पटना : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार क्राइम, करप्शन और कम्युनलिज्म से समझौता नहीं करते हैं. यह दावा बार-बार जदयू की तरफ से होता है. पहले से जो ट्रैक रिकॉर्ड रहा है उसमें यह दिखता भी रहा है. आरोप लगने के बाद ही नीतीश कुमार मंत्रियों से इस्तीफा लेते रहे हैं. जीतन राम मांझी से मंत्री बनने के 24 घंटे के अंदर इस्तीफा ले लिया था. अब तक सात मंत्रियों से नीतीश कुमार इस्तीफा ले चुके हैं, लेकिन इस बार परिस्थितियां बदली हुई है. आरजेडी सबसे बड़ी पार्टी है और नीतीश कुमार विपक्षी एकजुटता की मुहिम चला रहे हैं. ऐसे में क्या नीतीश समझौता कर लेंगे या फिर तेजस्वी से इस्तीफा लेंगे.
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करप्शन के कारण कई मंत्रियों का इस्तीफा ले चुके हैं नीतीश कुमार : सीएम नीतीश कुमार करप्शन और क्राइम को लेकर अब तक कई मंत्रियों से इस्तीफा ले चुके हैं. उसमें अपनी पार्टी के मंत्री तो शामिल हैं ही जिस गठबंधन के साथ रहे उस पार्टी के मंत्रियों से इस्तीफा लेने में भी गुरेज नहीं किया है. जीतन राम मांझी ने तो उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के चार्जशीटेड होने पर नीतीश कुमार से सवाल भी किया है कि जब उनसे इस्तीफा ले लिया था तो तेजस्वी से क्यों नहीं. ऐसे ही सवाल नीतीश कुमार पर खड़े होने लगे हैं.
इस बार नीतीश कुमार के सामने सिर्फ समझौते का विकल्प : राजनीतिक विशेषज्ञ और वरिष्ठ पत्रकार अरुण पांडे का कहना है कि इस बार नीतीश कुमार एक्शन लेने की स्थिति में नहीं हैं. बिहार की जो आज की राजनीतिक परिस्थिति है. उसमें दो ही किनारे हैं. एक तरफ बीजेपी है, दूसरी तरफ आरजेडी. यदि कुर्सी बचाए रखना है तो नीतीश कुमार के लिए आरजेडी के सिवा फिलहाल कोई विकल्प नहीं है. यदि तेजस्वी खुद इस्तीफा नहीं देंगे तो तमिलनाडु में भी एक मंत्री जेल में हैं. दिल्ली में डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया जेल में रहे. सत्येंद्र जैन मंत्री के रूप में जेल में रहे. पश्चिम बंगाल में भी यही स्थिति रही. अब पूरे देश में भ्रष्टाचार शिष्टाचार हो गया है.
"बीजेपी में जितने नेता हैं क्या वे सभी धुले हुए हैं. कानून अपना काम कर रहा है, जिस तरह से बीजेपी सीबीआई और ईडी का इस्तेमाल कर रहा है, यह देश से छिपा हुआ नहीं और इसका खामियाजा 2024 में बीजेपी को भोगना होगा" - श्रवण कुमार, जदयू मंत्री
नीतीश कुमार के सामने राजनीतिक विवशता : अरुण पांडे ने कहा कि नीतीश कुमार के लिए आज समझौता करने की स्थिति बन गई है. लालू प्रसाद यादव का परिवार जहां संकट में है. नीतीश कुमार के लिए भी राजनीतिक विवशता है. उनके लिए भी एक मुश्किल दौर आ गया है कि क्या करें. उनकी जो छवि रही है, ट्रैक रिकॉर्ड रहा है लेकिन आज तो उन्हें समझौता करना पड़ रहा है. और यही कारण है कि जदयू के मंत्री भी तेजस्वी यादव का बचाव करते दिख रहे हैं. नीतीश कुमार के ट्रैक रिकॉर्ड के सवाल पर जदयू के वरिष्ठ नेता और ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार बीजेपी पर निशाना साधने लगते हैं और केंद्रीय एजेंसियों के दुरुपयोग की चर्चा करने लगते हैं.
"इस बार नीतीश कुमार एक्शन लेने की स्थिति में नहीं हैं. बिहार की जो आज की राजनीतिक परिस्थिति है. उसमें दो ही किनारे हैं. एक तरफ बीजेपी है, दूसरी तरफ आरजेडी. यदि कुर्सी बचाए रखना है तो नीतीश कुमार के लिए आरजेडी के सिवा फिलहाल कोई विकल्प नहीं है"- अरुण पांडे, राजनीतिक विशेषज्ञ
तेजस्वी यादव विदेश दौरे पर : तेजस्वी यादव फिलहाल बिहार से बाहर हैं. विदेश गए हैं. कब तक लौटेंगे, पार्टी के नेताओं को भी सही जानकारी नहीं है. तेजस्वी यादव के लौटने का इंतजार हो रहा है. अब देखना है कि बिहार की सियासत किस करवट बदलती है. तेजस्वी यादव को लेकर नीतीश कुमार क्या कुछ फैसला लेते हैं. क्योंकि फिलहाल बीजेपी आक्रमक है और नीतीश कुमार पर हमला करने का कोई मौका छोड़ नहीं रहे हैं, तो दूसरी तरफ आरजेडी भी बीजेपी की मोदी सरकार पर केंद्रीय एजेंसियों के माध्यम से डराने धमकाने का लगातार आरोप लगा रही है.