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कौन बनेगा बिहार BJP का नया अध्‍यक्ष, नीतीश तेजस्वी से मुकाबले के लिए इन नामों पर हो रही चर्चा

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Published : Aug 30, 2022, 7:35 PM IST

बिहार में बदले सियासी समीकरणों के बीच बीजेपी भी अपनी रणनीति को अमली जामा पहनाने में लगी है. ऐसे में पार्टी का सही मार्ग दर्शन और महागठबंधन के लिए बड़ी चुनौती बनने के लिए जल्द ही बिहार बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष की कमान एक सशक्त राजनेता के हाथों में देने की तैयारी है. इस रेस में कई नाम आगे चल रहे हैं. विस्तार से जानिए किसके हाथ में होगा बिहार में बीजेपी का कमल.

new president of Bihar BJP
new president of Bihar BJP

पटना: नीतीश कुमार ने बिहार में भाजपा का साथ छोड़ दिया है और फिलहाल भाजपा मैदान में अकेले दिख रही है. भाजपा के समक्ष चुनौती बड़ी है और बिहार के अंदर भाजपा को 8 दलों के गठबंधन से मुकाबला करना है. केंद्रीय नेतृत्व मंथन में जुटी है. फिलहाल अनुभवी नेता और राज्यसभा सांसद सुशील मोदी (Rajya Sabha MP Sushil Modi) ड्राइविंग सीट पर दिख रहे हैं. ऐसे में बिहार के नए बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष (new president of Bihar BJP) के नाम को लेकर मंथन जारी है.

पढ़ें- ताल ठोककर बोले पप्पू यादव- नीतीश कुमार को देश का प्रधानमंत्री बनाएंगे, लाल किले पर तिरंगा लहराएंगे

बिहार बीजेपी के नए अध्‍यक्ष को लेकर चर्चा का बाजार गर्म

बीजेपी को बिहार में बड़ी चुनौती: भाजपा के समक्ष मिशन 2024 (BJP Mission 2024) बड़ी चुनौती है. लोकसभा चुनाव से ठीक पहले बिहार में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन का अस्तित्व खतरे में पड़ गया. नीतीश कुमार ने भाजपा का साथ छोड़ दिया और वह महागठबंधन में शामिल हो गए. महागठबंधन का कुनबा बढ़कर आठ दलों का हो गया है. बिहार में भाजपा को 8 दलों के गठबंधन से मुकाबला करना है. बदली हुई राजनीतिक परिस्थितियों में केंद्रीय नेतृत्व के सामने चुनौती इस बात की है कि किन नेताओं पर दांव लगाया जाए जो नीतीश और तेजस्वी से मुकाबला कर सके.

पढ़ें- जानें क्यों अमित शाह ने मिशन बिहार की शुरुआत के लिए सीमांचल को चुना, महागठबंधन खेमे में बेचैनी

कौन बनेगा बिहार बीजेपी का नया अध्‍यक्ष?: भूपेंद्र यादव, नित्यानंद राय और संजय जायसवाल के कंधों पर केंद्रीय नेतृत्व की ओर से बड़ी जिम्मेदारी दी गई थी लेकिन गठबंधन का चित्र नहीं बचा पाने के चलते वर्तमान टीम पर केंद्रीय नेतृत्व का भरोसा नहीं रह गया है. नई टीम के गठन को लेकर सुगबुगाहट तेज हो गई है. 2019 विधानसभा चुनाव के बाद बिहार भाजपा के अनुभवी नेता सुशील मोदी, नंदकिशोर यादव और प्रेम कुमार को किनारे कर दिया गया था. लेकिन गठबंधन टूटने के बाद से सुशील मोदी ड्राइविंग सीट पर हैं और पार्टी दफ्तर में आधे दर्जन से ज्यादा संवाददाता सम्मेलन कर चुके हैं. सुशील मोदी लगातार नीतीश कुमार और तेजस्वी पर हमला कर रहे हैं. आपको बता दें कि गठबंधन टूटने के बाद सुशील मोदी ने कहा था कि हम 17 महीने बाद प्रदेश कार्यालय में संवाददाता सम्मेलन कर रहे हैं.

पढ़ें- बिहार की राजनीति के केन्द्र में लौटे सुशील मोदी, सवाल- दिखा पाएंगे 2017 जैसा कमाल!

