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VIP की NDA से EXIT की है तैयारी? सरकार से दूरी और तेजस्वी को ऑफर तो इसी ओर कर रही है इशारा

जिस बीजेपी की शह पर तेजस्वी यादव का साथ छोड़कर बिहार में 'कमल' खिलाने की मुहिम में मुकेश सहनी (VIP Chief Mukesh Sahani) साल 2020 में शामिल हुए थे, आखिर ऐसा क्या हो गया कि उसी बीजेपी ने उनकी 'नाव' को बीच मझधार में लाकर छोड़ दिया है. चुनाव हारने के बावजूद बीजेपी ने अपने कोटे से जिन सहनी को कैबिनेट मंत्री बनाया था, उनकी जुबान 'लालू चालीसा' क्यों पढ़ने लगी. डेढ़ साल में ही 'वीआईपी' क्यों भारतीय जनता पार्टी के लिए 'बोझ' बन गई. पढ़ें दोनों के बीच के विवाद की पूरी कहानी...

मुकेश सहनी को बीजेपी का झटका
मुकेश सहनी को बीजेपी का झटका
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Published : Mar 19, 2022, 6:01 PM IST

Updated : Mar 19, 2022, 7:20 PM IST

पटना: बोचहां विधानसभा उपचुनाव (Bochaha Assembly By Election) में बीजेपी ने बेबी कुमारी को उम्मीदवार बनाकर वीआईपी चीफ मुकेश सहनी (VIP Chief Mukesh Sahani) को स्पष्ट संदेश दे दिया है कि या तो वह उनकी शर्तों पर सियासत करना स्वीकार कर लें या फिर खुद को एनडीए से बाहर समझें. हालांकि सहनी ने जिस अंदाज में बीजेपी की चुनौती को स्वीकार किया है, उससे लगता नहीं है कि वे हथियार डालने के मूड में हैं लेकिन जो जमीनी हकीकत है, वह वास्तव में उनके अनुकूल नहीं दिख रही है. जानकार कहते हैं कि 'सन ऑफ मल्लाह' की 'नाव' अबकी बार बुरी तरह से मझधार में फंसती दिख रही है. बड़ा सवाल ये है कि क्या मुकेश सहनी एनडीए छोड़ देंगे (Mukesh Sahani Leave NDA)?

ये भी पढ़ें: बोचहां से BJP ने बेबी कुमारी को बनाया उम्मीदवार तो बोले सहनी - होली पर इस तोहफे के लिए धन्यवाद

यूपी चुनाव की तपिश में रिश्ते झुलसे: मुकेश सहनी और बीजेपी के रिश्तों में खटास की बड़ी वजह यूपी चुनाव में विकासशील इंसान पार्टी का मुखरता से चुनाव लड़ना है. न केवल उन्होंने उत्तर प्रदेश में अपने उम्मीदवार उतारे, बल्कि वहां की योगी सरकार की खुलेआम मुखालफत भी की. सार्वजनिक मंचों से तो उन्होंने केंद्र की मोदी सरकार पर भी निशाना साधा. जिस वजह से बीजेपी नेताओं में उनको लेकर जबर्दस्त नाराजगी है. माना जाता है कि बिहार बीजेपी से लेकर केंद्रीय नेतृत्व भी उनसे काफी नाराज हैं. अब उसी का परिणाम सामने आने लगा है.

किंग मेकर बनने का ख्वाब टूटा: हालांकि यूपी में जिन सीटों पर मुकेश सहनी ने जीत का दावा किया था, वहां वीआईपी को जमानत बचाना भी मुश्किल हो गया. 165 सीटों पर उम्मीदवार उतारने का दावा करने के बाद सहनी ने उत्तर प्रदेश में 53 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे. यहां तक कि सहनी ने बीजेपी के दो सिटिंग विधायकों को भी टिकट देकर चुनाव लड़ाया लेकिन दोनों सीटिंग विधायक कुछ कमाल नहीं कर पाए. बलिया के बैरिया से वीआईपी के टिकट पर चुनाव लड़ने वाले सुरेंद्र सिंह चौथे स्थान पर रहे.

जब बनारस में उतरने भी नहीं दिया: यूपी विधानसभा चुनाव के ऐलान से काफी पहले के एक घटनाक्रम का जिक्र करना बहुत अहम हो जाता है, क्योंकि इसी से समझा जा सकता है कि बीजेपी और योगी सरकार किस कदर मुकेश सहनी से नाराज थी. दरअसल, साल 2021 में जुलाई के महीने में सहनी यूपी के 18 प्रमंडलों में फूलन देवी की प्रतिमा स्थापित करना चाहती थी. इसके लिए जब वह बनारस पहुंचे तो एयरपोर्ट से उन्हें बाहर नहीं निकलने दिया गया. एयरपोर्ट से उन्हें कोलकाता की फ्लाइट में बिठाकर बैरंग लौटा दिया गया. साथ ही प्रशासन ने सभी प्रतिमाएं भी जब्त कर लीं.

