पटना : जापान के टोक्यो में 2020 ओलंपिक (Tokyo Olympics) खेलों की शुरुआत हो चुकी है. भारतीय खिलाड़ी, जिन स्पर्धाओं में काफी अच्छा कर रहे हैं. उन पर देशवासियों की निगाहें टिकी हुई हैं. सबकी उम्मीदे हैं कि वे ज्यादा से ज्यादा पदक भारत की झोली में डालें. सभी राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों की तरह ओलंपिक खेलों के लाखों प्रशंसक बिहार में भी हैं. पर दुर्भाग्य की बात है कि 40 सालों से बिहार का (Bihar Players ) कोई भी खिलाड़ी भारतीय दल में जगह नहीं बना पाया है.
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ऐसा नहीं है कि राज्य में प्रतिभाओं की कमी है. अब ये सवाल जायजा है कि आखिकार किन वजहों से ओलंपिक में बिहार पिछड़ रहा है. खेल के मैदान को छोड़ दें तो शिक्षा, साहित्य और कला समेत कई क्षेत्रों में बिहारी टैलेंट का कोई जवाब नहीं है. लेकिन, जब बात खेलों से बिहारी चेहरे गिनाने की हो तो हम काफी पिछे दिखाई देते हैं और हाथ लगती है सिर्फ निराशा. करीब 40 साल से ज्यादा का समय हो गया है. शिवनाथ सिंह के बाद बिहार की जमीन से कोई ओलंपियन नहीं दिखा. बिहार में खेलों की ओझल होने के लिए राज्य सरकार, राजनेता और नौकरशाह भी कम जिम्मेदार नहीं है.
केंद्र सरकार हो या बिहार सरकार, कहने को सभी के अपने दावे हैं कि खिलाड़ियों को हर उचित सुविधा उपलब्ध कराने के लिए सरकार तत्पर है. खिलाड़ियों को उन्हें उचित सुविधाएं भी उपलब्ध कराई जा रही है. इसके बावजूद बड़े-बड़े खेलों में बिहार का कोई खिलाड़ी नहीं पहुंच पा रहा है. आखिर कारण क्या है, क्या खिलाड़ियों को उचित सुविधाएं नहीं मिलती है या फिर इन्फ्रास्ट्रक्चर की कमी है. ईटीवी भारत ने इस मामले को लेकर पूरी पड़ताल की.
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ईटीवी भारत की टीम ने पड़ताल में पाया कि राजधानी पटना में खिलाड़ियों की संख्या काफी अधिक है लेकिन उनके अभ्यास करने के लिए उचित मैदान ही उपलब्ध नहीं है. पटना के राजेंद्र नगर स्थित मोइनुल हक स्टेडियम परिसर में बैडमिंटन, बास्केटबॉल, फुटबॉल खेलने के लिए मैदान तो हैं लेकिन उनकी हालत ऐसी है कि चाह कर भी कोई खिलाड़ी वहां खेल नहीं सकते हैं. मैदान पूरी तरह जंगल-झार में तब्दील हो चुका है. बास्केटबॉल खेलने के लिए खिलाड़ी एक-दूसरे की मदद से जुगाड़ करके नेट बनाते या बदलते हैं.
बिहार में खासकर राजधानी पटना में ओलंपिक में शामिल बेसबॉल के करीब 50 खिलाड़ी हैं. जिन्होंने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई मुकाबले खेले हैं. राज्य का मान सम्मान भी बढ़ाया है. लेकिन इन सबके बावजूद बिहार में बेसबॉल के लिए ना तो कोई ग्राउंड है ना ही खिलाड़ियों को सरकार से कोई मदद मिल रही है. वहीं जब ईटीवी भारत ने कुछ राष्ट्रीय स्तर पर खेलने वाले खिलाड़ियों से बातचीत की तो उन्होंने अपना दर्द बयां किया.
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'यहां के खिलाड़ी काफी बेहतर हैं. लेकिन उन्हें उचित सुविधाएं और उचित मार्गदर्शन नहीं मिल पा रहा है, जिस वजह से खिलाड़ी ओलंपिक में नहीं जा पा रहे हैं. यहां इन्फ्रास्ट्रक्चर ना के बराबर है. खिलाड़ियों के अभ्यास करने के लिए ना तो उचित ग्राउंड है, ना ही कोच. ऐसे में कैसे बिहार के खिलाड़ी ओलंपिक में क्वालीफाई करेंगे.' :- स्वीटी, रग्बी खिलाड़ी
'जिस तरीके से दूसरे देश के खिलाड़ियों को प्रॉपर ट्रेनिंग दी जाती है. इंफ्रास्ट्रक्चर है. वह सभी चीजें यहां के खिलाड़ियों को अगर मिलेगी तो अगले साल ओलंपिक में वह जरूर क्वालीफाई करेंगे. लेकिन अब तक खिलाड़ियों को जो सुविधाएं मिलनी चाहिए थी और जिस तरह से ट्रेनिंग होनी थी वह नहीं हो रही है.' :- अनन्या, कराटे खिलाड़ी
वहीं राजधानी पटना स्थित खिलाड़ियों के अभ्यास के लिए बनाए गए पाटलिपुत्र स्पोर्ट्स कंपलेक्स करीब 2 सालों से बंद है. कारण यह है कि पाटलिपुत्र स्पोर्ट्स कॉम्पलेक्स परिसर में अब तक आइसोलेशन सेंटर चल रहे हैं. हालांकि आइसोलेशन सेंटर में मरीज नहीं है लेकिन वहां वैक्सीनेशन का काम चल रहा है. जिस वजह वहां खिलाड़ी अभ्यास नहीं कर पा रहे हैं.
बिहार सरकार द्वारा अंतरराष्ट्रीय स्तर का स्टेडियम और अब खेल विश्वविद्यालय बनाने की बात कह दी गई है. सवाल यह है कि फिलहाल जो इंफ्रास्ट्रक्चर मौजूद हैं उसका रखरखाव बेहतर तरीके से नहीं किया जा रहा है. ऐसे में कहीं ना कहीं एक बड़ी लापरवाही बरती जा रही है, जिस कारण खिलाड़ी बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर और सुविधाओं से वंचित रह रहे हैं. जिस कारण उनके परफॉर्मेंस में भी गिरावट आ रही है.
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बता दें कि बिहार के खिलाड़ी शिवनाथ सिंह ने लगताार दो ओलंपिक (1976 मांट्रियल और 1980 मास्को) में भारत का प्रतिनिधित्व किया है. उन्होंने 1976 मांट्रियल ओलंपिक मैराथन दौड़ (42 किमी) में 11वां स्थान भी हासिल किया था. उनका निधन 6 जून 2003 को 57 वर्ष की अल्प आयु में हो गया था, लेकिन उनके प्रदर्शन और जज्बे से आज भी बिहार के खिलाड़ी खुद को प्रेरित कर पाते हैं.
वहीं अब टोक्यो ओलंपिक की खबरों के बीच बिहार के खिलाड़ियों के लिए अच्छी खबर है. बिहार विधानसभा में हंगामे के बीच सदन में बिहार खेल विश्विद्यालय विधेयक- 2021 (Bihar Sports University Bill- 2021) पेश कर दिया गया. विधानसभा में खेल मंत्री आलोक रंजन झा ने इस महत्वपूर्ण विधेयक को पेश किया. स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी के विधयेक को सदन में पास कर दिया गया. उम्मीद है अब खेल में रुचि रखने वालों युवाओं का भविष्य उज्ज्वल होगा.