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गायघाट बालिका गृह: पीड़िता ने हाईकोर्ट में दाखिल की इंटरवेनर एप्‍लीकेशन, कहा- उसकी बातों को भी सुना जाए - महिला विकास मंच

पीड़िता ने पटना हाईकोर्ट (Patna High Court) में इंटरवेनर एप्‍लीकेशन (Intervener Application) दाखिल कर मांग की है कि मामले में उसकी बात भी सुनी जाए. वहीं दूसरी ओर अधिवक्ता मणि भूषण प्रताप सेंगर ने पूरे मामले की जांच सीबीआई से कराने की मांग करते हुए भारत के चीफ जस्टिस को पत्र लिखा है.

पटना हाईकोर्ट में इंटरवेनर एप्‍लीकेशन दाखिल
पटना हाईकोर्ट में इंटरवेनर एप्‍लीकेशन दाखिल
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Published : Feb 5, 2022, 6:34 PM IST

पटना: गायघाट बालिका गृह (Gaighat Shelter Home) की पीड़िता की ओर से पटना हाईकोर्ट (Patna High Court) में इंटरवेनर एप्‍लीकेशन (Intervener Application) दाखिल किया गया है. वकील मीनू कुमारी (Lawyer Meenu Kumari) ने बताया कि इस मामले में महिला विकास मंच (Mahila Vikas Manch) की ओर से भी इंटरवेनर एप्‍लीकेशन उच्च न्यायालय में दायक किया जाएगा.

ये भी पढ़ें: गायघाट बालिका गृह मामला: वकील मीनू कुमारी का दावा- 2 बांग्लादेशी समेत 5 लड़कियां अभी भी लापता

पीड़िता ने में इंटरवेनर एप्‍लीकेशन दाखिल कर कोर्ट से कहा है कि उसकी बातों को भी सुना जाए. हालांकि मामला सामने आने के बाद पटना हाईकोर्ट ने इसमें स्वत: संज्ञात लिया है. राज्य सरकार से 7 फरवरी 2022 तक पूरी स्थिति का ब्यौरा तलब किया है. साथ ही कोर्ट ने समाज कल्याण विभाग के अपर प्रधान सचिव को पार्टी बना, उन्हें अपने स्तर से जांच करने का निर्देश दिया है.

आपको बता दें कि अधिवक्ता मणि भूषण प्रताप सेंगर ने पूरे मामले की जांच सीबीआई से कराने की मांंग करते हुए भारत के चीफ जस्टिस को पत्र लिखा है. उन्होंने भारत के प्रधानमंत्री, गृह मंत्री और बिहार के मुख्यमंत्री को भी पत्र लिखा है. उन्होंने लिखा कि, यह बहुत ही दुःख और आश्चर्य की बात है कि जिन पीड़ित महिलाओं और लड़कियों की सुरक्षा के लिए उत्तर रक्षा गृह बना है, वहींं वे सुरक्षित नहीं हैं. वहां न तो उन्हें बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध हैं और न कोई सुरक्षा ही मुहैया कराई गई है. इससे भी आश्चर्यजनक यह है कि समाज कल्याण विभाग के निदेशक ने उत्तर रक्षा गृह में लगे सीसीटीवी के फुटेज की जांच की और इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि पीडितों ने आधारहीन और झूठा आरोप लगाया है.

अधिवक्ता ने अपने पत्र में लिखा कि इस तरह की घटनाएं बहुत ही चिंताजनक है. विशेषकर इस प्रकार की महिलाओं की सुरक्षा के लिए बनाए गए सरकारी संस्थानों में इस तरह मानवता के खिलाफ दुष्कृत्यों के विरुद्ध अगर सख्त कार्रवाई नहीं हुई तो ये संविधान के साथ खिलवाड़ माना जाएगा. उन्होंने 2018 में मुजफ्फरपुर बालिका गृह में हुई इसी प्रकार की घटना का जिक्र अपने पत्र में किया हैं. ये घटनाएं मानवता और सरकार के लिए बेहद शर्मनाक हैं. उन्होंने अपने पत्र में इस बात पर आश्चर्य व्यक्त किया कि, पीडितों द्वारा इन खुलासों के बाद भी अब तक कोई एफआईआर दर्ज नहीं की गई है. इन महिलाओं और लड़कियों को खाने और बिस्तर जैसी बुनियादी सुविधाएं भी उपलब्ध नहीं कराई जाती थी. साथ ही उनका शोषण किया जा रहा था.