नहीं मिला विधायकों का साथ: इस घटना के बाद मुकेश सहनी काफी नाराज हुए और बीजेपी के खिलाफ तेवर कड़े कर लिए. सरकार में अपनी ताकत का एहसास भी कराने की कोशिश लेकिन उनको अपने ही विधायकों का साथ नहीं मिला. साहेबगंज से वीआईपी विधायक राजू सिंह ने कहा कि उनका यूपी जाना सामूहिक निर्णय नहीं था. साथ ही एनडीए की बैठक का बहिष्कार करने के फैसले पर भी सवाल उठाते हुए कह दिया कि एनडीए विधायकों की बैठक में शामिल नहीं होने का फैसला समझ से परे है. यह उनका निजी फैसला है. इसके बाद धी-धीरे सहनी के तेवर नरम पड़ने लगे, क्योंकि ये साफ हो गया था कि उनके विधायक उनके साथ नहीं हैं. वैसे भी 4 में ज्यादातर विधायक बीजेपी बैकग्राउंड से आते हैं.

तेजस्वी यादव को बताया छोटा भाई: यूपी चुनाव की तैयारियों में मशगूल मुकेश सहनी ने बीच-बीच में अपने बयानों से कई बार बीजेपी और एनडीए सरकार को असहज स्थिति में ला दिया. खासकर जब एक तरफ बीजेपी और जेडीयू में तल्खी बढ़ रही थी और दूसरी तरफ आरजेडी अपनी सरकार बनने की भविष्यवाणी कर रही थी, उस दौरान सहनी ने नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव को छोटा भाई बता दिया. एक सवाल के जवाब में उन्होंने यहां तक कह दिया कि अगर खिचड़ी पकेगी तो सभी लोग खाएंगे. खेला होगा तो खेलेंगे. उनके इस बयान के बाद तो बिहार बीजेपी के नेताओं ने खुलकर सहनी पर हमले तेज कर दिए.

एमएलएसी चुनाव में वीआईपी को झटका: उत्तर प्रदेश में चुनाव चल ही रहा था कि बिहार में विधान परिषद की 24 सीटों को लेकर एनडीए ने सीटों का ऐलान किया. सीट शेयरिंग का जो फॉर्मूला सामने आया, उसमें सहनी के लिए कड़ा संदेश था. बीजेपी के हिस्से 12 सीटें आईं और जेडीयू के खाते में 11 सीटें गईं. बीजेपी ने अपने कोटे से केंद्रीय मंत्री पशुपति पारस को एक सीट दी लेकिन वीआईपी को बिल्कुल भी भाव नहीं दिया. जिसके बाद नाराज होकर मुकेश सहनी ने ऐलान कर दिया कि वीआईपी विधान परिषद की सभी 24 सीटों पर चुनाव लड़ेगी.

7 सीटों पर वीआईपी उम्मीदवार: हालांकि 24 सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान करने वाले मुकेश सहनी ने मात्र सात सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं. वीआईपी की सूची के मुताबिक समस्तीपुर से आदर्श कुमार, बेगूसराय से जयराम सहनी, सहरसा से चंदन कुमार, सारण से बालमुकुंद चौहान, रोहतास से गोबिंद बिंद, पूर्णिया से श्यामा नंद सिंह और दरभंगा से बैद्यनाथ सहनी को अपना उम्मीदवार बनाया गया है.

बीजेपी नेताओं ने मांगा इस्तीफा: यूपी में योगी आदित्यनाथ की अगुवाई में मिली बंपर जीत से उत्साहित बिहार बीजेपी के नेताओं ने रिजल्ट आते ही मुकेश सहनी पर ताबड़तोड़ हमले शुरू कर दिए. विधायक हरिभूषण ठाकुर ने कहा कि मुकेश सहनी बिहार सरकार में मंत्री भी हैं. लिहाजा नैतिकता के आधार पर उनको इस्तीफा दे देना चाहिए. वहीं, बीजेपी प्रवक्ता प्रेम रंजन पटेल ने तो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से सहनी को बर्खास्त करने तक की मांग कर दी. ऐसा बोलने वाले बीजेपी के एक-दो नहीं, बल्कि दर्जनों नेता हैं.

