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अपने चहेते शिक्षक के लिए फूट-फूट कर रोया पूरा गांव, शाही अंदाज में दी विदाई

शिक्षक की विदाई समारोह में स्कूल के बच्चों के साथ-साथ पूरा गांव बिखल-बिखल कर रो पड़ा. आशीष डंगवाल एक ऐसे शिक्षक हैं, जिन्होंने अपने कर्मों से पूरे स्कूल और गांव के लोगों की आंखों को नम कर दिया.

विदाई में रोते ग्रामीण
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Published : Aug 26, 2019, 2:44 PM IST

उत्तरकाशी/पटना: जब शिक्षक अच्छे हो तो उनकी विदाई पर छात्र-छात्राओं को रोना लाजिमी है. ऐसा ही केलशु घाटी के राजकीय इंटर कॉलेज भंकोली में हुआ. जहां 3 सालों से कार्यरत सहायक अध्यापक आशीष डंगवाल की विदाई पर छात्र-छात्राएं अपने आंसू नहीं रोक पाए. डंगवाल एक ऐसे शिक्षक हैं. जिन्होंने अपने कर्मों से पूरे स्कूल और गांव के लोगों की आंखों को नम कर दिया.

सहायक अध्यापक आशीष डंगवाल बुधवार को राजकीय इंटर कॉलेज पहुंचे. उन्होंने बताया कि उनका ट्रांसफर किसी दूसरे जगह हो गया है. अब उन्हें गांव छोड़ कर जाना पड़ेगा. यह खबर सुनते ही भंकोली गांव के ग्रामीणों और राजकीय इंटर कॉलेज के छात्र-छात्राएं रोने लगे. सभी आंखों में आंसू आ गए.

उत्तरकाशी
विदाई के समय भावुक शिक्षक

क्या कहते हैं सहयोगी शिक्षक

राजकीय इंटर कॉलेज भंकोली के शिक्षक शम्भू नौटियाल ने बताया कि रुद्रप्रयाग निवासी आशीष डंगवाल एक अच्छे इंसान हैं. उनकी तीन साल पहले राजकीय इंटर कॉलेज भंकोली में सहायक अध्यापक के रूप में तैनाती हुई थी. घर से दूर आशीष ने भंकोली गांव में ही एक कमरा किराए पर लिया. आशीष मिलनसार और व्यवहारिक व्यक्ति हैं. वह गांव के हर घर के सुख-दुख में शामिल होते थे. इसलिए ग्रामीण आशीष के गांव छोड़ के जाने की बात पर दुखी हो गए. जिस कारण डंगवाल की विदाई पर हर ग्रामीण की आंखों में आंसू थे.

उत्तरकाशी
शाही अंदाज में दी विदाई

गांव की महिलाओं ने की तारीफ

भंकोली गांव की ममता रावत ने बताया कि जब भी गांव में किसी को कोई परेशानी होती थी. शिक्षक आशीष डंगवाल तत्परता के साथ हर एक ग्रामीण के साथ खड़े रहते थे. आशीष गांव के हर घर के सदस्य बन गए थे. कोई भी शिक्षक गांव में ही रहता हो और लोगों के सुख-दुख में शामिल हो यह पुरानी पंरपरा हो गयी है. लेकिन आशीष ने वर्षों पुरानी इस परंपरा को जीवित कर किया. शायद यही कारण था कि ग्रामीण आशीष की विदाई पर रो रहे थे. स्थानीय लोगों ने आशीष को ढोल नगाड़े के साथ विदा किया.

उत्तरकाशी/पटना: जब शिक्षक अच्छे हो तो उनकी विदाई पर छात्र-छात्राओं को रोना लाजिमी है. ऐसा ही केलशु घाटी के राजकीय इंटर कॉलेज भंकोली में हुआ. जहां 3 सालों से कार्यरत सहायक अध्यापक आशीष डंगवाल की विदाई पर छात्र-छात्राएं अपने आंसू नहीं रोक पाए. डंगवाल एक ऐसे शिक्षक हैं. जिन्होंने अपने कर्मों से पूरे स्कूल और गांव के लोगों की आंखों को नम कर दिया.

सहायक अध्यापक आशीष डंगवाल बुधवार को राजकीय इंटर कॉलेज पहुंचे. उन्होंने बताया कि उनका ट्रांसफर किसी दूसरे जगह हो गया है. अब उन्हें गांव छोड़ कर जाना पड़ेगा. यह खबर सुनते ही भंकोली गांव के ग्रामीणों और राजकीय इंटर कॉलेज के छात्र-छात्राएं रोने लगे. सभी आंखों में आंसू आ गए.

