पटना: महात्मा गांधी सेतु का पश्चिमी लेन पर 31 जुलाई से परिचालन शुरू हो रहा है. परिचालन शुरू होने से उत्तर बिहार की ओर राजधानी पटना से आने जाने में लोगों को जो परेशानी हो रही थी, उससे छुटकारा मिलेगा. पश्चिमी लेन के शुरू होने के बाद पूर्वी लेन के जीर्णोद्धार का कार्य 18 महीने में पूरा करने का लक्ष्य है. दोनों लेन के पुनरुद्धार की प्राकृत राशि 1742 करोड़ है.
हालांकि 2017 में जब इस पर काम शुरू हुआ था, उस समय 1400 करोड़ से कुछ अधिक था. लेकिन अब लगभग 300 करोड़ का इजाफा हो चुका है. पश्चिमी लेन की शुरुआत केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी दिल्ली से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से करेंगे और कार्यक्रम में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी पटना से शामिल होंगे.
6 बार उद्घाटन की तिथि हो चुकी है फेल
महात्मा गांधी सेतु के पश्चिमी लेन के जीर्णोद्धार की तिथि 6 बार अब तक फेल हो चुकी है. लेकिन अब काम पूरा हो चुका है. ऐसे में इस बार इसका परिचालन शुरू हो जाएगा. पथ निर्माण मंत्री नंदकिशोर यादव के अनुसार चारों लेन पर 66.360 मीट्रिक टन स्टील का उपयोग किया जाना है. पूर्वी लेने के लिए भी आवश्यक स्टील में से आधी मात्रा की खरीद हो चुकी है. पूर्वी लेन का जीर्णोद्धार कार्य बरसात के बाद शुरू होगा और 18 महीने में उसे पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है.
पथ निर्माण मंत्री ने दी जानकारी
नंद किशोर यादव के अनुसार पूर्वी लेन के सुपर स्ट्रक्चर को काटकर हटाया जाएगा और गंगा में मलवा ना गिरे इसकी पूरी व्यवस्था की जाएगी. पश्चिमी लेन की तरह ही पूर्वी लेने का भी सुपर स्ट्रक्चर स्टील का होगा. नंदकिशोर यादव ने यह भी जानकारी दी है कि जीर्णोद्धार के बाद गांधी सेतु की लाइफ 100 साल रखी गई है. पश्चिमी लेन के शुरू होने से व्यावसायिक गतिविधियां भी बढ़ेगी क्योंकि पूर्वी लेन पर 1 साल से भी अधिक समय से बड़ी गाड़ियों की आवाजाही पर रोक है.
गांधी सेतु से जुड़ी जानकारी:
- राजधानी को उत्तर बिहार से जोड़ने के लिए 1969 में महात्मा गांधी सेतु की नींव रखी गई थी
- 1972 से सेतु बनाने का काम शुरू हुआ
- 1982 में इंदिरा गांधी ने इसकी एक लेन की शुरुआत की थी
- 1987 में गांधी सेतु का दूसरा लेन भी शुरू हुआ
- 100 साल चलने का दावा किया गया था लेकिन 1991 से ही मरम्मत को लेकर इस पर चर्चा शुरू हो गई
- लगातार गांधी सेतु से टोल टैक्स के रूप में बड़ी राशि भी वसूली जाती रही
- कुछ सालों बाद ही इसमें दरार दिखने लगी
- दरार को ठीक करने की कई बार कोशिश हुई मरम्मत के लिए 200 करोड़ की राशि भी रखी गई, 100 करोड़ से अधिक की राशि खर्च भी किया गया
- लेकिन पुल की स्थिति लगातार खराब होती गई, अंत में कई सालों बाद 2014 में केंद्र और राज्य सरकार ने इसकी जीर्णोद्धार करने का फैसला लिया
- जिसमें सुपरस्ट्रक्चर को चेंज कर स्टील का स्ट्रक्चर लगाने का निर्णय लिया गया
- जीर्णोद्धार का कार्य 1917 से शुरू हुआ ऐसे तो दोनों लाइन का काम 22 माह में होना था
- इस पर 1400 करोड़ की राशि लगभग खर्च अनुमानित थे, लेकिन पश्चिमी लेने के जीर्णोद्धार कार्य में ही तीन साल से अधिक समय लग गया
- लेकिन अब पथ निर्माण विभाग के अपर मुख्य सचिव अमृत लाल मीणा के अनुसार जीर्णोद्धार का कार्य पूरा हो गया है और उद्घाटन के लिये तैयारी हो रही है