पटना: राजधानी पटना के राजेंद्र नगर स्थित मोइनुल हक स्टेडियम शहर का सबसे पुराना स्टेडियम है. सामान्य दिनों में यहां शहर के कोने-कोने से खिलाड़ी आकर प्रैक्टिस करते हैं. बिहार राज्य खेल प्राधिकरण का कार्यालय भी इसी स्टेडियम परिसर में स्थित है. लेकिन हल्की बारिश में ही स्टेडियम में जलजमाव की स्थिति उत्पन्न हो जाती है.
'शहर का निचला हिस्सा है राजेंद्र नगर'
मोइनुल हक स्टेडियम शहर के राजेंद्र नगर इलाके में स्थित है. यह शहर का निचला हिस्सा माना जाता है. यहां हल्की बारिश में ही जलजमाव की स्थिति उत्पन्न हो जाती है. हालांकि जब भी जलजमाव की स्थिति उत्पन्न होती है तो पंपिंग सेट के सहारे स्टेडियम से पानी की निकासी की जाती है. लेकिन स्टेडियम में जलजमाव की स्थिति उत्पन्न ना हो, इस दिशा में सरकार की तरफ से कोई सार्थक कोशिश नहीं होती है.
पंपिग सेट से जलनिकासी में 8 घंटे का समय
बता दें कि ईटीवी भारत ने मोइनुल हक स्टेडियम में जलजमाव को लेकर खबरें भी दिखाई थी. इससे पूर्व नाला जाम होने की वजह से स्टेडियम परिसर में घुटने भर से ज्यादा पानी जमा हो गया था. स्टेडियम परिसर में ही सीआरपीएफ कैंप है. जलजमाव में सीआरपीएफ कैंप भी डूब गया था.
![मोईनुल हक स्टेडियम](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/bh-pat-02-moinoul-haq-me-water-logging-pkg-7204423_27062020164450_2706f_01876_835.jpg)
ईटीवी भारत की खबर के बाद जिला प्रशासन हरकत में आया था और स्टेडियम के बाहरी इलाके के नाले की सफाई कराई गई थी. स्थानीय लोगों का कहना है कि महज घंटेभर की बारिश में स्टेडियम में कमर तक पानी जमा हो जाता है. पानी को निकालने के लिए पंपिंग सेट चलाना पड़ता है. स्टेडियम से पानी निकासी में लगभग 8 से 10 घंटे का समय लग जाता है.
लाखों रुपये खर्च के बावजूद नहीं निकल पा रहा निदान
गौरतलब है कि पिछले साल बिहार की राजधानी पटना में जलजमाव से बाढ़ जैसा नजरा देखने को मिला था. इस दौरान उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी भी पटना बाढ़ के प्रकोप से नहीं बच पाए थे. एनडीआरएफ की मदद से सुशील मोदी और उनके परिवार को रेस्क्यू कर सुरक्षित स्थान तक पहुंचाया गया था. नाले के जाम होने और उचित साफ-सफाई न होने की वजह से मोइनुल हक स्टेडियम में 6 से 7 फीट पानी जमा हो गया था.
बता दें कि पिछले साल से लेकर अब तक हालात में कुछ खास बदलाव नहीं हुआ है. स्टेडियम में जल जमाव के कारण मैदान की मिट्टी खराब हो जाती है. बाद में इसकी मरम्मती में काफी समय लग जाता है. हालांकि इसके लिए सरकार पानी की तरह लाखों रुपये खर्च भी करती है. लेकिन स्टेडियम में जलजमाव की स्थिति का समुचित निदान नहीं हो सका है.