पटना: बिहार पंचायत चुनाव (Bihar Panchayat Election) के पहले चरण के चुनाव के लिए 10 जिलों के 12 प्रखंडों में शुक्रवार को मतदान हो गया. राज्य निर्वाचन आयोग (State Election Commission) ने पहली बार ईवीएम और बायोमेट्रिक का प्रयोग पंचायत चुनाव में किया है. बायोमेट्रिक का प्रयोग राज्य निर्वाचन आयोग ने बोगस वोटिंग रोकने के लिए किया था, जो काफी सफल दिखा.
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बदलते परिवेश में राजनीति के मायने भी बदलते जा रहे हैं. कल तक महिलाएं घर की बागडोर सम्भालती थीं, लेकिन अब हालात बदल चुके हैं और तस्वीर भी बदल चुकी है. जो महिलाएं घर का काम करती थी, बच्चे संभालती थी, अब वो राजनीति के मैदान में उतरते नजर आई और पंचायत चुनाव के प्रथम चरण के मतदान में महिलाओं ने बढ़-चढ़कर मतदान भी किया.
लेकिन, सबसे सुखद तस्वीर उस समय भी देखने को मिली जब नामांकन प्रक्रिया के दौरान कई मुखिया सीटों पर महिलाओं ने दावेदारी की और जीत का परचम लहराने की बातें की. महिलाएं किसी भी मामले में पीछे नहीं है और पंचायत चुनाव में महिलाओं ने साफ आगाह कर दिया कि अब राजनीति के अखाड़े में भी महिलाएं उतर रही हैं. पंचायत गांव को बेहतर बनाने के लिए कई महिलाएं जॉब तक छोड़ पंचायत चुनाव लड़ रही हैं.
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पंचायत चुनाव में महिलाएं अपना भाग्य आजमा रही हैं, गांव को बदलने की बात कर रही हैं. वहीं, पुरुषों से ज्यादा महिलाएं वोट डालते नजर आईं. चुनावी अखाड़े में महिला और पुरुष प्रत्याशी दोनों में कांटे की टक्कर है. बदलती तस्वीर के साथ पहले चरण की मतगणना में मात्र 24 घंटे बाद यह साफ हो जाएगा कि पुरुष उम्मीदवार और महिला उम्मीदवार में से कौन किस पर भारी है.
कोरोना के बावजूद मतदाताओं में गांव की सरकार चुनने के लिए काफी उत्साह नजर आया. हालांकि, कोविड-19 प्रोटोकॉल को लेकर मतदाताओं में इतनी जागरुकता नहीं दिखी. बहुत सारे ऐसे मतदाता थे, जो बिन मास्क के ही बूथों पर पहुंचकर मतदान कर रहे थे. राज्य निर्वाचन आयोग के द्वारा जारी की गई गाइडलाइंस की भी लोग धज्जियां उड़ाते नजर आए. कई जगहों पर सोशल डिस्टेंसिंग का पालन होते भी नहीं दिखा. मतदान केंद्र पर किसी प्रकार की अनहोनी ना हो इसके लिए प्रशासन भी पूरी तरह से तैयार दिखा.
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कहते हैं कि गांव का विकास होगा तो देश का विकास होगा, लेकिन गांव के विकास का जिम्मा 5 सालों तक जिस पंचायत के मुखिया का था, मतदाता उनके कार्यों को देखकर इस बार अपना मतदान कर रहे हैं. यह उम्मीद लगाई जा रही है कि जो मुखिया 5 साल के कार्यकाल के दौरान अपने क्षेत्र का विकास नहीं कर पाए हैं, उनका पत्ता साफ हो जाएगा. जिस तरह से पहले चरण में मतदाता बूथों पर पहुंचकर मतदान के लिए उत्सुक दिखे, इससे यह साफ लग रहा है कि इस बार गांव की सरकार और गांव के विकास के लिए मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग कर रहे हैं.
इस बार महिलाएं भी किसी से पीछे नहीं दिखी. नामांकन और मतदान दोनों में ही महिलाएं बढ़ चढ़कर हिस्सा ले रही हैं. सीएम नीतीश कुमार का महिला आरक्षण काफी रंग ला रहा है, जिसका नतीजा है कि हर पद पर महिला प्रत्याशी बढ़ चढ़कर नामांकन कर रही हैं. पहले चरण का चुनाव हो गया है और पहले चरण में पुरुषों से ज्यादा महिलाओं ने नामांकन पत्र दाखिल किया था. 8093 महिला प्रत्याशियों ने विभिन्न पदों पर नामांकन दाखिल किया था, जबकि 7235 पुरुष प्रत्याशियों ने नामांकन दाखिल किया था. इससे स्पष्ट है कि महिलाएं अपने घर की दहलीज को पार कर पंचायत की तस्वीर बदलने के लिए मैदान में उतर रही हैं.
राज्य निर्वाचन आयोग दूसरे चरण के मतदान की तैयारी में जुट गई हैं. दूसरे चरण का मतदान 29 सितंबर को होना है, जिसको लेकर निर्वाचन आयोग पूरी तरह से तैयारी कर रहा है कि पहले चरण में जिस तरह से ईवीएम और बायोमेट्रिक में गड़बड़ी की सूचना मिली, दूसरे चरण में इस तरह की शिकायत ना हो, इसको लेकर के निर्वाचन आयोग ने कमर कसी हुई है. बता दें कि दूसरे चरण में 34 जिलों के 48 प्रखंडों में चुनाव होना है. प्रत्याशी जोर शोर से अपने पंचायत में चुनाव प्रचार प्रसार कर रहे हैं, 27 सितंबर को चुनाव प्रचार भी थम जाएगा. राज्य निर्वाचन आयोग ने किसी प्रकार का सुझाव या शिकायत के लिए टोल फ्री नंबर 1800 345 7243 जारी किया है.