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क, ख, ग, घ, 'मंज़िल तो याद रही, घर का पता भूल गए'

एक युवक ने एबीसीडी तो बड़े फर्राटे से पढ़ ली पर जैसे ही उससे क ख ग घ बोलने को कहा गया तो जनाब अपनी हिंदी का ककहरा ही भूल गए. उन्होंने अपने दोस्त के मार्फत बताने की कोशिश की.

युवाओं को नहीं है हिंदी की जानकारी
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Published : Sep 14, 2019, 8:29 AM IST

Updated : Sep 14, 2019, 9:35 AM IST

पटना: हर साल 14 सितंबर को हिंदी दिवस देश भर में मनाया जाता है. हिंदी भारत की राजभाषा है. दुनिया में सबसे ज्यादा बोली जाने वाली यह तीसरी भाषा में शुमार है. आज के दौर में आम लोगों को कितनी हिंदी आती है, इसे लेकर ईटीवी भारत ने राजधानी पटना के आम लोगों से ककहरा और वर्णमाला के बारे में जानकारी ली, जिसमें युवाओं ने साफ तौर से बताया कि कहीं ना कहीं आज वह हिंदी भूल रहे हैं.

patna
युवाओं को नहीं है हिंदी की जानकारी

कैमरे के सामने एक युवक ने एबीसीडी तो बड़े फर्राटे से पढ़ ली पर जैसे ही उससे क ख ग घ बोलने को कहा गया तो जनाब अपनी हिंदी का ककहरा ही भूल गए. उन्होंने अपने दोस्त के मार्फत बताने की कोशिश की. उनके दोस्त को हिंदी का अच्छा ज्ञान है पर उसने इंग्लिश मीडियम से पढ़ाई की है इसलिए आज वह हिंदी भूल गये हैं.

हिंदी भाषा से दूर हो रहे आज के युवा

युवाओं को नहीं है हिंदी की जानकारी
ऐसे ही कई लड़कियों से भी जब हिंदी को लेकर जानकारी ली तो वो भी फिसड्डी साबित हुईं. आज हिंदी की ताकत इतनी है कि सभी विदेशी कंपनियां हिंदी को बढ़ावा देने में लगी है. यहां तक कि दुनिया के सबसे बड़े सर्चिंग इंजन गूगल पहले जहां अंग्रेजी के कांटेक्ट को बढ़ावा देता था, वहीं आज हिंदी और अन्य क्षेत्रीय भाषा वाले कांटेक्ट को प्रमुखता दे रहा है. हिंदी विश्व की प्राचीन समृद्ध और सरल भाषा बताई गई है. भारत ही नहीं बल्कि दुनिया के कई देशों में हिंदी भाषा बोली जाती है. लेकिन अपने ही देश के युवाओं के हालात ऐसे हैं आज वह अपनी ही मात्री भाषा हिंदी के ककहरा और वर्णमाला को भूलते जा रहे हैं.

पटना: हर साल 14 सितंबर को हिंदी दिवस देश भर में मनाया जाता है. हिंदी भारत की राजभाषा है. दुनिया में सबसे ज्यादा बोली जाने वाली यह तीसरी भाषा में शुमार है. आज के दौर में आम लोगों को कितनी हिंदी आती है, इसे लेकर ईटीवी भारत ने राजधानी पटना के आम लोगों से ककहरा और वर्णमाला के बारे में जानकारी ली, जिसमें युवाओं ने साफ तौर से बताया कि कहीं ना कहीं आज वह हिंदी भूल रहे हैं.

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युवाओं को नहीं है हिंदी की जानकारी

कैमरे के सामने एक युवक ने एबीसीडी तो बड़े फर्राटे से पढ़ ली पर जैसे ही उससे क ख ग घ बोलने को कहा गया तो जनाब अपनी हिंदी का ककहरा ही भूल गए. उन्होंने अपने दोस्त के मार्फत बताने की कोशिश की. उनके दोस्त को हिंदी का अच्छा ज्ञान है पर उसने इंग्लिश मीडियम से पढ़ाई की है इसलिए आज वह हिंदी भूल गये हैं.

हिंदी भाषा से दूर हो रहे आज के युवा

युवाओं को नहीं है हिंदी की जानकारी
ऐसे ही कई लड़कियों से भी जब हिंदी को लेकर जानकारी ली तो वो भी फिसड्डी साबित हुईं. आज हिंदी की ताकत इतनी है कि सभी विदेशी कंपनियां हिंदी को बढ़ावा देने में लगी है. यहां तक कि दुनिया के सबसे बड़े सर्चिंग इंजन गूगल पहले जहां अंग्रेजी के कांटेक्ट को बढ़ावा देता था, वहीं आज हिंदी और अन्य क्षेत्रीय भाषा वाले कांटेक्ट को प्रमुखता दे रहा है. हिंदी विश्व की प्राचीन समृद्ध और सरल भाषा बताई गई है. भारत ही नहीं बल्कि दुनिया के कई देशों में हिंदी भाषा बोली जाती है. लेकिन अपने ही देश के युवाओं के हालात ऐसे हैं आज वह अपनी ही मात्री भाषा हिंदी के ककहरा और वर्णमाला को भूलते जा रहे हैं.

Intro:हर साल 14 सितंबर को हिंदी दिवस देश भर में मनाया जाता है हिंदी विश्व की प्राचीन समृद्ध और सरल भाषा बताई गई है भारत ही नहीं बल्कि दुनिया के कई देशों में हिंदी भाषा बोली जाती है और हिंदी भारत की राष्ट्रभाषा है दुनिया में सबसे ज्यादा बोली जाने वाली यह तीसरी भाषा में शुमार है और आज के परिदृश्य में आम लोगों को कितनी हिंदी आती है या उन्हें हिंदी का ककहरा या फिर अ आ इ ई कितनी याद है इसको लेकर ईटीवी भारत में राजधानी पटना के आम लोगों से ककहरा और वर्णमाला के बारे में जानकारी ली जिसमें युवाओं ने साफ तौर से बताया कि कहीं ना कहीं आज वह हिंदी भूल रहे हैं


Body:ऐसे ही एक युवक ने ईटीवी भारत के कैमरे के सामने एबीसीडी तो बड़े फर्राटे से रख ली पर जैसे ही हमारे संवाददाता ने उससे क ख ग घ बोलने की बातें कहीं तो जनाब अपनी हिंदी का ककहरा ही भूल गए उन्होंने अपने दोस्त के मार्फत बताने की कोशिश की उसके दोस्त को हिंदी का अच्छा ज्ञान है पर उसने इंग्लिश मीडियम से पढ़ाई की है इसलिए आज वह धीरे-धीरे हिंदी भूल गया है

ऐसे ही कई लड़कियों से भी जब हमने हिंदी के बाबत जानकारी ली तो वह भी फिसड्डी साबित हुई


Conclusion:आज हिंदी की ताकत इतनी है कि सभी विदेशी कंपनियां हिंदी को बढ़ावा देने में लगी है यहां तक कि दुनिया के सबसे बड़े सर्चिंग इंजन गूगल पहले जहां अंग्रेजी के कांटेक्ट को बढ़ावा देता था आज गूगल हिंदी और अन्य क्षेत्रीय भाषा वाले कांटेक्ट को प्रमुखता दे रहा है पर अपने ही देश के युवाओं के हालात ऐसे हैं आज वह अपनी ही मात्री भाषा हिंदी के ककहरा और वर्णमाला को भूलता दिख रहा है....
Last Updated : Sep 14, 2019, 9:35 AM IST
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