अनुभवी और युवा चेहरों पर बढ़ा भरोसा: बिहार में केंद्रीय नेतृत्व अब अनुभवी और युवा नेताओं की टीम बनाना चाहती है. सम्राट चौधरी और विजय सिन्हा को आगे कर पार्टी ने संदेश भी दे दिया है. विजय सिन्हा को बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तो वहीं विधान परिषद में सम्राट चौधरी को ये जिम्मेदारी दी गई है. अनुभवी नेता के रूप में सुशील मोदी आगे दिख रहे हैं और संभव है कि सुशील मोदी को प्रदेश अध्यक्ष बनाया जाए. इस बात के आसार पूरे हैं कि बिहार में अनुभवी नेताओं को आगे किया जाए. मिल रही जानकारी के मुताबिक बिहार प्रदेश में अब सुशील मोदी, नंद किशोर यादव और प्रेम कुमार की भूमिका बढ़ सकती है.

पढ़ें- एक तरफ विजय सिन्हा तो दूसरी तर सम्राट चौधरी, नीतीश तेजस्वी की सरकार को मिलेगी कड़ी चुनौती

रेस में इन नेताओं के नाम आगे: अति पिछड़ा में आज की तारीख में प्रेम कुमार के कद का पार्टी के अंदर कोई नेता नहीं है. प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर पार्टी अति पिछड़ा पर दांव लगा सकती है. अति पिछड़ा समुदाय से आने वाले दीघा विधायक संजीव चौरसिया का नाम भी पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच चर्चा में है. संजीव चौरसिया राज्यपाल गंगा प्रसाद के पुत्र हैं. वहीं मुजफ्फरपुर सांसद अजय निषाद भी प्रदेश अध्यक्ष के दौड़ में शामिल हैं. अजय निषाद अति पिछड़ा समुदाय से आते हैं और इन पर भी पार्टी दांव लगा सकती है. पूर्व मंत्री जनक राम का नाम भी सुर्खियों में है. जनक राम दलित समुदाय से आते हैं और अगर दलित समुदाय से किसी को अध्यक्ष बनाने की बात हुई तो जनक राम भी मजबूत दावेदार साबित होंगे.

"भाजपा कार्यकर्ताओं की पार्टी है और कभी भी संकट में नहीं रहती है. अध्यक्ष नियत समय पर बनते हैं. निश्चित रूप से कोई अनुभवी नेता को अध्यक्ष बनाया जाएगा. सुशील मोदी को अगर बनाया जाता है तो इससे अधिक खुशी की बात और क्या होगी?"- विनोद शर्मा,भाजपा प्रवक्ता

"भाजपा संकट के दौर में है और पार्टी के सामने बड़ी चुनौती है. पुराने चेहरे को आगे लाने की तैयारी चल रही है. पार्टी को यह लग रहा है कि अनुभवी और युवा चेहरे मिलकर पार्टी को मजबूत आधार दे सकते हैं."- डॉ संजय कुमार, राजनीतिक विश्लेषक



पटना: नीतीश कुमार ने बिहार में भाजपा का साथ छोड़ दिया है और फिलहाल भाजपा मैदान में अकेले दिख रही है. भाजपा के समक्ष चुनौती बड़ी है और बिहार के अंदर भाजपा को 8 दलों के गठबंधन से मुकाबला करना है. केंद्रीय नेतृत्व मंथन में जुटी है. फिलहाल अनुभवी नेता और राज्यसभा सांसद सुशील मोदी (Rajya Sabha MP Sushil Modi) ड्राइविंग सीट पर दिख रहे हैं. ऐसे में बिहार के नए बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष (new president of Bihar BJP) के नाम को लेकर मंथन जारी है.

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बिहार बीजेपी के नए अध्‍यक्ष को लेकर चर्चा का बाजार गर्म

बीजेपी को बिहार में बड़ी चुनौती: भाजपा के समक्ष मिशन 2024 (BJP Mission 2024) बड़ी चुनौती है. लोकसभा चुनाव से ठीक पहले बिहार में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन का अस्तित्व खतरे में पड़ गया. नीतीश कुमार ने भाजपा का साथ छोड़ दिया और वह महागठबंधन में शामिल हो गए. महागठबंधन का कुनबा बढ़कर आठ दलों का हो गया है. बिहार में भाजपा को 8 दलों के गठबंधन से मुकाबला करना है. बदली हुई राजनीतिक परिस्थितियों में केंद्रीय नेतृत्व के सामने चुनौती इस बात की है कि किन नेताओं पर दांव लगाया जाए जो नीतीश और तेजस्वी से मुकाबला कर सके.