मुकेश सहनी का बीजेपी पर पलटवार: अपने ऊपर हो रहे लगातार जुबानी हमलों के बीच मुकेश सहनी ने भी पलटवार करते हुए कहा कि बीजेपी को अगर हिम्मत है तो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से इस्तीफा मांग कर दिखाए, क्योंकि नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) ने उत्तर प्रदेश और मणिपुर में बीजेपी के खिलाफ चुनाव लड़ी है. सहनी ने आगे कहा कि उन्हें कमजोर समझकर इस्तीफा मांगा जाता है लेकिन हमारी पार्टी ने बिहार में नीतीश कुमार की सरकार बनाने में अहम भूमिका निभाई थी और हमने अपने 4 विधायकों का समर्थन लिखकर राज्यपाल को दिया था.

लालू के लिए धड़का सहनी का दिल: इसी दौरान एक हफ्ते पहले झारखंड में अपनी पार्टी को लॉन्च करने गए मुकेश सहनी ने रांची में आरजेडी अध्यक्ष लालू यादव (RJD Chief Lalu Yadav) की जमकर तारीफ की. एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, 'लालू प्रसाद यादव जी उनके दिल में बसते हैं और वे उनके विचारधारा से काफी प्रभावित हैं. लालू प्रसाद गरीबों का कल्याण करने वाले और सामाजिक न्याय को मानने वाले लोग हैं.'

बिहार में सीएम बनाने का 'फॉर्मूला': बोचहां उपचुनाव के ऐलान के बाद मुकेश सहनी ने तजेस्वी को सीएम बनने के लिए शर्त के साथ ऑफर दे दिया. उन्होंने कहा कि हमारी लड़ाई है कि पूरे बिहार में दलित और पिछड़ा का बेटा सब मिलकर राज करे, लेकिन तेजस्वी चाहते हैं कि वो अकेले मुख्यमंत्री बनें और कोई दूसरा ना बने. जब तक उनकी सोच और मेरे सोच में फर्क रहेगा हम दूर रहेंगे. जिस दिन तेजस्वी यादव चाहेंगे कि ढाई साल सीएम हम बनें और ढाई साल सीएम निषाद का बेटा बने उस दिन काम हो सकता है. हम उस दिन से एक साथ रह सकते हैं.

बीजेपी का सहनी पर हमला: बेबी कुमारी के नाम के ऐलान के साथ ही बीजेपी ने एक बार फिर मुकेश सहनी पर हमला बोला है. बीजेपी प्रवक्ता रामसागर सिंह ने बयान दिया है कि बिहार की जनता ने हराकर मुकेश सहनी को सबक सिखाया था और अब यूपी की जनता ने भी उनके सभी प्रत्याशियों की जमानत जब्त करा दी है. बावजूद इसके मुकेश सहनी लालू यादव के भक्त बने हुए हैं. रामसागर सिंह ने तंज कसते हुए कहा कि मुकेश सहनी को ये जान लेना चाहिए कि इस वक्त लालू यादव कहां हैं? यानी साफ साफ मुकेश सहनी को बीजेपी संकेत दे रही है.

'निषाद और अत्यंत पिछड़ा के नाम पर वोट का व्यापार करने वाले मुकेश सहनी को पहले बिहार की जनता ने हराकर सबक सिखाया था और हाल में यूपी की जनता ने भी उनकी पार्टी के उम्मीदवारों की जमानत जब्त करा दी है. मुकेश सहनी लालू भक्त बने हुए हैं. उन्हे देखना चाहिए कि लालू कहां हैं?'- रामसागर सिंह, प्रवक्ता, बीजेपी

बिहार कांग्रेस का मुकेश सहनी पर तंज: वहीं, कांग्रेस इस मुद्दे पर चुटकी लेने से नहीं चूक रही है. इस पूरे प्रकरण को कांग्रेस NDA में बिखराव को लेकर देख रही है. कांग्रेस के मुताबिक NDA की एकजुटता कितनी है, इसकी पोल बोचहां विधानसभा उपचुनाव की सीट ने खोल दी है. वीआईपी की सीट पर बीजेपी ने अपने प्रत्याशी उतारकर अच्छा नहीं किया है. मुकेश सहनी इस मुद्दे पर बहुत कुछ बोलते हैं लेकिन कितना बर्दाश्त करेंगे? अब समय आ चुका है कि एनडीए छोड़ें. अगर मुकेश सहनी ने एनडीए नहीं छोड़ा तो बीजेपी उन्हें कहीं का नहीं छोड़ेगी.

