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Lockdown की अवधि में उपयोग से ज्यादा बिजली बिल आने से उपभोक्ता परेशान

पूरे मामले पर सूचना एवं जनसंपर्क मंत्री नीरज कुमार ने कहा कि बिजली बिल को लेकर थोड़ी समस्या है. मामला सरकार के संज्ञान में आया है. जल्द ही समाधान ढूंढ लिया जाएगा.

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Published : May 26, 2020, 10:11 AM IST

बिल दिखाता उपभोक्ता
बिल दिखाता उपभोक्ता

पटना: कोरोना वायरस के खतरे को देखते हुए देश भर में पिछले 2 महीनों से लॉकडाउन है. लॉकडाउन होने की वजह से आम लोग आर्थिक संकट के दौर से गुजर रहे हैं. ऐसे में बिहार बिजली विभाग ने विद्युत उपभोक्ताओं की परेशानियों को बढ़ा दिया है. लॉकडाउन के दौरान मीटर रीडरों के हड़ताल पर होने के कारण विभाग की ओर से लोगों को ज्यादा बिल भेजे जा रहे हैं.

लॉकडाउन के दौरान बंद पड़े होटल, उद्योग, दुकानों और अन्य व्यवसायिक संस्थानों को इस बार एवरेज खपत के आधार पर बिजली बिल भेजे गए हैं. आम लोगों को भी एवरेज खपत के आधार पर बिजली बिल भेजा गया है जो घर 3 महीने से बंद है, वहां भी बिजली बिल भेज दिए गए हैं. बिजली विभाग के इस रवैए से आम और खास सभी परेशान हैं.

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बिजली मीटर की फोटो

राज्य में ये है मौजूदा स्थिति
बिहार में 3000 उद्योग इकाइयां 38 जिलों में कार्यरत है. जिसमें बियाड़ा प्रक्षेत्र में 569 इकाइयां कार्यरत हैं. औद्योगिक इकाइयां फिक्स चार्ज से परेशान हैं. फिक्स्ड चार्ज ने उद्योगपतियों के परेशानियों को और बढ़ा दिया है, ऊपर से औसत बिल भेजे जाने से औद्योगिक इकाइयों पर आर्थिक बोझ बढ़ गया है. विधायक राहुल तिवारी की मानें तो उनके कई औद्योगिक प्रतिष्ठान हैं, इन्हें कर्मचारियों को तनख्वाह देने के लिए भी जद्दोजहद करनी पड़ रही है. प्रतिष्ठान जब खुले थे तब 40,000 रुपये बिजली बिल आता था. अब जब 2 महीने से सब बंद पड़ा है तो 60,000 रुपये से ज्यादा बिजली बिल आया है.

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विद्युत भवन (फाइल फोटो)

लोगों ने बताई परेशानी
बिजली बिल से खास ही नहीं बल्कि आम लोग भी परेशान हैं. अपार्टमेंट में रहने वाले संजय कुमार सिन्हा का कहना है कि उनका बिजली बिल 150 से 200 रुपये महीने आता था जो इस बार बढ़कर 600 रुपये के ऊपर चला गया है. जबकि पटना में लॉकडाउन से पहले कई लोग पटना छोड़कर अपने गांव चले गए थे. 2 महीने से उनके घर बंद हैं. बावजूद इसके बिजली बिल आ गए हैं. अपार्टमेंट के सचिव अनुपम कुमार का कहना है कि जो बंद फ्लैट हैं उनके नाम से भी बिजली बिल भेज दिए गए हैं.

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नीरज कुमार, सूचना एवं जनसंपर्क मंत्री

मीटर रीडरों की हड़ताल की वजह से हुई परेशानी
वहीं, बिजली विभाग के एमडी संजीवन कुमार बताया कि बिजली बिल किसी को ज्यादा नहीं भेजा गया है. लॉकडाउन की वजह से 3 महीने के औसत के आधार पर लोगों को बिजली बिल भेजा गया है. अगर किसी को लग रहा है कि उन्हें ज्यादा बिल भेजा गया है तो उसका समायोजन भी मीटर रीडिंग के बाद कर दिया जाएगा. हालांकि, एमडी ने कैमरे के सामने कुछ भी बोलने से इनकार किया.

