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World Population Day : बिहार में कम नहीं हुई जन्म दर, जनसंख्या नियंत्रण एक बड़ी चुनौती

बिहार में जनसंख्या नियंत्रण करना एक बड़ी चुनौती है. सरकार भले ही साक्षरता के बल पर जन्म दर में कमी लाने की बात करती हो. लेकिन आंकड़े इस बात की तस्दीक करते हैं कि ऐसे जनसंख्या नियंत्रित नहीं होगी. पढ़ें ये रिपोर्ट...

ईटीवी भारत की रिपोर्ट
ईटीवी भारत की रिपोर्ट
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Published : Jul 11, 2020, 5:38 PM IST

पटना: सरकार के तमाम प्रयासों के बावजूद बिहार में जन्म दर में कमी नहीं आ पाई है. हाल के आंकड़ों के मुताबिक बिहार में हर 1 हजार लोगों पर 26.2 बच्चे जन्म ले रहे हैं. विश्व जनसंख्या दिवस के मौके पर ईटीवी भारत ने जब जन्म दर जानी, तो सरकार के सारे दावे फेल नजर आए.

बिहार के मुख्यमंत्री यह दावा करते हैं कि जब लड़कियां पढ़ी लिखी होंगी, तो प्रजनन दर में कमी आएगी. इस लिहाज से लड़कियों की शिक्षा पर बिहार में विशेष ध्यान दिया जा रहा है. इसके नतीजे भी कुछ हद तक संभले नजर आए हैं. लेकिन आंकडे़ जो कुछ बता रहे हैं, उसके मुताबिक जहां जन्म दर राष्ट्रीय स्तर पर 20 है. वहीं बिहार में यह 26.2 है.

पटना से अमित वर्मा की रिपोर्ट

बिहार में प्रजनन दर
हाल में रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया के सर्वे के मुताबिक शिक्षित महिलाएं औसतन कम संतान पैदा करती हैं. बिहार में अशिक्षित महिलाओं में प्रजनन दर तीन है, जबकि स्नातक और उसके ऊपर की पढ़ी लिखी महिलाओं में प्रजनन दर 1.7 है. बावजूद इसके, बिहार में प्रजनन दर में कमी नहीं आ पा रही. राष्ट्रीय स्तर की तुलना में बिहार का प्रति हजार का आंकड़ा यह बताने के लिए काफी है कि बिहार में इस दिशा में किए जा रहे प्रयास कितने नाकाफी हैं.

जागरूकता है जरूरी
जागरूकता है जरूरी

डॉक्टर की राय
इस बारे में डॉक्टर यह मानते हैं कि जिस स्तर की राज्य में स्वास्थ्य सुविधा और शिक्षा की व्यवस्था होनी चाहिए, वह उपलब्ध नहीं है. इसके अलावा सामाजिक सोच भी जनसंख्या नियंत्रण में एक बड़ी बाधा है. डॉ. दिवाकर तेजस्वी बताते हैं कि बिहार में लड़कियों के बजाय लड़के पैदा करने की चाहत और निम्न आय वर्ग वाले लोगों के द्वारा बच्चों को असेट(आय का स्रोत) समझना जनसंख्या नियंत्रण में बड़ी बाधा के रूप में सामने आया है.

डॉ. दिवाकर तेजस्वी
डॉ. दिवाकर तेजस्वी

'जागरूकता की कमी'
वहीं, सामाजिक आर्थिक विशेषज्ञ डॉ. डीएम दिवाकर मानते हैं कि सरकार ने इस दिशा में कोई गंभीर प्रयास अब तक नहीं किया है. लोगों को आय के साधन उपलब्ध कराना और सबके लिए शिक्षा की व्यवस्था करना सरकार की प्राथमिक जिम्मेदारी है. इन दोनों में कहीं न कहीं सरकार या सरकारी व्यवस्था नाकाम साबित हो रही है. इसके अलावा सामाजिक जागरूकता की कमी भी जनसंख्या नियंत्रण में बाधा बन रही है.

विशेषज्ञ डॉ. डीएम दिवाकर
विशेषज्ञ डॉ. डीएम दिवाकर

पढ़ें ये रिपोर्ट: लॉकडाउन के दौरान नहीं हुआ टीकाकरण, तो कोई बात नहीं

लिंग अनुपात के आंकड़े
2011 की जनगणना के मुताबिक बिहार में प्रति हजार पुरुषों पर महिलाओं की संख्या 918 है. 2011 की जनगणना के मुताबिक बिहार में जनसंख्या घनत्व बहुत ज्यादा है, यहां प्रति वर्ग किलोमीटर में 1 हजार 106 लोग निवास करते हैं.

