि आनन-फानन में अस्पताल में इलाज के लिए मरीज को लाया गया. लेकिन, बेड नहीं होने के कारण मरीज को जमीन पर लिटाकर पानी चढ़ाया गया. वहीं, मरीजों की शिकायत है कि यहां अस्पताल के कर्मचारी सही से सहायता नहीं कर रहे हैं. कोई पूछने वाला नहीं हैं.


सीएस का बयान

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जमीन पर इलाज कराते मरीज
इस बाबत इस पूरे मामले पर सफाई देते हुए सदर अस्पताल के सीएस मधुसूदन प्रसाद ने कहा कि अस्पताल में बेड की कमी नहीं है. कभी-कभी मरीजों के बढ़ जाने से समस्या हो जाती है. वर्ना इस प्रकार की दिक्कत बहुत कम ही देखने को मिलती है. उन्होंने कहा कि इस अस्पताल में करीब 300 बेड हैं. मरीजों की तादाद बढ़ जाने से मजबूरन जमीन पर बिठाना पड़ता है.

अस्पताल अधीक्षक ने दी सफाई

बीमार अस्पताल की रिपोर्ट
अस्पताल के अधीक्षक इंद्र नारायण झा ने बताया कि अस्पताल के सभी कर्मचारी अपने सही ढ़ंग से काम कर रहे हैं. कभी-कभी अस्पताल में मरीजों की भीड़ बढ़ जाने से कर्मचारी परेशान हो जाते हैं. लेकिन, ज्यादातर यहां सभी कर्मचारी मरीजों की सहायता के लिए तत्पर रहते हैं.

पूर्णिया: बिहार सरकार स्वास्थ्य व्ययवस्था को दुरुस्त करने की लाख दावा कर रही हो. लेकिन, जमीनी हकीकत कुछ और ही है. जिले का सदर अस्पताल इन दिनों अपनी बदहाली का मार झेल रहा है. इस अस्पताल में बेड की कमी से मरीजों को फर्श पर ही इलाज कराना पड़ रहा है.


दरअसल, अस्पताल में बेड की कमी होने के कारण मरीजों का इलाज जमीन पर हो रहा है. मरीजों को ओआरएस की घोल भी फर्श पर लिटा कर चढ़या जा रहा है. जिससे मरीजों को काफी परेशानी हो रही है. फर्श पर इतनी गन्दगी फैली हुई है कि इलाज कराने आए मरीजों को फिर से बीमार पड़ जाए.

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इन्द्र नारायण झा, अस्पताल अधीक्षक
मरीजों की शिकायतइस संबंध में मरीज ने कहा कि वह इलाज कराने आए थे. लेकिन, अस्पताल में बेड की कमी होने के कारण उन्हें जमीन पर इलाज कराना पड़ रहा है. पैसे की कमी होने के कारण किसी और अस्पताल में इलाज नहीं करा सकता. लिहाजा मजबूरी में इस अस्पताल में भर्ती होना पड़ा. वहीं, दूसरे मरीजों का भी दर्द कुछ ऐसा ही है. उन्होंने भी कहा कि आनन-फानन में अस्पताल में इलाज के लिए मरीज को लाया गया. लेकिन, बेड नहीं होने के कारण मरीज को जमीन पर लिटाकर पानी चढ़ाया गया. वहीं, मरीजों की शिकायत है कि यहां अस्पताल के कर्मचारी सही से सहायता नहीं कर रहे हैं. कोई पूछने वाला नहीं हैं.


सीएस का बयान

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जमीन पर इलाज कराते मरीज
इस बाबत इस पूरे मामले पर सफाई देते हुए सदर अस्पताल के सीएस मधुसूदन प्रसाद ने कहा कि अस्पताल में बेड की कमी नहीं है. कभी-कभी मरीजों के बढ़ जाने से समस्या हो जाती है. वर्ना इस प्रकार की दिक्कत बहुत कम ही देखने को मिलती है. उन्होंने कहा कि इस अस्पताल में करीब 300 बेड हैं. मरीजों की तादाद बढ़ जाने से मजबूरन जमीन पर बिठाना पड़ता है.

अस्पताल अधीक्षक ने दी सफाई

बीमार अस्पताल की रिपोर्ट
अस्पताल के अधीक्षक इंद्र नारायण झा ने बताया कि अस्पताल के सभी कर्मचारी अपने सही ढ़ंग से काम कर रहे हैं. कभी-कभी अस्पताल में मरीजों की भीड़ बढ़ जाने से कर्मचारी परेशान हो जाते हैं. लेकिन, ज्यादातर यहां सभी कर्मचारी मरीजों की सहायता के लिए तत्पर रहते हैं.
Intro:आकाश कुमार (पूर्णिया)