मंत्री ने दिया जांच का आश्वासन
पूरे मामले पर सूचना एवं जनसंपर्क मंत्री नीरज कुमार ने कहा कि बिजली बिल को लेकर थोड़ी समस्या है. मामला सरकार के संज्ञान में आया है. जल्द ही समाधान ढूंढ लिया जाएगा. नीरज कुमार ने कहा कि दूसरे राज्य बिजली से पैसा कमा रहे हैं, लेकिन नीतीश सरकार में लोगों को राहत दी जा रही है.

पटना: कोरोना वायरस के खतरे को देखते हुए देश भर में पिछले 2 महीनों से लॉकडाउन है. लॉकडाउन होने की वजह से आम लोग आर्थिक संकट के दौर से गुजर रहे हैं. ऐसे में बिहार बिजली विभाग ने विद्युत उपभोक्ताओं की परेशानियों को बढ़ा दिया है. लॉकडाउन के दौरान मीटर रीडरों के हड़ताल पर होने के कारण विभाग की ओर से लोगों को ज्यादा बिल भेजे जा रहे हैं.

लॉकडाउन के दौरान बंद पड़े होटल, उद्योग, दुकानों और अन्य व्यवसायिक संस्थानों को इस बार एवरेज खपत के आधार पर बिजली बिल भेजे गए हैं. आम लोगों को भी एवरेज खपत के आधार पर बिजली बिल भेजा गया है जो घर 3 महीने से बंद है, वहां भी बिजली बिल भेज दिए गए हैं. बिजली विभाग के इस रवैए से आम और खास सभी परेशान हैं.

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बिजली मीटर की फोटो

राज्य में ये है मौजूदा स्थिति
बिहार में 3000 उद्योग इकाइयां 38 जिलों में कार्यरत है. जिसमें बियाड़ा प्रक्षेत्र में 569 इकाइयां कार्यरत हैं. औद्योगिक इकाइयां फिक्स चार्ज से परेशान हैं. फिक्स्ड चार्ज ने उद्योगपतियों के परेशानियों को और बढ़ा दिया है, ऊपर से औसत बिल भेजे जाने से औद्योगिक इकाइयों पर आर्थिक बोझ बढ़ गया है. विधायक राहुल तिवारी की मानें तो उनके कई औद्योगिक प्रतिष्ठान हैं, इन्हें कर्मचारियों को तनख्वाह देने के लिए भी जद्दोजहद करनी पड़ रही है. प्रतिष्ठान जब खुले थे तब 40,000 रुपये बिजली बिल आता था. अब जब 2 महीने से सब बंद पड़ा है तो 60,000 रुपये से ज्यादा बिजली बिल आया है.

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विद्युत भवन (फाइल फोटो)

लोगों ने बताई परेशानी
बिजली बिल से खास ही नहीं बल्कि आम लोग भी परेशान हैं. अपार्टमेंट में रहने वाले संजय कुमार सिन्हा का कहना है कि उनका बिजली बिल 150 से 200 रुपये महीने आता था जो इस बार बढ़कर 600 रुपये के ऊपर चला गया है. जबकि पटना में लॉकडाउन से पहले कई लोग पटना छोड़कर अपने गांव चले गए थे. 2 महीने से उनके घर बंद हैं. बावजूद इसके बिजली बिल आ गए हैं. अपार्टमेंट के सचिव अनुपम कुमार का कहना है कि जो बंद फ्लैट हैं उनके नाम से भी बिजली बिल भेज दिए गए हैं.

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नीरज कुमार, सूचना एवं जनसंपर्क मंत्री

मीटर रीडरों की हड़ताल की वजह से हुई परेशानी
वहीं, बिजली विभाग के एमडी संजीवन कुमार बताया कि बिजली बिल किसी को ज्यादा नहीं भेजा गया है. लॉकडाउन की वजह से 3 महीने के औसत के आधार पर लोगों को बिजली बिल भेजा गया है. अगर किसी को लग रहा है कि उन्हें ज्यादा बिल भेजा गया है तो उसका समायोजन भी मीटर रीडिंग के बाद कर दिया जाएगा. हालांकि, एमडी ने कैमरे के सामने कुछ भी बोलने से इनकार किया.

मंत्री ने दिया जांच का आश्वासन
पूरे मामले पर सूचना एवं जनसंपर्क मंत्री नीरज कुमार ने कहा कि बिजली बिल को लेकर थोड़ी समस्या है. मामला सरकार के संज्ञान में आया है. जल्द ही समाधान ढूंढ लिया जाएगा. नीरज कुमार ने कहा कि दूसरे राज्य बिजली से पैसा कमा रहे हैं, लेकिन नीतीश सरकार में लोगों को राहत दी जा रही है.

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