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मधुर गीतों के साथ की जा रही धान की रोपनी, भगवान इंद्र को प्रसन्न कर रहीं महिला किसान

पटना (Patna) के फुल पूरा गांव में धान की रोपनी शुरू हो गई है. महिलाएं गीत गाकर एक अनोखे तरीके से धान की रोपनी कर रही हैं. किसान महिलाओं को उम्मीद है कि इस वर्ष धान की बंपर पैदावार होगी.

धान की रोपनी
धान की रोपनी
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Published : Jun 23, 2021, 5:05 PM IST

पटना: बिहार की राजधानी पटना (Patna) में धान की रोपनी शुरू हो गई है. बता दें कि धान की अच्छी पैदावार के लिए समय पर खेती करना आवश्यक है. पटना जिले के फुल पूरा गांव में भी धान की रोपनी शुरू हो गई है. महिला किसान खुशी के साथ झूम-झूमकर खेतों में धान की रोपनी करती हुई नजर आईं.

इसे भी पढ़ें: कोरोना और महंगाई की दोहरी मार झेल रहे किसान, महंगी हुई खेती से हैं परेशान

किसानों के चेहरे पर खुशी
फुल पूरा गांव में धान की रोपनी के दौरान किसानों के चेहरे पर खुशी देखी गई. हालांकि एक बात यह भी है कि कहीं खुशी कहीं गम का माहौल दिख रहा है. कई खेतों में बिचड़ा खराब हो चुका है तो कहीं धान की रोपाई शुरू हो चुकी है. ऐसे में धनरूआ में पारंपरिक गीतों के साथ फुलपूरा गांव में महिलाएं धान की रोपनी कर रही हैं.

महिलाएं भगवान इंद्र को करती हैं खुश
ईटीवी भारत की टीम आज फुल पूरा गांव पहुंची. जहां खेतों में जाकर किसान महिलाओं से जानकारी ली गई. इस दौरान महिलाओं ने कहा कि वे गीत गाकर भगवान इंद्र को खुश कर रही हैं. धान की अच्छी पैदावार हो, इसलिए भगवान इंद्र को खुश करने के लिए गीत गाकर उन्हें खुश करती हैं. भगवान से आशीर्वाद लेती हैं कि धान की बंपर पैदावार हो.

ये भी पढ़ें: किसानों को 90% सब्सिडी के साथ मिल रही धान के बीज की होम डिलीवरी

महिलाएं करती हैं धान रोपनी का कार्य
गांव में धान रोपनी का कार्य महिलाएं ही ज्यादातर करती हैं. पुरुष मोरी निकालकर उसका बंडल बनाते हैं. इसके पीछे कई तरीके का तर्क भी दिया गया है.

बताया जाता है कि महिलाओं के माध्यम से धान की रोपनी करने से धान की बंपर उपज होती है. ऐसी कई मान्यताएं भी हैं जो गांव में खेतों में धान रोपनी के वक्त महिलाएं पारंपरिक गीतों के साथ धान की रोपण करती हैं.

देखें रिपोर्ट.

पिछले साल रोपनी में 7 प्रतिशत की हुई थी वृद्धि
बता दें कि पिछले वर्ष भी मानसून के आगमन के साथ किसानों ने फसलों की रोपनी शुरू कर दी थी. जिसके बाद पिछले साल खरीफ फसलों की बुवाई में 7 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई थी. जिला कृषि कार्यालय के अनुसार 1 अगस्त तक बक्सर जिले में धान की रोपनी शत प्रतिशत सम्पन्न हो गई थी.

लक्ष्य के अनुरूप लगाया गया था बिचड़ा
वहीं नालंदा जिले में भी पिछले साल मानसून आते ही किसान धान की रोपनी के काम में लग गए थे. जिले में पिछले वर्ष 12,800 हेक्टेयर में धान का बिचड़ा बोने का लक्ष्य निर्धारित किया गया था. जिले में लक्ष्य के अनुरूप बिचड़ा भी लगाया गया था.

पटना: बिहार की राजधानी पटना (Patna) में धान की रोपनी शुरू हो गई है. बता दें कि धान की अच्छी पैदावार के लिए समय पर खेती करना आवश्यक है. पटना जिले के फुल पूरा गांव में भी धान की रोपनी शुरू हो गई है. महिला किसान खुशी के साथ झूम-झूमकर खेतों में धान की रोपनी करती हुई नजर आईं.

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किसानों के चेहरे पर खुशी
फुल पूरा गांव में धान की रोपनी के दौरान किसानों के चेहरे पर खुशी देखी गई. हालांकि एक बात यह भी है कि कहीं खुशी कहीं गम का माहौल दिख रहा है. कई खेतों में बिचड़ा खराब हो चुका है तो कहीं धान की रोपाई शुरू हो चुकी है. ऐसे में धनरूआ में पारंपरिक गीतों के साथ फुलपूरा गांव में महिलाएं धान की रोपनी कर रही हैं.

महिलाएं भगवान इंद्र को करती हैं खुश
ईटीवी भारत की टीम आज फुल पूरा गांव पहुंची. जहां खेतों में जाकर किसान महिलाओं से जानकारी ली गई. इस दौरान महिलाओं ने कहा कि वे गीत गाकर भगवान इंद्र को खुश कर रही हैं. धान की अच्छी पैदावार हो, इसलिए भगवान इंद्र को खुश करने के लिए गीत गाकर उन्हें खुश करती हैं. भगवान से आशीर्वाद लेती हैं कि धान की बंपर पैदावार हो.

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महिलाएं करती हैं धान रोपनी का कार्य
गांव में धान रोपनी का कार्य महिलाएं ही ज्यादातर करती हैं. पुरुष मोरी निकालकर उसका बंडल बनाते हैं. इसके पीछे कई तरीके का तर्क भी दिया गया है.

बताया जाता है कि महिलाओं के माध्यम से धान की रोपनी करने से धान की बंपर उपज होती है. ऐसी कई मान्यताएं भी हैं जो गांव में खेतों में धान रोपनी के वक्त महिलाएं पारंपरिक गीतों के साथ धान की रोपण करती हैं.

देखें रिपोर्ट.

पिछले साल रोपनी में 7 प्रतिशत की हुई थी वृद्धि
बता दें कि पिछले वर्ष भी मानसून के आगमन के साथ किसानों ने फसलों की रोपनी शुरू कर दी थी. जिसके बाद पिछले साल खरीफ फसलों की बुवाई में 7 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई थी. जिला कृषि कार्यालय के अनुसार 1 अगस्त तक बक्सर जिले में धान की रोपनी शत प्रतिशत सम्पन्न हो गई थी.

लक्ष्य के अनुरूप लगाया गया था बिचड़ा
वहीं नालंदा जिले में भी पिछले साल मानसून आते ही किसान धान की रोपनी के काम में लग गए थे. जिले में पिछले वर्ष 12,800 हेक्टेयर में धान का बिचड़ा बोने का लक्ष्य निर्धारित किया गया था. जिले में लक्ष्य के अनुरूप बिचड़ा भी लगाया गया था.

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