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कौन बनेगा बिहार बीजेपी का नया अध्‍यक्ष?: भूपेंद्र यादव, नित्यानंद राय और संजय जायसवाल के कंधों पर केंद्रीय नेतृत्व की ओर से बड़ी जिम्मेदारी दी गई थी लेकिन गठबंधन का चित्र नहीं बचा पाने के चलते वर्तमान टीम पर केंद्रीय नेतृत्व का भरोसा नहीं रह गया है. नई टीम के गठन को लेकर सुगबुगाहट तेज हो गई है. 2019 विधानसभा चुनाव के बाद बिहार भाजपा के अनुभवी नेता सुशील मोदी, नंदकिशोर यादव और प्रेम कुमार को किनारे कर दिया गया था. लेकिन गठबंधन टूटने के बाद से सुशील मोदी ड्राइविंग सीट पर हैं और पार्टी दफ्तर में आधे दर्जन से ज्यादा संवाददाता सम्मेलन कर चुके हैं. सुशील मोदी लगातार नीतीश कुमार और तेजस्वी पर हमला कर रहे हैं. आपको बता दें कि गठबंधन टूटने के बाद सुशील मोदी ने कहा था कि हम 17 महीने बाद प्रदेश कार्यालय में संवाददाता सम्मेलन कर रहे हैं.

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अनुभवी और युवा चेहरों पर बढ़ा भरोसा: बिहार में केंद्रीय नेतृत्व अब अनुभवी और युवा नेताओं की टीम बनाना चाहती है. सम्राट चौधरी और विजय सिन्हा को आगे कर पार्टी ने संदेश भी दे दिया है. विजय सिन्हा को बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तो वहीं विधान परिषद में सम्राट चौधरी को ये जिम्मेदारी दी गई है. अनुभवी नेता के रूप में सुशील मोदी आगे दिख रहे हैं और संभव है कि सुशील मोदी को प्रदेश अध्यक्ष बनाया जाए. इस बात के आसार पूरे हैं कि बिहार में अनुभवी नेताओं को आगे किया जाए. मिल रही जानकारी के मुताबिक बिहार प्रदेश में अब सुशील मोदी, नंद किशोर यादव और प्रेम कुमार की भूमिका बढ़ सकती है.

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रेस में इन नेताओं के नाम आगे: अति पिछड़ा में आज की तारीख में प्रेम कुमार के कद का पार्टी के अंदर कोई नेता नहीं है. प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर पार्टी अति पिछड़ा पर दांव लगा सकती है. अति पिछड़ा समुदाय से आने वाले दीघा विधायक संजीव चौरसिया का नाम भी पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच चर्चा में है. संजीव चौरसिया राज्यपाल गंगा प्रसाद के पुत्र हैं. वहीं मुजफ्फरपुर सांसद अजय निषाद भी प्रदेश अध्यक्ष के दौड़ में शामिल हैं. अजय निषाद अति पिछड़ा समुदाय से आते हैं और इन पर भी पार्टी दांव लगा सकती है. पूर्व मंत्री जनक राम का नाम भी सुर्खियों में है. जनक राम दलित समुदाय से आते हैं और अगर दलित समुदाय से किसी को अध्यक्ष बनाने की बात हुई तो जनक राम भी मजबूत दावेदार साबित होंगे.

"भाजपा कार्यकर्ताओं की पार्टी है और कभी भी संकट में नहीं रहती है. अध्यक्ष नियत समय पर बनते हैं. निश्चित रूप से कोई अनुभवी नेता को अध्यक्ष बनाया जाएगा. सुशील मोदी को अगर बनाया जाता है तो इससे अधिक खुशी की बात और क्या होगी?"- विनोद शर्मा,भाजपा प्रवक्ता

"भाजपा संकट के दौर में है और पार्टी के सामने बड़ी चुनौती है. पुराने चेहरे को आगे लाने की तैयारी चल रही है. पार्टी को यह लग रहा है कि अनुभवी और युवा चेहरे मिलकर पार्टी को मजबूत आधार दे सकते हैं."- डॉ संजय कुमार, राजनीतिक विश्लेषक



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