बिहार का स्वास्थ्य महेकमा व्यवस्थाओं के नाम पर अपनी पीठ चाहे क्यों न थपथपा ले मगर सरकारी अस्पतालों से मिलने वाली सुविधाओं में किस कदर घोलमाल है इसकी ताजा तस्वीर सदर अस्पताल से आई है। जहां गंभीर रूप से पीड़ित मरीजों को ओएस तक फर्श पर लिटाकर ही चढ़ा दिया गया है। हैरत की बात है यह सबकुछ हेल्थ मैनेजर के कार्यालय के सामने चल रहा है।
वहीं डॉक्टरों की संवेदनहीनता की एक ऐसी तस्वीर सामने आई है
जहां एक लाचार में के सिसकियों ने व्यवस्थाओं पर गहरा सवाल खड़ा कर दिया है।




Body:हालांकि इन सब के बावजूद हैरत की बात यह है कि अस्पताल प्रबंधन अपनी गलतियों को स्वीकारने के बजाए इन सब से अपना पलड़ा झाड़ती दिख रही है। पेश है व्यवस्थाओं के पड़ताल पर एक एक्सक्लूसिव रिपोर्ट-


फर्श पर ही ट्रीटमेंट ,ओएस की बोतलें भी चढ़ाई.

दरअसल ईटीवी जब सदर अस्पताल के कई विभागों में गया तो बेड की कमी से जूझ रहे सदर अस्पताल में कई ऐसे मरीज पाए गए जिनका ट्रीटमेंट से लेकर ओएस चढ़ाने तक का सारा काम फर्श पर ही डॉक्टर साहब ने कर दिया। हैरत की बात है यह ट्रीटमेंट उस स्थान पर किया जा रहा है जहां के फर्श गंदगी और भिनभिनाती मक्खियों से भरे पड़े हैं। वहीं पंखे तक न लगे होने से से जख्मी मरीजों को आराम तो दूर गर्मी व जख्मों के जलन से पल-पल गुजारना मुहाल है।


मजबूर मरीज ,मस्त मैनेजर...

ताज्जुब की बात तो यह है कि हॉस्पिटल परिसर के जिस महिला वार्ड के बाहर फर्श पर गंभीर रोग से पीड़ित महिला का इलाज चल रहा है। वहीं पर हॉस्पिटल मैनेजर का चेम्बर है। लिहाजा जहां हॉस्पिटल मैनेजर के लिए एयर कंडीशनस से लैश कमरा व आरामदायक चेयर है। वहीं बनमनखी प्रखण्ड से आए रंजीता देवी नामक महिला मरीज व उनके परिजनों के लाख निवेदन के बाद भी अस्पताल प्रबंधन इस महिला मरीज को एक बेड तक उपलब्ध नहीं करा सकी। बेबसी की कुछ ऐसी ही कहानी बायसी प्रखण्ड से आए राकेश तांती व उनके परिजनों की मानें तो घण्टों इंतेजार व दर्जनों निवेदन के बाद भी जब इन्हें बेड मिलना असंभव सा लगा। तो मजबूर होकर फर्श पर ही इलाज के लिए तैयार हो जाना मरीज के परिजनों ने मुनासिब समझा।


बदइंतेजामी के आगे किसी के आंखों में आसूं ,कोई रेफर को मजबूर..


सदर अस्पताल में बदइन्तेजामी का आलम यह है कि अब मरीज सदर अस्पताल का नाम सुनकर ही यहां दोबारा आने से कतरा रहे हैं। गर्भ से चल रही प्रसूता और उसकी मां ललिया खातून की सिसकियां व बेबसी के बोल अस्पताल प्रबंधन के इंतजामों व चिकित्सकों के संवेदनहीनता की शिनाख्त करने को काफी हैं।
वहीं स्टाफ्स के मरीजों के प्रति सख्त रवैये व सुविधाओं में घोलमाल देख अब मरीज यहां से अपने मरीजों को रेफर कराने में ही अपनी भलाई समझ रहे हैं। सुविधाओं के आभाव में रेफर होने वाले मरीजों में शामिल प्रसूता व व डगरुआ के मो हयात जैसे मरीजों की तादाद लगातार बढ़ती जा रही है। ये मरीज सदर अस्पताल से किसी निजी अस्पताल में एडमिट को मजबूर हैं।


सामने आई सीएस की सफाई....

इस बाबत इस पूरे मामले पर सफाई देते हुए सदर अस्पताल के सीएस मधुसूदन प्रसाद व अधीक्षक इंद्र नारायण झा ने कहा है कि अस्पताल में एडमिट होने वाले मरीजों की तादाद अस्पताल की कैपेसिटी से कहीं अधिक है। अस्पताल में 300 बेड हैं। जो रोजाना एडमिट होने वाले मरीजों की संख्या के आगे कमतर साबित हो रही है। यही वजह है कि मजबूरन मरीजों का इलाज फर्श पर करना पड़ रहा है। वहीं प्रसूता की मां की ओर से अस्पताल स्टाफ पर लगाए गए आरोपों को सीएस ने सिरे से नकार दिया है। वहीं हॉस्पिटल मैनेजर से जब इस संबंध में प्रतिक्रिया जानने की कोशिश की गई तो उन्होंने बात करने से साफ इंकार कर दिया।



Conclusion:cs- sky shirt
hs - red shirt
Last Updated : Jul 7, 2019, 9:12 AM IST
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