टीकाकरण कराने पहुंची महिलाएं
टीकाकरण कराने पहुंची महिलाएं

जनसंख्या स्थिरता पखवारा
वहीं, विशेषज्ञों का मानना है कि कोरोना काल में जनसंख्या पर कोई बड़ा फर्क नहीं पड़ने वाला. सरकार की ओर से इस वर्ष जनसंख्या स्थिरता पखवारा का आयोजन किया जा रहा है. 10 जुलाई तक दंपत्ति संपर्क पखवारा मनाया गया और अब 11 जुलाई से 31 जुलाई तक जनसंख्या स्थिरता पखवारा का आयोजन होगा.

पटना: सरकार के तमाम प्रयासों के बावजूद बिहार में जन्म दर में कमी नहीं आ पाई है. हाल के आंकड़ों के मुताबिक बिहार में हर 1 हजार लोगों पर 26.2 बच्चे जन्म ले रहे हैं. विश्व जनसंख्या दिवस के मौके पर ईटीवी भारत ने जब जन्म दर जानी, तो सरकार के सारे दावे फेल नजर आए.

बिहार के मुख्यमंत्री यह दावा करते हैं कि जब लड़कियां पढ़ी लिखी होंगी, तो प्रजनन दर में कमी आएगी. इस लिहाज से लड़कियों की शिक्षा पर बिहार में विशेष ध्यान दिया जा रहा है. इसके नतीजे भी कुछ हद तक संभले नजर आए हैं. लेकिन आंकडे़ जो कुछ बता रहे हैं, उसके मुताबिक जहां जन्म दर राष्ट्रीय स्तर पर 20 है. वहीं बिहार में यह 26.2 है.

पटना से अमित वर्मा की रिपोर्ट

बिहार में प्रजनन दर
हाल में रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया के सर्वे के मुताबिक शिक्षित महिलाएं औसतन कम संतान पैदा करती हैं. बिहार में अशिक्षित महिलाओं में प्रजनन दर तीन है, जबकि स्नातक और उसके ऊपर की पढ़ी लिखी महिलाओं में प्रजनन दर 1.7 है. बावजूद इसके, बिहार में प्रजनन दर में कमी नहीं आ पा रही. राष्ट्रीय स्तर की तुलना में बिहार का प्रति हजार का आंकड़ा यह बताने के लिए काफी है कि बिहार में इस दिशा में किए जा रहे प्रयास कितने नाकाफी हैं.

जागरूकता है जरूरी
जागरूकता है जरूरी

डॉक्टर की राय
इस बारे में डॉक्टर यह मानते हैं कि जिस स्तर की राज्य में स्वास्थ्य सुविधा और शिक्षा की व्यवस्था होनी चाहिए, वह उपलब्ध नहीं है. इसके अलावा सामाजिक सोच भी जनसंख्या नियंत्रण में एक बड़ी बाधा है. डॉ. दिवाकर तेजस्वी बताते हैं कि बिहार में लड़कियों के बजाय लड़के पैदा करने की चाहत और निम्न आय वर्ग वाले लोगों के द्वारा बच्चों को असेट(आय का स्रोत) समझना जनसंख्या नियंत्रण में बड़ी बाधा के रूप में सामने आया है.

डॉ. दिवाकर तेजस्वी
डॉ. दिवाकर तेजस्वी

'जागरूकता की कमी'
वहीं, सामाजिक आर्थिक विशेषज्ञ डॉ. डीएम दिवाकर मानते हैं कि सरकार ने इस दिशा में कोई गंभीर प्रयास अब तक नहीं किया है. लोगों को आय के साधन उपलब्ध कराना और सबके लिए शिक्षा की व्यवस्था करना सरकार की प्राथमिक जिम्मेदारी है. इन दोनों में कहीं न कहीं सरकार या सरकारी व्यवस्था नाकाम साबित हो रही है. इसके अलावा सामाजिक जागरूकता की कमी भी जनसंख्या नियंत्रण में बाधा बन रही है.

विशेषज्ञ डॉ. डीएम दिवाकर
विशेषज्ञ डॉ. डीएम दिवाकर

पढ़ें ये रिपोर्ट: लॉकडाउन के दौरान नहीं हुआ टीकाकरण, तो कोई बात नहीं

लिंग अनुपात के आंकड़े
2011 की जनगणना के मुताबिक बिहार में प्रति हजार पुरुषों पर महिलाओं की संख्या 918 है. 2011 की जनगणना के मुताबिक बिहार में जनसंख्या घनत्व बहुत ज्यादा है, यहां प्रति वर्ग किलोमीटर में 1 हजार 106 लोग निवास करते हैं.

टीकाकरण कराने पहुंची महिलाएं
टीकाकरण कराने पहुंची महिलाएं

जनसंख्या स्थिरता पखवारा
वहीं, विशेषज्ञों का मानना है कि कोरोना काल में जनसंख्या पर कोई बड़ा फर्क नहीं पड़ने वाला. सरकार की ओर से इस वर्ष जनसंख्या स्थिरता पखवारा का आयोजन किया जा रहा है. 10 जुलाई तक दंपत्ति संपर्क पखवारा मनाया गया और अब 11 जुलाई से 31 जुलाई तक जनसंख्या स्थिरता पखवारा का आयोजन होगा.

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