पटनाः बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री और राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी ने कहा कि जब लालू प्रसाद बिहार में 15 साल सत्ता में थे, तब जातिगत जनगणना क्यों नहीं कराई गई? वे भूल जाते हैं कि 06 जून 2022 को जातिगत जनगणना का फैसला एनडीए सरकार का था, जिसमें बीजेपी शामिल थी. सुशील मोदी ने ये भी कहा कि 15 साल के पति-पत्नी के शासन में ही नहीं, आज राजस्थान, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल सहित आधा दर्जन राज्यों में जातिगत जनगणना क्यों नहीं की गई, जहां गैर-भाजपा सरकारें सत्ता में हैं?
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"जातिगत जनगणना को लेकर अनर्गल बयान देने के बजाय लालू प्रसाद को अपने स्वास्थ्य पर ध्यान देना चाहिए. भाजपा ने हर मंच पर जातिगत जनगणना का समर्थन किया. हमने पहले भी इसके लिए कानून बनाने का सुझाव दिया था, लेकिन नीतीश कुमार ने अपने अहंकार में इसे नहीं माना, जिससे सरकार को हाईकोर्ट में हार का सामना करना पड़ा. मुख्यमंत्री ने नगर निगम चुनाव में अति पिछड़ों को आरक्षण देने के लिए विशेष आयोग बनाने के भाजपा के सुझाव पर भी ऐसा ही अड़ियल रवैया अपनाया था, जिसके चलते हाईकोर्ट को चुनाव प्रक्रिया बीच में ही रोकनी पड़ी थी. जनता इनकी चाल को खूब समझ रही है- "सुशील कुमार मोदी, राज्यसभा सांसद
बीजेपी और महागठबंधन के नेता आमने-सामनेः दरअसल बिहार में हो रही जातिगत जनगणना पर पटना हाईकोर्ट ने अंतरिम आदेश के बाद रोक लगा दी गई है. इसे लेकर राजनीतिक बवाल मच गया है. बीजेपी और महागठबंधन के नेता आमने-सामने हैं. इस बीच राजद सुप्रीमो लालू यादव ने एक ट्वीट कर कहा कि जातिगत जनगणना होकर रहेगी. अपने ट्वीट में उन्होंनेकर लिखा है कि जातिगत जनगणना बहुसंख्यक लोगों की मांग है और यह हो कर रहेगा. बीजेपी पिछड़ी जातियों की बहुसंख्यक गिनती करने से क्यों डरती है? जो जातीय गणना का विरोधी है, वह समता, मानवता, समानता का विरोधी है. लालू यादव के इसी ट्वीट पर सुशील मोदी ने जबाब देते हुए उन्हें अपनी सेहत का ख्याल रखने की सलाह दी और बिहार सरकार पर जम कर निशाना साधा.