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विश्व गौरैया दिवस: स्कूली छात्राओं ने कबाड़ से जुगाड़ कर बनाया घोंसला, प्रदर्शनी में पहुंचे गौरैया प्रेमी - patna latest news

विश्व गौरैया दिवस को लेकर राजधानी पटना में कई कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इस दौरान स्कूली छात्राओं ने कबाड़ से जुगाड़ कर गौरैया का घोंसला बनाकर प्रदर्शनी भी लगायी.

पटना
विश्व गौरैया दिवस
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Published : Mar 21, 2021, 10:17 AM IST

पटना: विश्व गौरैया दिवस के मौके पर पटना के गोलघर पार्क गर्ल्स स्कूल के दर्जनों छात्राओं ने प्लास्टिक के बोतल मिट्टी के पुराने घड़े, सुखी घास प्लास्टिक की पुराने जूते, जूट के बोरे इत्यादि का घोंसला बनाया था. छात्राओं का कहना है कि हमलोगों ने कबाड़ से जुगाड़ कर घोंसला बनाया हैं ताकि गौरैया इसमें आकर रहे. छात्राओ का कहना था कि ये चिड़ियां विलुप्त हो रही है. इसको संरक्षित करने के लिए हमलोग यह काम कर रहे हैं.

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गौरैया के संरक्षण को लेकर पहल
वहीं, प्रदर्शनी में पहुंचे पीआईबी के उपनिदेशक संजय कुमार ने कहा कि निश्चित तौर पर गौरैया के संरक्षण को लेकर पहल होनी चाहिए. शहरों में कंक्रीट का जाल फैलता जा रहा है. ऐसे पक्षियों को रहने के लिए जगह नहीं है. कहीं ना कहीं इसको लेकर सोचने की जरूरत है. हमें उसके लिए भी ऐसे ही घोंसले बनाकर रखना चाहिए, जिससे गौरैया उसमे आकर रुके. उनके खाने-पीने और रहने का प्रबंध अगर हम कर लेते हैं तो निश्चित तौर पर ये प्राणी विलुप्त नहीं होंगे.

विश्व गौरैया दिवस

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बता दें कि संजय कुमार बिहार में गौरैया के संरक्षण के अभियान में जुड़े हुए हैं और पटना सहित इर्द-गिर्द के इलाके में ये गौरैया संरक्षण मुहिम के अंतर्गत लोगों के बीच रेडीमेड घोंसले भी समय-समय पर बांटते हैं. उनका मानना है कि ऐसे जीव के लिए लोगों को पहल कर व्यवस्था करनी चाहिए. इससे आम लोगों को भी फायदे हैं.

पटना: विश्व गौरैया दिवस के मौके पर पटना के गोलघर पार्क गर्ल्स स्कूल के दर्जनों छात्राओं ने प्लास्टिक के बोतल मिट्टी के पुराने घड़े, सुखी घास प्लास्टिक की पुराने जूते, जूट के बोरे इत्यादि का घोंसला बनाया था. छात्राओं का कहना है कि हमलोगों ने कबाड़ से जुगाड़ कर घोंसला बनाया हैं ताकि गौरैया इसमें आकर रहे. छात्राओ का कहना था कि ये चिड़ियां विलुप्त हो रही है. इसको संरक्षित करने के लिए हमलोग यह काम कर रहे हैं.

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गौरैया के संरक्षण को लेकर पहल
वहीं, प्रदर्शनी में पहुंचे पीआईबी के उपनिदेशक संजय कुमार ने कहा कि निश्चित तौर पर गौरैया के संरक्षण को लेकर पहल होनी चाहिए. शहरों में कंक्रीट का जाल फैलता जा रहा है. ऐसे पक्षियों को रहने के लिए जगह नहीं है. कहीं ना कहीं इसको लेकर सोचने की जरूरत है. हमें उसके लिए भी ऐसे ही घोंसले बनाकर रखना चाहिए, जिससे गौरैया उसमे आकर रुके. उनके खाने-पीने और रहने का प्रबंध अगर हम कर लेते हैं तो निश्चित तौर पर ये प्राणी विलुप्त नहीं होंगे.

विश्व गौरैया दिवस

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बता दें कि संजय कुमार बिहार में गौरैया के संरक्षण के अभियान में जुड़े हुए हैं और पटना सहित इर्द-गिर्द के इलाके में ये गौरैया संरक्षण मुहिम के अंतर्गत लोगों के बीच रेडीमेड घोंसले भी समय-समय पर बांटते हैं. उनका मानना है कि ऐसे जीव के लिए लोगों को पहल कर व्यवस्था करनी चाहिए. इससे आम लोगों को भी फायदे हैं.

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