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Cast Census in Bihar: 'जनता पर ना पड़े बोझ, इसके लिए जन प्रतिनिधियों के फंड से भी लिए जाए पैसे'

वीआईपी प्रवक्ता देव ज्योति (VIP spokesperson Dev Jyoti) ने कहा कि बिहार में जातीय जनगणना (Cast Census in Bihar) कराने पर काफी पैसे खर्च होंगे. इसका भार आम जनता पर भी पड़ेगा, लिहाजा सरकार को वैकल्पिक व्यवस्था के बारे में भी सोचना चाहिए. इसके लिए सांसद-विधायक और विधान पार्षद के फंड का भी उपयोग किया जा सकता है.

बिहार में जातीय जनगणना
बिहार में जातीय जनगणना
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Published : Jun 4, 2022, 7:49 AM IST

पटना: बिहार सरकार की ओर से प्रदेश में जाति आधारित गणना (Caste Based Survey) कराने की घोषणा हो चुकी है. इसके लिए कैबिनेट ने 500 करोड़ की राशि को मंजूरी भी दे दी है. इस बीच पूर्व मंत्री मुकेश सहनी की विकासशील इंसान पार्टी ने मांग की है कि सरकार कुछ ऐसी व्यवस्था भी करें, जिससे जातीय जनगणना भी हो जाए और जनता पर अधिक भार भी नहीं पड़े. वीआईपी प्रवक्ता देव ज्योति (VIP spokesperson Dev Jyoti) ने कहा कि तमाम सांसद, विधायक और विधान पार्षद के फंड से भी एक निश्चित राशि इसमें इस्तेमाल किया जाए.

ये भी पढ़ें- फरवरी 2023 तक पूरी होगी जाति आधारित जनगणना, 500 करोड़ खर्च का अनुमान: मुख्य सचिव

जाति आधारित गणना के लिए फंड: देव ज्योति ने कहा कि उनकी पार्टी जातीय जनगणना के पक्ष में हमेशा से ही रही है. पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुकेश सहनी पहले ही इस बात की भी घोषणा कर चुके हैं कि अगर राज्य सरकार अपने बूते जातीय जनगणना करना चाहती है तो वह पार्टी फंड से पांच करोड़ रुपए देने को तैयार हैं. उन्होंने कहा कि शुरुआती दौर में जातीय जनगणना कराने पर सरकार के ऊपर 500 करोड़ का खर्च आएगा, जिसे बढ़कर दो हजार करोड़ रुपए हो जाने का अनुमान है. ऐसे में सरकार के राजकोष के ऊपर भारी-भरकम दबाव बन सकता है. लिहाजा राज्य सरकार चाहे तो इसके लिए कुछ और उपाय भी कर सकती है.

निषाद आरक्षण की मांग: वीआईपी प्रवक्ता ने सलाह देते हुए कहा कि राज्य सरकार को कुछ ऐसी पहल भी करनी चाहिए ताकि तमाम एमपी, विधानसभा सदस्य, विधान पार्षद के फंड से भी एक निश्चित राशि जातीय जनगणना कराने के लिए राज्य सरकार उपयोग करें. इससे एक तरफ सरकार के पास फंड एकत्र होगा, वहीं दूसरी तरफ आम जनता पर भी दबाव कम पड़ेगा. देव ज्योति ने यह भी कहा कि सीएम नीतीश कुमार द्वारा निषाद आरक्षण को लेकर पूर्व अग्रसारित किए गए प्रस्ताव पर केंद्र सरकार ने अभी तक कोई फैसला नहीं किया है. उन्होंने केंद्र सरकार से आग्रह किया कि निषाद आरक्षण पर केंद्र सरकार राज्य सरकार द्वारा अग्रसारित किए गए प्रस्ताव पर जल्द से जल्द निर्णय लें.