उत्तरकाशी
विदाई के समय भावुक शिक्षक

क्या कहते हैं सहयोगी शिक्षक

राजकीय इंटर कॉलेज भंकोली के शिक्षक शम्भू नौटियाल ने बताया कि रुद्रप्रयाग निवासी आशीष डंगवाल एक अच्छे इंसान हैं. उनकी तीन साल पहले राजकीय इंटर कॉलेज भंकोली में सहायक अध्यापक के रूप में तैनाती हुई थी. घर से दूर आशीष ने भंकोली गांव में ही एक कमरा किराए पर लिया. आशीष मिलनसार और व्यवहारिक व्यक्ति हैं. वह गांव के हर घर के सुख-दुख में शामिल होते थे. इसलिए ग्रामीण आशीष के गांव छोड़ के जाने की बात पर दुखी हो गए. जिस कारण डंगवाल की विदाई पर हर ग्रामीण की आंखों में आंसू थे.

उत्तरकाशी
शाही अंदाज में दी विदाई

गांव की महिलाओं ने की तारीफ

भंकोली गांव की ममता रावत ने बताया कि जब भी गांव में किसी को कोई परेशानी होती थी. शिक्षक आशीष डंगवाल तत्परता के साथ हर एक ग्रामीण के साथ खड़े रहते थे. आशीष गांव के हर घर के सदस्य बन गए थे. कोई भी शिक्षक गांव में ही रहता हो और लोगों के सुख-दुख में शामिल हो यह पुरानी पंरपरा हो गयी है. लेकिन आशीष ने वर्षों पुरानी इस परंपरा को जीवित कर किया. शायद यही कारण था कि ग्रामीण आशीष की विदाई पर रो रहे थे. स्थानीय लोगों ने आशीष को ढोल नगाड़े के साथ विदा किया.

Intro:केलशु घाटी के राजकीय इंटर कॉलेज भंकोली में 3 वर्षों से कार्यरत सहायक अध्यापक आशीष डंगवाल ने बताया कि वह प्रवक्ता बन गए हैं। अब उनको जाना होगा। तो उनकी विदाई पर पूरा गांव अपने आंसू नहीं रोक पाया। उत्तरकाशी। रुद्रप्रयाग निवासी सहायक अध्यापक आशीष डंगवाल ने बुधवार को भंकोली गांव के ग्रामीणों और राजकीय इंटर कॉलेज के छात्र-छात्राओं को बताया कि उनका चयन प्रवक्ता पद के लिए टिहरी जिले के गड़खेत में हो गया है अब उन्हें गांव छोड़ कर जाना पड़ेगा। तो पूरा गांव रो पड़ा। बच्चा हो या महिलाएं कोई भी अपने आंसू नहीं रोक पाया। गांव की महिलाओं ने आशीष को आशीष देकर विदा किया। तो आशीष ने भी यह कहकर विदा लिया कि मेरा दूसरा घर भंकोली है। जब भी मौका मिलेगा। तो वह अपने इस परिवार के बीच जरूर लौटेंगे। Body:वीओ-1, राजकीय इंटर कॉलेज भंकोली के शिक्षक शम्भू नौटियाल ने बताया कि रुद्रप्रयाग निवासी आशीष डंगवाल की तीन वर्ष पूर्व राजकीय इंटर कॉलेज भंकोली में सहायक अध्यापक के रूप में तैनाती हुई थी। घर से दूर आशीष ने भंकोली गांव में ही एक घर मे कमरा किराए पर लिया। आशीष का मिलनसार और मदद करने का व्यवहार था। वह गांव के हर घर के सुख- दुख में शामिल होता था। इसलिए ग्रामीण आशीष के गांव छोड़ के जाने की बात पर दुखी हो उठे। जिस कारण डंगवाल की विदाई पर हर ग्रामीण की आंखों में आंसू थे। Conclusion:वीओ-2, भंकोली गांव की ममता रावत ने बताया कि जब भी गांव में किसी को कोई परेशानी होती थी। तो शिक्षक आशीष डंगवाल ततपरता के साथ हर एक ग्रामीण के साथ खड़े रहते थे। कहा कि आशीष गांव के हर घर के सदस्य बन गए थे। यह बातें अब पुरानी हो चुकी थी कि कोई शिक्षक गांव में ही रहता हो। लेकिन आशीष ने वर्षों पुरानी इस परंपरा को जीवित किया और हर ग्रामीण के दिलों पर आशीष ने राज किया। शायद यही कारण था कि हर ग्रामीण आशीष की विदाई पर रो रहा था। तो वहीं आशीष को ढोल दमाऊ के साथ विदाई दी गई।
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