'पूरे प्रकरण में NDA की एकजुटता की पोल खुल गई है. BJP ने अपना कैंडिडेट देकर मुकेश सहनी को ये संदेश दे दिया है कि आपको NDA से बाहर जाने का रास्ता साफ हो चुका है. मुकेश सहनी की वैलिडिटी (विधान परिषद) इसी साल समाप्त हो रही है. अगर मुकेश सहनी फिर से रिचार्ज नहीं हुए तो खुद ही मंत्रिमंडल से बाहर हो जाएंगे'- राजेश राठौर, प्रवक्ता, कांग्रेस

बोचहां में बीजेपी-वीआईपी में आर-पार: मुजफ्फरपुर की बोचहां विधानसभा सीट पर 12 अप्रैल को उपचुनाव होना है. वहां विकाशसील इंसान पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुकेश सहनी हर हाल में अपना उम्मीदवार उतारना चाहते हैं. बीजेपी उनको यह सीट देने के लिए तैयार नहीं है. बोचहां विधानसभा सीट पर पहले वीआईपी के ही मुसफिर पासवान विधायक थे. उनके निधन के बाद सीट खाली हुई, जिस पर अब उपचुनाव होना है. सहनी वहां दिवंगत विधायक के बेटे अमर पासवान को चुनाव लड़वाना चाहते हैं. मुकेश सहनी की पार्टी में फिलहाल तीन विधायक और एक विधान परिषद (खुद) की सीट है. माना जा रहा है कि वीआईपी के विधायक बीजेपी के साथ जा सकते हैं. हालांकि, सहनी सरकार को लेकर कोई भी टिप्पणी करने से बचते हैं. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में एनडीए की सरकार बिहार में मजूबती से चल रही है और आगे भी चलेगी. अब ऐसे में बोचहां उपचुनाव में नीतीश कुमार का स्टैंड क्या होगा, ये बहुत अहम होगा. हालांकि माना जा रहा है कि जेडीयू हर हाल में बीजेपी का ही साथ देगा.

विधानसभा में दलगत स्थिति: अगर यह मान भी लिया जाए कि मुकेश सहनी एनडीए का छोड़ देंगे तो ऐसे में सवाल उठता है कि क्या नीतीश कुमार की सरकार गिर जाएगी? फिलहाल 243 सदस्यीय बिहार विधानसभा में एनडीए 127 विधायक हैं. जिनमें भारतीय जनता पार्टी (BJP) के 74, जनता दल यूनाइटेड (JDU) के 45, हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (HAM) के 4 और विकासशील इंसान पार्टी (VIP) के 3 और एक निर्दलीय विधायक हैं. वहीं, महागठबंधन का आंकड़ा 110 है. जिनमें आरजेडी के 75, कांग्रेस के 19 और वाम दलों के 16 विधायक हैं. इसके अलावे एआईएमआईएम (AIMIM) के 5 विधायक हैं. एक सीट (बोचहां) खाली है, जो वीआईपी विधायक मुसाफिर पासवान के निधन से खाली हुई है. इसी सीट पर उपचुनाव हो रहा है. अब ऐसे में अगर मुकेश सहनी समर्थन वापस ले लेते हैं तो भी नीतीश कुमार की सरकार की सेहत पर असर नहीं पड़ेगा, क्योंकि वीआईपी के 3 विधायक हटने के बाद भी नीतीश कुमार की सरकार को 124 विधायकों का समर्थन हासिल होगा. जो कि बहुमत से अधिक है. हालांकि सहनी अगर एनडीए से अलग होते हैं तो उनके विधायक बगावत कर देंगे, ये तय माना जा रहा है.

ये भी पढ़ें: मुकेश सहनी की पार्टी में ही बगावत, बोले विधायक- सरकार में रहकर खिलाफत सही नहीं

बिहार चुनाव में 11 सीटों पर लड़ी वीआईपी: दरअसल, 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान नाटकीय घटनाक्रम के तहत महागठबंधन की प्रेस कॉन्फ्रेंस को बीच में छोड़कर मुकेश सहनी बीजेपी के साथ चले गए थे. तब बीजेपी ने अपने कोटे से उनको को 11 सीटें दी थी. जिनमें ब्रह्मपुर, बोचहां, गौरा बोराम, सिमरी बख्तियारपुर, सुगौली, मधुबनी, केवटी, साहेबगंज, बलरामपुर, अली नगर और बनियापुर में वीआईपी ने चुनाव लड़ा था. खुद मुकेश सहनी सहरसा जिले की सिमरी बख्तियारपुर से उम्मीदवार थे. 4 विधायक जीतकर विधानसभा पहुंचे. हालांकि वो अपनी सीट नहीं बचा पाए थे, इसके बावजूद बीजेपी ने विधान परिषद के रास्ते उनको नीतीश कैबिनेट में मंत्री बनवाया. उनके एमएलसी का कार्यकाल दो महीने में खत्म हो रहा. बीजेपी के रुख से लगता नहीं कि उन्हें दोबारा विधान परिषद भेजा जाएगा. यहां ये भी ध्यान रखना होगा कि वीआईपी तीनों विधायकों का झुकाव बीजेपी की तरफ है. ऐसे में इसकी संभावना कम ही है कि वे लोग सहनी के साथ जाएंगे.

