ETV Bharat / state

डिजिटल दुनिया में 'द गोल्डन एज 17' का धमाल, सौरभ ने दिया पढ़ाई के साथ कमाई का फॉर्मूला - Bihar's pride

बिहार के सौरभ की लिखी पुस्तक 'द गोल्डन एज 17' की चर्चा आज हर किसी के जुबान पर है. महज 13 साल की उम्र में डिजिटल की दुनिया में कदम रखनेवाले सौरभ ने 50 से ज्यादा ऐप, 200 से ज्यादा वेबसाइट और 200 से ज्यादा कंपनियां बनाई है. पढ़िए पूरी खबर..

The Golden Age 17
The Golden Age 17
author img

By

Published : Sep 24, 2021, 5:49 PM IST

पटना: बिहार के युवाओं ने अपनी प्रतिभा का लोहा देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी मनवाया है. बिहार के कई लाल देश में कमाल कर रहे हैं. इन्हीं में से एक बिहार के सौरभ (Young Entrepreneur Saurabh) हैं. सौरभ ने महज 13 साल की उम्र में ही डिजिटल दुनिया में कदम रखा था. आज सौरभ स्वावलंबी बन गए हैं. इनकी लिखी किताब 'द गोल्डन एज 17' (The Golden Age 17) भी लोगों को खब पसंद आ रही है.

यह भी पढ़ें- हार्वर्ड विश्वविद्यालय में बिहार का बजा डंका, शरद विवेक सागर बने छात्र संघ अध्यक्ष

पश्चिम चंपारण निवासी सौरभ महज 17 साल की उम्र में ही युवाओं के लिए मिसाल बन चुके हैं. 13 साल के उम्र में सौरभ ने स्वावलंबी बनने का फैसला लिया. सौरभ ने सॉफ्टवेयर एप डेवलपर बनने का निर्णय लिया. 4 साल के अथक प्रयास और कड़े संघर्ष के बाद उन्होंने सफलता की सीढ़ियों पर अपने कदम रखे.

देखें वीडियो

सौरभ ने बोर्ड पास करने के साथ-साथ सॉफ्टवेयर के क्षेत्र में बड़ा मुकाम हासिल किया है. इनके नाम कई उपलब्धियां हैं. 50 से ज्यादा ऐप सौरभ डेवलप कर चुके हैं. 200 से ज्यादा कंपनियां बनाई है, 200 से ज्यादा वेबसाइट का निर्माण किया है. सौरभ की लिखी हुई 'द गोल्डन एज 17' पुस्तक खूब सुर्खियां बटोर रही है.

यह भी पढ़ें- मटका कूलर बनाने वाली सुष्मिता को पीएम मोदी के प्रमुख वैज्ञानिक सलाहकार ने सराहा

अमेजन और फ्लिपकार्ट पर सौरभ की लिखी पुस्तक को युवा खूब पसंद कर रहे हैं. पुस्तक में युवाओं के लिए बहुत कुछ है. युवा कैसे पढ़ाई के साथ कमाई करें, इस बारे में टिप्स भी दिया गया है. सौरभ के पिता सुभाष कुमार मैकेनिकल इंजीनियर हैं और वह मद्रास में नौकरी करते हैं.

"कम उम्र में मैंने यह ठान लिया था कि मुझे नौकरी नहीं करनी है और लोगों को रोजगार देना है. आज की तारीख में मैंने तीन चार लोगों को रोजगार दिए हुए हैं. हमारी पुस्तक के जरिए युवा अपने लिए तरक्की के मार्ग खोल सकते हैं."- सौरभ, युवा उद्यमी

सौरभ मद्रास में ही डॉन बॉस्को स्कूल में पढ़ाई कर रहे थे और उसी दौरान सौरभ के मन में स्वावलंबी बनने का ख्याल आया. आज की तारीख में सौरभ ने अपने नाम कई कंपनियां स्थापित कर ली हैं और सॉफ्टवेयर डेवलपर के तौर पर काम कर रहे हैं. वेबसाइट डीजी, छोटे और बड़े दुकानदारों के लिए वरदान साबित हो रहा है.

"सौरभ बचपन से ही होनहार था और कुछ अलग करने की ललक सौरभ के मन में थी. परिवार वालों का भी सौरभ को खूब सहयोग मिला और आज की तारीख में वह युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत है."- नवीन, सौरभ के बड़े भाई

लोग डीजी साइट पर ऑनलाइन दुकान मुफ्त खोल सकते हैं और अपने सामान की खरीद बिक्री कर सकते हैं. सौरभ ने चर्चित फुटबॉल खिलाड़ी प्रतीक शिंदे के लिए भी काम किया और उनका सॉफ्टवेयर डेवलप किया. तीरंदाजी के क्षेत्र में शोहरत कमाने वाली कोमालिका बारी के लिए भी सौरभ ने सॉफ्टवेयर डेवलप करने का काम किया है. सौरभ के नाम कई रिकॉर्ड दर्ज हैं. सौरभ को ओएमजी बुक ऑफ रिकॉर्ड पुरस्कार से भी नवाजा जा चुका है. इसके अलावा इंडियन बुक ऑफ रिकॉर्ड पुरस्कार भी सौरभ को मिला है.