2023 तक जातीय जनगणना को पूरा करने का लक्ष्य: गौरतलब है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) की अध्यक्षता में कैबिनेट की बैठक आयोजित हुई थी. जिसमें बिहार में जातीय जनगणना की स्वीकृति दे दी गई थी. बैठक में फरवरी, 2023 तक जाति आधारित गणना पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है और इस पर 500 करोड़ रुपए खर्च होने का अनुमान लगाया गया है. एक जून को मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में जाति आधारित जनगणना के लिए सर्वदलीय बैठक हुई थी. जिसमें सबकी सहमति बनी थी और उसके बाद ही कैबिनेट की बैठक में इस प्रस्ताव पारित किया गया.

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पटना: बिहार सरकार की ओर से प्रदेश में जाति आधारित गणना (Caste Based Survey) कराने की घोषणा हो चुकी है. इसके लिए कैबिनेट ने 500 करोड़ की राशि को मंजूरी भी दे दी है. इस बीच पूर्व मंत्री मुकेश सहनी की विकासशील इंसान पार्टी ने मांग की है कि सरकार कुछ ऐसी व्यवस्था भी करें, जिससे जातीय जनगणना भी हो जाए और जनता पर अधिक भार भी नहीं पड़े. वीआईपी प्रवक्ता देव ज्योति (VIP spokesperson Dev Jyoti) ने कहा कि तमाम सांसद, विधायक और विधान पार्षद के फंड से भी एक निश्चित राशि इसमें इस्तेमाल किया जाए.

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जाति आधारित गणना के लिए फंड: देव ज्योति ने कहा कि उनकी पार्टी जातीय जनगणना के पक्ष में हमेशा से ही रही है. पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुकेश सहनी पहले ही इस बात की भी घोषणा कर चुके हैं कि अगर राज्य सरकार अपने बूते जातीय जनगणना करना चाहती है तो वह पार्टी फंड से पांच करोड़ रुपए देने को तैयार हैं. उन्होंने कहा कि शुरुआती दौर में जातीय जनगणना कराने पर सरकार के ऊपर 500 करोड़ का खर्च आएगा, जिसे बढ़कर दो हजार करोड़ रुपए हो जाने का अनुमान है. ऐसे में सरकार के राजकोष के ऊपर भारी-भरकम दबाव बन सकता है. लिहाजा राज्य सरकार चाहे तो इसके लिए कुछ और उपाय भी कर सकती है.

निषाद आरक्षण की मांग: वीआईपी प्रवक्ता ने सलाह देते हुए कहा कि राज्य सरकार को कुछ ऐसी पहल भी करनी चाहिए ताकि तमाम एमपी, विधानसभा सदस्य, विधान पार्षद के फंड से भी एक निश्चित राशि जातीय जनगणना कराने के लिए राज्य सरकार उपयोग करें. इससे एक तरफ सरकार के पास फंड एकत्र होगा, वहीं दूसरी तरफ आम जनता पर भी दबाव कम पड़ेगा. देव ज्योति ने यह भी कहा कि सीएम नीतीश कुमार द्वारा निषाद आरक्षण को लेकर पूर्व अग्रसारित किए गए प्रस्ताव पर केंद्र सरकार ने अभी तक कोई फैसला नहीं किया है. उन्होंने केंद्र सरकार से आग्रह किया कि निषाद आरक्षण पर केंद्र सरकार राज्य सरकार द्वारा अग्रसारित किए गए प्रस्ताव पर जल्द से जल्द निर्णय लें.

2023 तक जातीय जनगणना को पूरा करने का लक्ष्य: गौरतलब है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) की अध्यक्षता में कैबिनेट की बैठक आयोजित हुई थी. जिसमें बिहार में जातीय जनगणना की स्वीकृति दे दी गई थी. बैठक में फरवरी, 2023 तक जाति आधारित गणना पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है और इस पर 500 करोड़ रुपए खर्च होने का अनुमान लगाया गया है. एक जून को मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में जाति आधारित जनगणना के लिए सर्वदलीय बैठक हुई थी. जिसमें सबकी सहमति बनी थी और उसके बाद ही कैबिनेट की बैठक में इस प्रस्ताव पारित किया गया.

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