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पटना: बोचहां विधानसभा उपचुनाव (Bochaha Assembly By Election) में बीजेपी ने बेबी कुमारी को उम्मीदवार बनाकर वीआईपी चीफ मुकेश सहनी (VIP Chief Mukesh Sahani) को स्पष्ट संदेश दे दिया है कि या तो वह उनकी शर्तों पर सियासत करना स्वीकार कर लें या फिर खुद को एनडीए से बाहर समझें. हालांकि सहनी ने जिस अंदाज में बीजेपी की चुनौती को स्वीकार किया है, उससे लगता नहीं है कि वे हथियार डालने के मूड में हैं लेकिन जो जमीनी हकीकत है, वह वास्तव में उनके अनुकूल नहीं दिख रही है. जानकार कहते हैं कि 'सन ऑफ मल्लाह' की 'नाव' अबकी बार बुरी तरह से मझधार में फंसती दिख रही है. बड़ा सवाल ये है कि क्या मुकेश सहनी एनडीए छोड़ देंगे (Mukesh Sahani Leave NDA)?

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यूपी चुनाव की तपिश में रिश्ते झुलसे: मुकेश सहनी और बीजेपी के रिश्तों में खटास की बड़ी वजह यूपी चुनाव में विकासशील इंसान पार्टी का मुखरता से चुनाव लड़ना है. न केवल उन्होंने उत्तर प्रदेश में अपने उम्मीदवार उतारे, बल्कि वहां की योगी सरकार की खुलेआम मुखालफत भी की. सार्वजनिक मंचों से तो उन्होंने केंद्र की मोदी सरकार पर भी निशाना साधा. जिस वजह से बीजेपी नेताओं में उनको लेकर जबर्दस्त नाराजगी है. माना जाता है कि बिहार बीजेपी से लेकर केंद्रीय नेतृत्व भी उनसे काफी नाराज हैं. अब उसी का परिणाम सामने आने लगा है.

किंग मेकर बनने का ख्वाब टूटा: हालांकि यूपी में जिन सीटों पर मुकेश सहनी ने जीत का दावा किया था, वहां वीआईपी को जमानत बचाना भी मुश्किल हो गया. 165 सीटों पर उम्मीदवार उतारने का दावा करने के बाद सहनी ने उत्तर प्रदेश में 53 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे. यहां तक कि सहनी ने बीजेपी के दो सिटिंग विधायकों को भी टिकट देकर चुनाव लड़ाया लेकिन दोनों सीटिंग विधायक कुछ कमाल नहीं कर पाए. बलिया के बैरिया से वीआईपी के टिकट पर चुनाव लड़ने वाले सुरेंद्र सिंह चौथे स्थान पर रहे.

जब बनारस में उतरने भी नहीं दिया: यूपी विधानसभा चुनाव के ऐलान से काफी पहले के एक घटनाक्रम का जिक्र करना बहुत अहम हो जाता है, क्योंकि इसी से समझा जा सकता है कि बीजेपी और योगी सरकार किस कदर मुकेश सहनी से नाराज थी. दरअसल, साल 2021 में जुलाई के महीने में सहनी यूपी के 18 प्रमंडलों में फूलन देवी की प्रतिमा स्थापित करना चाहती थी. इसके लिए जब वह बनारस पहुंचे तो एयरपोर्ट से उन्हें बाहर नहीं निकलने दिया गया. एयरपोर्ट से उन्हें कोलकाता की फ्लाइट में बिठाकर बैरंग लौटा दिया गया. साथ ही प्रशासन ने सभी प्रतिमाएं भी जब्त कर लीं.

