पटना: पीएमसीएच गरीबों के अस्पताल के नाम से जाना जाता है और इसके बारे में वर्षों से एक कहानी चली आ रही है कि कितना भी लाचार मरीज हो, पीएमसीएच में पहुंच है तो उसका इलाज हो जाता है. सरकार की तरफ से अस्पताल में गरीब और लाचार मरीजों को लेकर सुविधाओं में लगातार इजाफा भी किया जा रहा है.
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लेकिन, पटना मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल की हालत दिन प्रतिदिन बद से बदतर होती जा रही है. अस्पताल में गरीब और लाचार मरीज को व्हीलचेयर तक उपलब्ध नहीं हो पाती और इसकी बानगी सोमवार के दिन अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर देखने को मिली.
बता दें कि सोमवार के दिन पटना मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल के तमाम आला अधिकारियों के सामने से एक युवक एक पैर पर कूदता हुआ जा रहा था. युवक के दाहिने पैर में प्लास्टर लगी थी और बाएं पैर पर कूदते हुए वह अपने घर की ओर जा रहा था. मरिज का नाम जितेंद्र है और वे सिवान के रहने वाले है.
जितेंद्र ने कहा कि उसके पैर में चोट आ गई, जिसके बाद वह अकेले किसी तरह पीएमसीएच पहुंचा. डॉक्टर ने उसे देखा और पैर में फ्रैक्चर होने के कारण प्लास्टर कर दिया गया. जहां अस्पताल के कर्मियों ने इलाज के दौरान कुछ पैसे भी लिए. उन्होंने बताया कि प्लास्टर आज ही हुआ है और डॉक्टरों ने उसे अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया है. ऐसी अवस्था में अब वह घर जा रहे हैं.
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मरीज को नहीं मिला व्हीलचेयर
एक पैर पर लंगड़ाते हुए जाने के सवाल पर जितेंद्र ने बताया कि अस्पताल में उसे व्हीलचेयर नहीं मिला और वह अकेले आया था. इस कारण उसकी कोई मदद करने वाला भी नहीं मिला. उन्होंने बताया कि डॉक्टरों ने उसे डिस्चार्ज कर दिया है और डिस्चार्ज करने के बाद घर जाने के लिए किसी प्रकार का सहायता नहीं दी गई. यहां तक कोई उसे एक लाठी या कोई डंडा भी नहीं दिया जिसके सहारे वे अपने घर तक जा सके.
ऐसे में मजबूर जितेंद्र एक टांग पर भटकते हुए घर जा रहे हैं. जितेंद्र ने बताया कि अस्पताल के अधीक्षक, प्राचार्य और सभी अधिकारी यही मौजूद हैं और सभी ने उन्हें देखा भी है, वह सबके सामने इस हाल में जा रहे हैं. मगर कोई उनकी मदद करने नहीं आया.
पीएमसीएच प्रशासन पर उठा सवाल
अस्पताल की इस लापरवाही के चलते मरिजों के साथ आए दिन इस तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है. अस्पताल प्रशासन की लापरवाही से जितेंद्र के साथ अगर कोई हादसा होता है. तो इसका जिम्मेदार कौन होगा? हालांकि, इस मसले पर भी पीएमसीएच के कोई अधिकारियों ने अधिकृत या अनाधिकृत तौर से कोई बात नहीं की. मगर सवाल पीएमसीएच प्रशासन पर यह उठता है कि ऐसे हालात में मरीज को अस्पताल प्रबंधन ने कैसे डिस्चार्ज कर दिया.
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बताते दें कि पीएमसीएच में और भी कई प्रकार की बदहाली है. जैसे कि पीएमसीएच कैंपस के अंदर की सड़कें काफी जर्जर है. जब मरीज को जांच के लिए एक भवन से दूसरे भवन में ले जाया जाता है तब जर्जर सड़कों की वजह से ट्रॉली पर मरीज की सांसें उखड़ने लगती है. लगभग 2 वर्षों से यही स्थिति बनी हुई है. लेकिन अंदर की सड़कें दुरुस्त हो इस बारे में अस्पताल प्रबंधन का कोई प्रयास नजर नहीं आता है.