पटना : ऐसे तो बिहार में लंबे समय से लालू प्रसाद यादव और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कर्पूरी ठाकुर की विरासत को आगे बढ़ाने का दावा करते रहे हैं. बिहार में पिछड़ा और अति पिछड़ा वोट बैंक सत्ता तक पहुंचाने में बड़ी भूमिका निभाता रहा है. इसलिए कर्पूरी जयंती या पुण्यतिथि के बहाने सभी दल पिछड़ा-अति पिछड़ा वोट बैंक को लुभाने की कोशिश करते हैं. वर्षों से यह सिलसिला चल रहा है. हाल के कुछ वर्षों में बीजेपी की भी नजर इस वोट बैंक पर है. बीजेपी ने इस वर्ग से आने वाले नेताओं को पार्टी में महत्वपूर्ण पद भी दिया है. बता दें कि 24 जनवरी को कर्पूरी ठाकुर की जयंती मनाई जाती है.
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कर्पूरी ठाकुर जयंती पर जेडीयू-बीजेपी झोंकेंगे ताकत: इस बार भी कर्पूरी जयंती के मौके पर ऐसे तो सभी दलों की ओर से आयोजन होगा, लेकिन जदयू और बीजेपी पूरी ताकत लगाने जा रही है. जहां जदयू की तरफ से बापू सभागार में कार्यक्रम हो रहा है और पूरे बिहार में जिला स्तर पर आयोजन हो रहा है. वहीं, बीजेपी भी विद्यापति भवन में कार्यक्रम करने जा रही है. बीजेपी का भी पूरे बिहार में कार्यक्रम आयोजित होगा. सभी दल कर्पूरी ठाकुर पर अपनी दावेदारी करते हैं. जदयू के प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा का कहना है कि कर्पूरी ठाकुर के सपनों को नीतीश कुमार ही जमीन पर उतार रहे हैं.
''जन्मतिथि और पुण्यतिथि मना लेना ये अलग काम है, उनके रास्ते पर चलना अलग बात है. बीजेपी कर्पूरी ठाकुर के अंत्योदय के सपने को आगे बढ़ा रही है. आरजेडी के लोगों को कर्पूरी ठाकुर मनाने का अधिकार भी नहीं है. वो परिवार वाद के घोर विरोधी थे.''- संजय टाइगर, प्रवक्ता, बीजेपी
बीजेपी का जेडीयू और आरजेडी पर निशाना: बीजेपी और जदयू के नेता अपने-अपने तरीके से दावेदारी कर रहे हैं. बीजेपी प्रवक्ता संजय टाइगर का कहना है कर्पूरी ठाकुर गरीबों के उत्थान के लिए काम करते थे. बीजेपी भी अंत्योदय पर विश्वास करती है. उसे आगे बढ़ाने में लगी है. ऐसे में कर्पूरी ठाकुर पर बीजेपी की दावेदारी अधिक बनती है. आरजेडी को तो कर्पूरी जयंती मनाने का अधिकार भी नहीं है, क्योंकि कर्पूरी ठाकुर परिवारवाद और वंशवाद के विरोधी थे.
''कर्पूरी ठाकुर के आदर्शों को जमीन पर उतारने का काम मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने किया है. पिछले 17 साल से बिहार में विकास इसी आधार पर हो रहा है.''- उमेश कुशवाहा, प्रदेश अध्यक्ष, जेडीयू
''बीजेपी को कर्पूरी जयंती मनाने का अधिकार नहीं है. क्योंकि बीजेपी जिस विचारधारा को लेकर चलती है कर्पूरी ठाकुर उसके विरोध में थे. लालू प्रसाद यादव ने कर्पूरी ठाकुर के संकल्प को हमेशा आगे बढ़ाया है.''- एजाज अहमद, प्रवक्ता, आरजेडी
क्या कहते हैं राजनीतिक विशेषज्ञ? : वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विशेषज्ञ रवि उपाध्याय का कहना है जननायक कर्पूरी ठाकुर को लेकर अति पिछड़ा और पिछड़ा वोट बैंक को लुभाने की कोशिश 2024 और 2025 चुनाव को लेकर हो रही है. क्योंकि, कर्पूरी ठाकुर एक प्लेटफार्म है. सभी दल यही मैसेज देने की कोशिश करेंगे कि कर्पूरी ठाकुर के विचारों को उनके आदर्शों को हम आगे लेकर चल रहे हैं. इसलिए कर्पूरी जयंती के बहाने पार्टियों की ओर से अति पिछड़ा का शक्ति प्रदर्शन भी होगा.
वोटबैंक बचाने के लिए बिहार में जयंती से जुगत? : बिहार में 52 फीसदी पिछड़ा और अतिपिछड़ा की आबादी है. अभी हाल ही में नगर निकाय चुनाव में अति पिछड़ा आरक्षण को लेकर जमकर सियासत हुआ था. बीजेपी को लगता है कि अति पिछड़ा वोट बैंक अपने पक्ष में कर नीतीश कुमार को और कमजोर किया जा सकता है, तो वहीं बीजेपी की अति पिछड़ा को लेकर जो मंशा है उसे नीतीश कुमार जानते हैं और उसे रोकने की कोशिश कर रहे हैं. इसलिए इस बार कर्पूरी जयंती पर बड़े कार्यक्रम हो रहे हैं.
आरजेडी का कर्पूरी ठाकुर जयंती पर ये है प्लान: ऐसे तो अति पिछड़ा प्रकोष्ठ ही कार्यक्रम का आयोजन करेगा लेकिन जदयू की तरफ से पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह से लेकर प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा और पार्टी के मंत्री तक तैयारी में अपनी ताकत लगा रहे हैं. बीजेपी भी अपने बड़े नेताओं को इस आयोजन में झोंक रही है. आरजेडी इस बार जरूर कर्पूरी जयंती पर पटना में कोई बड़ा कार्यक्रम नहीं करने जा रही है, लेकिन प्रखंड स्तर पर कार्यक्रम जरूर करेगी.