नहीं मिला विधायकों का साथ: इस घटना के बाद मुकेश सहनी काफी नाराज हुए और बीजेपी के खिलाफ तेवर कड़े कर लिए. सरकार में अपनी ताकत का एहसास भी कराने की कोशिश लेकिन उनको अपने ही विधायकों का साथ नहीं मिला. साहेबगंज से वीआईपी विधायक राजू सिंह ने कहा कि उनका यूपी जाना सामूहिक निर्णय नहीं था. साथ ही एनडीए की बैठक का बहिष्कार करने के फैसले पर भी सवाल उठाते हुए कह दिया कि एनडीए विधायकों की बैठक में शामिल नहीं होने का फैसला समझ से परे है. यह उनका निजी फैसला है. इसके बाद धी-धीरे सहनी के तेवर नरम पड़ने लगे, क्योंकि ये साफ हो गया था कि उनके विधायक उनके साथ नहीं हैं. वैसे भी 4 में ज्यादातर विधायक बीजेपी बैकग्राउंड से आते हैं.

तेजस्वी यादव को बताया छोटा भाई: यूपी चुनाव की तैयारियों में मशगूल मुकेश सहनी ने बीच-बीच में अपने बयानों से कई बार बीजेपी और एनडीए सरकार को असहज स्थिति में ला दिया. खासकर जब एक तरफ बीजेपी और जेडीयू में तल्खी बढ़ रही थी और दूसरी तरफ आरजेडी अपनी सरकार बनने की भविष्यवाणी कर रही थी, उस दौरान सहनी ने नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव को छोटा भाई बता दिया. एक सवाल के जवाब में उन्होंने यहां तक कह दिया कि अगर खिचड़ी पकेगी तो सभी लोग खाएंगे. खेला होगा तो खेलेंगे. उनके इस बयान के बाद तो बिहार बीजेपी के नेताओं ने खुलकर सहनी पर हमले तेज कर दिए.

एमएलएसी चुनाव में वीआईपी को झटका: उत्तर प्रदेश में चुनाव चल ही रहा था कि बिहार में विधान परिषद की 24 सीटों को लेकर एनडीए ने सीटों का ऐलान किया. सीट शेयरिंग का जो फॉर्मूला सामने आया, उसमें सहनी के लिए कड़ा संदेश था. बीजेपी के हिस्से 12 सीटें आईं और जेडीयू के खाते में 11 सीटें गईं. बीजेपी ने अपने कोटे से केंद्रीय मंत्री पशुपति पारस को एक सीट दी लेकिन वीआईपी को बिल्कुल भी भाव नहीं दिया. जिसके बाद नाराज होकर मुकेश सहनी ने ऐलान कर दिया कि वीआईपी विधान परिषद की सभी 24 सीटों पर चुनाव लड़ेगी.

7 सीटों पर वीआईपी उम्मीदवार: हालांकि 24 सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान करने वाले मुकेश सहनी ने मात्र सात सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं. वीआईपी की सूची के मुताबिक समस्तीपुर से आदर्श कुमार, बेगूसराय से जयराम सहनी, सहरसा से चंदन कुमार, सारण से बालमुकुंद चौहान, रोहतास से गोबिंद बिंद, पूर्णिया से श्यामा नंद सिंह और दरभंगा से बैद्यनाथ सहनी को अपना उम्मीदवार बनाया गया है.

बीजेपी नेताओं ने मांगा इस्तीफा: यूपी में योगी आदित्यनाथ की अगुवाई में मिली बंपर जीत से उत्साहित बिहार बीजेपी के नेताओं ने रिजल्ट आते ही मुकेश सहनी पर ताबड़तोड़ हमले शुरू कर दिए. विधायक हरिभूषण ठाकुर ने कहा कि मुकेश सहनी बिहार सरकार में मंत्री भी हैं. लिहाजा नैतिकता के आधार पर उनको इस्तीफा दे देना चाहिए. वहीं, बीजेपी प्रवक्ता प्रेम रंजन पटेल ने तो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से सहनी को बर्खास्त करने तक की मांग कर दी. ऐसा बोलने वाले बीजेपी के एक-दो नहीं, बल्कि दर्जनों नेता हैं.

मुकेश सहनी का बीजेपी पर पलटवार: अपने ऊपर हो रहे लगातार जुबानी हमलों के बीच मुकेश सहनी ने भी पलटवार करते हुए कहा कि बीजेपी को अगर हिम्मत है तो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से इस्तीफा मांग कर दिखाए, क्योंकि नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) ने उत्तर प्रदेश और मणिपुर में बीजेपी के खिलाफ चुनाव लड़ी है. सहनी ने आगे कहा कि उन्हें कमजोर समझकर इस्तीफा मांगा जाता है लेकिन हमारी पार्टी ने बिहार में नीतीश कुमार की सरकार बनाने में अहम भूमिका निभाई थी और हमने अपने 4 विधायकों का समर्थन लिखकर राज्यपाल को दिया था.

