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लॉकडाउन में मजदूरों के सामने भुखमरी जैसे हालात, घर में नहीं जल रहा चूल्हा

लॉकडाउन में काम नहीं मिलने से स्थानीय मजदूर परेशान हैं. उन्होंने ईटीवी भारत से बात करते हुए कहा कि काम नहीं मिलने की वजह से घर में भोजन तक नहीं बन पा रहा है. उन्होंने कहा कि हमारे बच्चे खाली पेट सो रहे हैं.

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Published : May 19, 2020, 6:15 PM IST

पटना: कोरोना महामारी के कारण हुए लॉकडाउन में अगर सबसे ज्यादा कोई परेशान है. तो वो है प्रति दिन कमाकर खाने वाले मजदूर, तालाबंदी के कारण काम बंद पड़े हैं. रोजगार नहीं मिलने के कारण अब इनके सामने परिवार का भरण-पोषण करना बहुत बड़ी चुनौती हो गई है, जिसकी वजह से प्रवासी मजदूर अब अपने घर के लिए पलायन करने लगे हैं.

दूसरे राज्यों से बिहार लौट रहे प्रवासी मजदूर को सरकार रोजगार देने का दावा कर रही है, लेकिन जो स्थानीय मजदूर हैं, जिनके पास भी कोई रोजगार नहीं है, उनके सामने भी परिवार का भरण पोषण करने में समस्या आ रही है. यह मजदूर प्रतिदिन राजधानी पटना की सड़कों पर घंटों इंतजार करते हैं कि कोई इन्हें काम दे, लेकिन संक्रमण के कारण इन्हें कोई रोजगार नहीं दे रहा हैं.

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काम नहीं मिलने से मजदूर परेशान

'खाली पेट सो रहे हैं बच्चे'
ईटीवी भारत संवाददाता ने स्थानीय मजदूरों से खास बातचीत की. इस दौरान उन्होंने बताया कि काम नहीं मिलने की वजह से घर में भोजन तक नहीं बन पा रहा है. उन्होंने कहा कि हमारे बच्चे खाली पेट सो रहे हैं. कभी कोई अन्नदाता आते हैं. तो खाने की कुछ सामग्री दे देते हैं. उसी से किसी तरह परिवार का पेट पल रहा है.

पेश है रिपोर्ट

काम नहीं मिलने से निराश हैं मजदूर
काम की तलाश कर रहे श्याम महतो ने बताया कि कोरोना संक्रमण के कारण लागू हुए लॉकडाउन की वजह से काम नहीं मिल रहा है. कोई भी व्यक्ति हमें काम भी नहीं दे रहे है और ना ही हमें सरकार के तरफ से कोई सुविधा उपलब्ध हो पा रही है. हम लोग यहां पर घंटों इंतजार करते हैं, लेकिन काम नहीं मिल पाता है. काम नहीं मिलने की वजह से निराश होकर वापस घर चले जाते हैं.

मजदूर वीरेंद्र ने बताया कि किसी तरह कर्जा लेकर परिवार चला रहे हैं, लेकिन काम नहीं मिल रहा है. उन्होंने कहा कि दुकानदार उधार नहीं दे रहा है. मकान मालिक मकान का किराया मांग रहा है. अब हम लोगों के सामने बहुत बड़ी चुनौती हो गई है कि, हम लोग क्या करें. कुछ समझ में नहीं आ रहा है.

पटना: कोरोना महामारी के कारण हुए लॉकडाउन में अगर सबसे ज्यादा कोई परेशान है. तो वो है प्रति दिन कमाकर खाने वाले मजदूर, तालाबंदी के कारण काम बंद पड़े हैं. रोजगार नहीं मिलने के कारण अब इनके सामने परिवार का भरण-पोषण करना बहुत बड़ी चुनौती हो गई है, जिसकी वजह से प्रवासी मजदूर अब अपने घर के लिए पलायन करने लगे हैं.

दूसरे राज्यों से बिहार लौट रहे प्रवासी मजदूर को सरकार रोजगार देने का दावा कर रही है, लेकिन जो स्थानीय मजदूर हैं, जिनके पास भी कोई रोजगार नहीं है, उनके सामने भी परिवार का भरण पोषण करने में समस्या आ रही है. यह मजदूर प्रतिदिन राजधानी पटना की सड़कों पर घंटों इंतजार करते हैं कि कोई इन्हें काम दे, लेकिन संक्रमण के कारण इन्हें कोई रोजगार नहीं दे रहा हैं.

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काम नहीं मिलने से मजदूर परेशान

'खाली पेट सो रहे हैं बच्चे'
ईटीवी भारत संवाददाता ने स्थानीय मजदूरों से खास बातचीत की. इस दौरान उन्होंने बताया कि काम नहीं मिलने की वजह से घर में भोजन तक नहीं बन पा रहा है. उन्होंने कहा कि हमारे बच्चे खाली पेट सो रहे हैं. कभी कोई अन्नदाता आते हैं. तो खाने की कुछ सामग्री दे देते हैं. उसी से किसी तरह परिवार का पेट पल रहा है.

पेश है रिपोर्ट

काम नहीं मिलने से निराश हैं मजदूर
काम की तलाश कर रहे श्याम महतो ने बताया कि कोरोना संक्रमण के कारण लागू हुए लॉकडाउन की वजह से काम नहीं मिल रहा है. कोई भी व्यक्ति हमें काम भी नहीं दे रहे है और ना ही हमें सरकार के तरफ से कोई सुविधा उपलब्ध हो पा रही है. हम लोग यहां पर घंटों इंतजार करते हैं, लेकिन काम नहीं मिल पाता है. काम नहीं मिलने की वजह से निराश होकर वापस घर चले जाते हैं.

मजदूर वीरेंद्र ने बताया कि किसी तरह कर्जा लेकर परिवार चला रहे हैं, लेकिन काम नहीं मिल रहा है. उन्होंने कहा कि दुकानदार उधार नहीं दे रहा है. मकान मालिक मकान का किराया मांग रहा है. अब हम लोगों के सामने बहुत बड़ी चुनौती हो गई है कि, हम लोग क्या करें. कुछ समझ में नहीं आ रहा है.

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