यह भी पढ़ें- बिहार की बेटी का कमाल, बनाया कोरोना मरीज की जांच और देखभाल करने वाला रोबोट

यह भी पढ़ें- सरकारी स्कूल की इस छात्रा को हार्वर्ड यूनिवर्सिटी ने चुना, जानें 9वीं की प्रतीक्षा ने ऐसा क्या किया?

पटना: बिहार के युवाओं ने अपनी प्रतिभा का लोहा देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी मनवाया है. बिहार के कई लाल देश में कमाल कर रहे हैं. इन्हीं में से एक बिहार के सौरभ (Young Entrepreneur Saurabh) हैं. सौरभ ने महज 13 साल की उम्र में ही डिजिटल दुनिया में कदम रखा था. आज सौरभ स्वावलंबी बन गए हैं. इनकी लिखी किताब 'द गोल्डन एज 17' (The Golden Age 17) भी लोगों को खब पसंद आ रही है.

यह भी पढ़ें- हार्वर्ड विश्वविद्यालय में बिहार का बजा डंका, शरद विवेक सागर बने छात्र संघ अध्यक्ष

पश्चिम चंपारण निवासी सौरभ महज 17 साल की उम्र में ही युवाओं के लिए मिसाल बन चुके हैं. 13 साल के उम्र में सौरभ ने स्वावलंबी बनने का फैसला लिया. सौरभ ने सॉफ्टवेयर एप डेवलपर बनने का निर्णय लिया. 4 साल के अथक प्रयास और कड़े संघर्ष के बाद उन्होंने सफलता की सीढ़ियों पर अपने कदम रखे.

देखें वीडियो

सौरभ ने बोर्ड पास करने के साथ-साथ सॉफ्टवेयर के क्षेत्र में बड़ा मुकाम हासिल किया है. इनके नाम कई उपलब्धियां हैं. 50 से ज्यादा ऐप सौरभ डेवलप कर चुके हैं. 200 से ज्यादा कंपनियां बनाई है, 200 से ज्यादा वेबसाइट का निर्माण किया है. सौरभ की लिखी हुई 'द गोल्डन एज 17' पुस्तक खूब सुर्खियां बटोर रही है.

यह भी पढ़ें- मटका कूलर बनाने वाली सुष्मिता को पीएम मोदी के प्रमुख वैज्ञानिक सलाहकार ने सराहा

अमेजन और फ्लिपकार्ट पर सौरभ की लिखी पुस्तक को युवा खूब पसंद कर रहे हैं. पुस्तक में युवाओं के लिए बहुत कुछ है. युवा कैसे पढ़ाई के साथ कमाई करें, इस बारे में टिप्स भी दिया गया है. सौरभ के पिता सुभाष कुमार मैकेनिकल इंजीनियर हैं और वह मद्रास में नौकरी करते हैं.

"कम उम्र में मैंने यह ठान लिया था कि मुझे नौकरी नहीं करनी है और लोगों को रोजगार देना है. आज की तारीख में मैंने तीन चार लोगों को रोजगार दिए हुए हैं. हमारी पुस्तक के जरिए युवा अपने लिए तरक्की के मार्ग खोल सकते हैं."- सौरभ, युवा उद्यमी

सौरभ मद्रास में ही डॉन बॉस्को स्कूल में पढ़ाई कर रहे थे और उसी दौरान सौरभ के मन में स्वावलंबी बनने का ख्याल आया. आज की तारीख में सौरभ ने अपने नाम कई कंपनियां स्थापित कर ली हैं और सॉफ्टवेयर डेवलपर के तौर पर काम कर रहे हैं. वेबसाइट डीजी, छोटे और बड़े दुकानदारों के लिए वरदान साबित हो रहा है.

"सौरभ बचपन से ही होनहार था और कुछ अलग करने की ललक सौरभ के मन में थी. परिवार वालों का भी सौरभ को खूब सहयोग मिला और आज की तारीख में वह युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत है."- नवीन, सौरभ के बड़े भाई

लोग डीजी साइट पर ऑनलाइन दुकान मुफ्त खोल सकते हैं और अपने सामान की खरीद बिक्री कर सकते हैं. सौरभ ने चर्चित फुटबॉल खिलाड़ी प्रतीक शिंदे के लिए भी काम किया और उनका सॉफ्टवेयर डेवलप किया. तीरंदाजी के क्षेत्र में शोहरत कमाने वाली कोमालिका बारी के लिए भी सौरभ ने सॉफ्टवेयर डेवलप करने का काम किया है. सौरभ के नाम कई रिकॉर्ड दर्ज हैं. सौरभ को ओएमजी बुक ऑफ रिकॉर्ड पुरस्कार से भी नवाजा जा चुका है. इसके अलावा इंडियन बुक ऑफ रिकॉर्ड पुरस्कार भी सौरभ को मिला है.

यह भी पढ़ें- बिहार की बेटी का कमाल, बनाया कोरोना मरीज की जांच और देखभाल करने वाला रोबोट

यह भी पढ़ें- सरकारी स्कूल की इस छात्रा को हार्वर्ड यूनिवर्सिटी ने चुना, जानें 9वीं की प्रतीक्षा ने ऐसा क्या किया?

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.