लालू के लिए धड़का सहनी का दिल: इसी दौरान एक हफ्ते पहले झारखंड में अपनी पार्टी को लॉन्च करने गए मुकेश सहनी ने रांची में आरजेडी अध्यक्ष लालू यादव (RJD Chief Lalu Yadav) की जमकर तारीफ की. एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, 'लालू प्रसाद यादव जी उनके दिल में बसते हैं और वे उनके विचारधारा से काफी प्रभावित हैं. लालू प्रसाद गरीबों का कल्याण करने वाले और सामाजिक न्याय को मानने वाले लोग हैं.'

बिहार में सीएम बनाने का 'फॉर्मूला': बोचहां उपचुनाव के ऐलान के बाद मुकेश सहनी ने तजेस्वी को सीएम बनने के लिए शर्त के साथ ऑफर दे दिया. उन्होंने कहा कि हमारी लड़ाई है कि पूरे बिहार में दलित और पिछड़ा का बेटा सब मिलकर राज करे, लेकिन तेजस्वी चाहते हैं कि वो अकेले मुख्यमंत्री बनें और कोई दूसरा ना बने. जब तक उनकी सोच और मेरे सोच में फर्क रहेगा हम दूर रहेंगे. जिस दिन तेजस्वी यादव चाहेंगे कि ढाई साल सीएम हम बनें और ढाई साल सीएम निषाद का बेटा बने उस दिन काम हो सकता है. हम उस दिन से एक साथ रह सकते हैं.

बीजेपी का सहनी पर हमला: बेबी कुमारी के नाम के ऐलान के साथ ही बीजेपी ने एक बार फिर मुकेश सहनी पर हमला बोला है. बीजेपी प्रवक्ता रामसागर सिंह ने बयान दिया है कि बिहार की जनता ने हराकर मुकेश सहनी को सबक सिखाया था और अब यूपी की जनता ने भी उनके सभी प्रत्याशियों की जमानत जब्त करा दी है. बावजूद इसके मुकेश सहनी लालू यादव के भक्त बने हुए हैं. रामसागर सिंह ने तंज कसते हुए कहा कि मुकेश सहनी को ये जान लेना चाहिए कि इस वक्त लालू यादव कहां हैं? यानी साफ साफ मुकेश सहनी को बीजेपी संकेत दे रही है.

'निषाद और अत्यंत पिछड़ा के नाम पर वोट का व्यापार करने वाले मुकेश सहनी को पहले बिहार की जनता ने हराकर सबक सिखाया था और हाल में यूपी की जनता ने भी उनकी पार्टी के उम्मीदवारों की जमानत जब्त करा दी है. मुकेश सहनी लालू भक्त बने हुए हैं. उन्हे देखना चाहिए कि लालू कहां हैं?'- रामसागर सिंह, प्रवक्ता, बीजेपी

बिहार कांग्रेस का मुकेश सहनी पर तंज: वहीं, कांग्रेस इस मुद्दे पर चुटकी लेने से नहीं चूक रही है. इस पूरे प्रकरण को कांग्रेस NDA में बिखराव को लेकर देख रही है. कांग्रेस के मुताबिक NDA की एकजुटता कितनी है, इसकी पोल बोचहां विधानसभा उपचुनाव की सीट ने खोल दी है. वीआईपी की सीट पर बीजेपी ने अपने प्रत्याशी उतारकर अच्छा नहीं किया है. मुकेश सहनी इस मुद्दे पर बहुत कुछ बोलते हैं लेकिन कितना बर्दाश्त करेंगे? अब समय आ चुका है कि एनडीए छोड़ें. अगर मुकेश सहनी ने एनडीए नहीं छोड़ा तो बीजेपी उन्हें कहीं का नहीं छोड़ेगी.