ये भी पढ़ें- गायघाट शेल्टर होम कांड: समाज कल्याण विभाग के दफ्तर में पीड़िता का बयान दर्ज

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पटना: गायघाट बालिका गृह (Gaighat Shelter Home) की पीड़िता की ओर से पटना हाईकोर्ट (Patna High Court) में इंटरवेनर एप्‍लीकेशन (Intervener Application) दाखिल किया गया है. वकील मीनू कुमारी (Lawyer Meenu Kumari) ने बताया कि इस मामले में महिला विकास मंच (Mahila Vikas Manch) की ओर से भी इंटरवेनर एप्‍लीकेशन उच्च न्यायालय में दायक किया जाएगा.

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पीड़िता ने में इंटरवेनर एप्‍लीकेशन दाखिल कर कोर्ट से कहा है कि उसकी बातों को भी सुना जाए. हालांकि मामला सामने आने के बाद पटना हाईकोर्ट ने इसमें स्वत: संज्ञात लिया है. राज्य सरकार से 7 फरवरी 2022 तक पूरी स्थिति का ब्यौरा तलब किया है. साथ ही कोर्ट ने समाज कल्याण विभाग के अपर प्रधान सचिव को पार्टी बना, उन्हें अपने स्तर से जांच करने का निर्देश दिया है.

आपको बता दें कि अधिवक्ता मणि भूषण प्रताप सेंगर ने पूरे मामले की जांच सीबीआई से कराने की मांंग करते हुए भारत के चीफ जस्टिस को पत्र लिखा है. उन्होंने भारत के प्रधानमंत्री, गृह मंत्री और बिहार के मुख्यमंत्री को भी पत्र लिखा है. उन्होंने लिखा कि, यह बहुत ही दुःख और आश्चर्य की बात है कि जिन पीड़ित महिलाओं और लड़कियों की सुरक्षा के लिए उत्तर रक्षा गृह बना है, वहींं वे सुरक्षित नहीं हैं. वहां न तो उन्हें बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध हैं और न कोई सुरक्षा ही मुहैया कराई गई है. इससे भी आश्चर्यजनक यह है कि समाज कल्याण विभाग के निदेशक ने उत्तर रक्षा गृह में लगे सीसीटीवी के फुटेज की जांच की और इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि पीडितों ने आधारहीन और झूठा आरोप लगाया है.

अधिवक्ता ने अपने पत्र में लिखा कि इस तरह की घटनाएं बहुत ही चिंताजनक है. विशेषकर इस प्रकार की महिलाओं की सुरक्षा के लिए बनाए गए सरकारी संस्थानों में इस तरह मानवता के खिलाफ दुष्कृत्यों के विरुद्ध अगर सख्त कार्रवाई नहीं हुई तो ये संविधान के साथ खिलवाड़ माना जाएगा. उन्होंने 2018 में मुजफ्फरपुर बालिका गृह में हुई इसी प्रकार की घटना का जिक्र अपने पत्र में किया हैं. ये घटनाएं मानवता और सरकार के लिए बेहद शर्मनाक हैं. उन्होंने अपने पत्र में इस बात पर आश्चर्य व्यक्त किया कि, पीडितों द्वारा इन खुलासों के बाद भी अब तक कोई एफआईआर दर्ज नहीं की गई है. इन महिलाओं और लड़कियों को खाने और बिस्तर जैसी बुनियादी सुविधाएं भी उपलब्ध नहीं कराई जाती थी. साथ ही उनका शोषण किया जा रहा था.

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