पटना: 17 सितंबर को देश भर में पीएम विश्वकर्म योजना की शुरुआत की गई. इस योजना का लाभ पिछड़ा और अति पिछड़ा समुदाय से आने वाले छोटे और मझोले कामगारों को मिलने वाला है. पीएम मोदी ने विश्वकर्मा पूजा के अवसर पर औपचारिक तौर पर पीएम विश्वकर्म योजना की शुरुआत की. योजना के तहत 18 पारंपरिक व्यवसाय को शामिल किया गया है. 13000 करोड़ के बजट का प्रावधान किया गया है. पहले चरण में ₹100000 तक की और दूसरे चरण में ₹200000 तक की सहायता राशि में आज 5% के ब्याज पर दी जाएगी.
ये भी पढ़ें: PM Vishwakarma Scheme पर राजनीति, JDU ने कहा -'15000 में ही पूरा मार्केटिंग कर रहे हैं, नीतीश कुमार से कुछ सीखिये'
बिहार में पीएम विश्वकर्मा योजना लागू नहीं होगी: बिहार सरकार ने विश्वकर्मा योजना को बिहार में लागू करने की सहमति नहीं दी है. दरअसल, छोटे कामगारों के लिए बिहार में योजना चल रही हैं. हालांकि ये योजना मृतप्राय है. बिहार सरकार ने 2011 में संगठित क्षेत्र के कामगारों और शिल्पकारों को सामाजिक सुरक्षा योजना का लाभ देने के लिए शताब्दी योजना की शुरुआत की थी. पिछले दो सालों से श्रमिकों को अनुदान की राशि नहीं मिली है और श्रम संसाधन विभाग में 1520 से अधिक आवेदन लंबित पड़े हैं.
क्या है योजना में प्रावधान?: योजना के तहत कामगारों को मृत्यु पर 30000, दुर्घटना से मौत पर 100000, पूर्ण अस्थाई निशक्तता की स्थिति में 75000, अस्थाई और आंशिक निशक्तता की स्थिति में 37500 और असाध्य रोगों के लिए 7500 से 30000 रुपये तक के अनुदान का प्रावधान है.

ईबीसी वोट बैंक की सियासत: अति पिछड़ा वोट बैंक को लेकर बिहार में सियासत होती रही है. बिहार में 45 से 50% के बीच पिछड़ा और अति पिछड़ों की आबादी है. पिछड़ा और अति पिछड़ा वोट बैंक को लेकर राजनीतिक दलों के बीच रस्साकशी जारी है. इंडिया गठबंधन और एनडीए एक-दूसरे को पटकनी देने की कोशिश में है.
बीजेपी का नीतीश सरकार पर आरोप: बिहार सरकार के रवैये पर बीजेपी हमलावर है. केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह लगातार बिहार सरकार को कटघरे में खड़े कर रहे हैं. वहीं पूर्व डिप्टी सीएम रेणु देवी ने भी कहा कि ये सरकार नहीं चाहती कि अति पिछड़ा समाज का भला हो.
"नीतीश सरकार अति पिछड़ा विरोधी है. यह अति पिछड़ों का भला नहीं चाहती है. इसको लेकर बीजेपी आने वाले दिनों में बड़ा आंदोलन चलाएगी ताकि अति पिछड़े समाज को योजना का लाभ मिल सके"- रेणु देवी, पूर्व उपमुख्यमंत्री, बिहार
जेडीयू का बीजेपी पर पलटवार: वहीं, जेडीयू के प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा ने कहा है कि भारतीय जनता पार्टी अति पिछड़ा और आरक्षण विरोधी है. नीतीश कुमार अति पिछड़ों के सबसे बड़े हिमायती हैं. बीजेपी वोट बैंक की राजनीति करती है और योजना के पीछे उनका उद्देश्य भी राजनीतिक ही है.
"मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अगुवाई में बिहार में लगातार अति पिछड़ों की प्रगति के लिए काम हो रहा है. कई तरह की योजनाएं पहले से प्रदेश में चल रही है. सच तो ये है कि बीजेपी अति पिछड़ा और आरक्षण विरोधी है. इस योजना को इस वक्त लाने का मकसद लोकसभा चुनाव में राजनीतिक लाभ लेने का है"- उमेश कुशवाहा, प्रदेश अध्यक्ष, जेडीयू
क्या कहते हैं जानकार?: उधर, वरिष्ठ पत्रकार प्रवीण बागी का मानना है कि कई योजनाएं वोट बैंक की भेंट चढ़ जाती हैं. विश्वकर्म योजना का हश्र भी वैसा ही होने वाला है. बिहार में शताब्दी योजना चलाई जा रही थी लेकिन उसका हाल बुरा है. अति पिछड़ा वोट बैंक को लेकर बीजेपी और जेडीयू के बीच खींचतान है.