'पूरे प्रकरण में NDA की एकजुटता की पोल खुल गई है. BJP ने अपना कैंडिडेट देकर मुकेश सहनी को ये संदेश दे दिया है कि आपको NDA से बाहर जाने का रास्ता साफ हो चुका है. मुकेश सहनी की वैलिडिटी (विधान परिषद) इसी साल समाप्त हो रही है. अगर मुकेश सहनी फिर से रिचार्ज नहीं हुए तो खुद ही मंत्रिमंडल से बाहर हो जाएंगे'- राजेश राठौर, प्रवक्ता, कांग्रेस

बोचहां में बीजेपी-वीआईपी में आर-पार: मुजफ्फरपुर की बोचहां विधानसभा सीट पर 12 अप्रैल को उपचुनाव होना है. वहां विकाशसील इंसान पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुकेश सहनी हर हाल में अपना उम्मीदवार उतारना चाहते हैं. बीजेपी उनको यह सीट देने के लिए तैयार नहीं है. बोचहां विधानसभा सीट पर पहले वीआईपी के ही मुसफिर पासवान विधायक थे. उनके निधन के बाद सीट खाली हुई, जिस पर अब उपचुनाव होना है. सहनी वहां दिवंगत विधायक के बेटे अमर पासवान को चुनाव लड़वाना चाहते हैं. मुकेश सहनी की पार्टी में फिलहाल तीन विधायक और एक विधान परिषद (खुद) की सीट है. माना जा रहा है कि वीआईपी के विधायक बीजेपी के साथ जा सकते हैं. हालांकि, सहनी सरकार को लेकर कोई भी टिप्पणी करने से बचते हैं. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में एनडीए की सरकार बिहार में मजूबती से चल रही है और आगे भी चलेगी. अब ऐसे में बोचहां उपचुनाव में नीतीश कुमार का स्टैंड क्या होगा, ये बहुत अहम होगा. हालांकि माना जा रहा है कि जेडीयू हर हाल में बीजेपी का ही साथ देगा.

विधानसभा में दलगत स्थिति: अगर यह मान भी लिया जाए कि मुकेश सहनी एनडीए का छोड़ देंगे तो ऐसे में सवाल उठता है कि क्या नीतीश कुमार की सरकार गिर जाएगी? फिलहाल 243 सदस्यीय बिहार विधानसभा में एनडीए 127 विधायक हैं. जिनमें भारतीय जनता पार्टी (BJP) के 74, जनता दल यूनाइटेड (JDU) के 45, हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (HAM) के 4 और विकासशील इंसान पार्टी (VIP) के 3 और एक निर्दलीय विधायक हैं. वहीं, महागठबंधन का आंकड़ा 110 है. जिनमें आरजेडी के 75, कांग्रेस के 19 और वाम दलों के 16 विधायक हैं. इसके अलावे एआईएमआईएम (AIMIM) के 5 विधायक हैं. एक सीट (बोचहां) खाली है, जो वीआईपी विधायक मुसाफिर पासवान के निधन से खाली हुई है. इसी सीट पर उपचुनाव हो रहा है. अब ऐसे में अगर मुकेश सहनी समर्थन वापस ले लेते हैं तो भी नीतीश कुमार की सरकार की सेहत पर असर नहीं पड़ेगा, क्योंकि वीआईपी के 3 विधायक हटने के बाद भी नीतीश कुमार की सरकार को 124 विधायकों का समर्थन हासिल होगा. जो कि बहुमत से अधिक है. हालांकि सहनी अगर एनडीए से अलग होते हैं तो उनके विधायक बगावत कर देंगे, ये तय माना जा रहा है.

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बिहार चुनाव में 11 सीटों पर लड़ी वीआईपी: दरअसल, 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान नाटकीय घटनाक्रम के तहत महागठबंधन की प्रेस कॉन्फ्रेंस को बीच में छोड़कर मुकेश सहनी बीजेपी के साथ चले गए थे. तब बीजेपी ने अपने कोटे से उनको को 11 सीटें दी थी. जिनमें ब्रह्मपुर, बोचहां, गौरा बोराम, सिमरी बख्तियारपुर, सुगौली, मधुबनी, केवटी, साहेबगंज, बलरामपुर, अली नगर और बनियापुर में वीआईपी ने चुनाव लड़ा था. खुद मुकेश सहनी सहरसा जिले की सिमरी बख्तियारपुर से उम्मीदवार थे. 4 विधायक जीतकर विधानसभा पहुंचे. हालांकि वो अपनी सीट नहीं बचा पाए थे, इसके बावजूद बीजेपी ने विधान परिषद के रास्ते उनको नीतीश कैबिनेट में मंत्री बनवाया. उनके एमएलसी का कार्यकाल दो महीने में खत्म हो रहा. बीजेपी के रुख से लगता नहीं कि उन्हें दोबारा विधान परिषद भेजा जाएगा. यहां ये भी ध्यान रखना होगा कि वीआईपी तीनों विधायकों का झुकाव बीजेपी की तरफ है. ऐसे में इसकी संभावना कम ही है कि वे लोग सहनी के साथ जाएंगे.

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Last Updated : Mar 19, 2022, 7:20 PM IST
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