पटना: बिहार में बढ़ रहे गलघोंटू बीमारी की वजह से कई पशुओं की जान जा रही है. जिले भर से मौक की खबर सामने आ रही है. ऐसे में इस पर रोकथाम लगाने के लिए राजधानी पटना में वैक्सीन महाअभियान शुरू किया गया है. यह अभियान 15 दिसंबर तक चलेगा.
शिपिंग फीवर या ट्रांसपोर्ट फीवर भी कहते: चिकित्सकों की मानें तो गलघोटू बीमारी से ग्रसित पशुओं को समय रहते उपचार न मिले तो उसकी मौत निश्चित है. गलघोटू बीमारी पाश्चररूला माल्टोसेड़ा नामक जीवाणु से होती है. यह बीमारी गाय और भैंस में पशु पर पड़ने वाले दबाव के समय ज्यादा फैलती हैं. इसलिए इस बीमारी का नाम शिपिंग फीवर या ट्रांसपोर्ट फीवर भी कहते हैं. जब वातावरण बदलता है तो पशु पर दबाव की वजह से टोंसिल और नाक में रहने वाले यह जीवाणु सक्रिय हो जाते हैं. इससे पशु लड़ने में सक्षम नहीं रहता है और इनकी मौत हो जाती है.
पशुओं के नजदीक जाने से होती बीमारी: वहीं, कई चिकित्सक की मानें तो यह बीमारी छूत की बीमारी है. जब गलघोटू से ग्रसित कोई भी पशु जोन में बांधा जाता है तो यह बीमारी अन्य स्वस्थ पशुओं में सांस द्वारा, बचा हुआ झूठा चारा खाने से, बीमार पशु के नजदीक आने से, बीमार पशु के मुंह से पढ़ने वाली लार से या गांव के जौहर में बीमार पशु के जाने से फैलने की ज्यादा संभावना होती है. ऐसे में पटना जिला पशुपालन विभाग द्वारा वैक्सीन अभियान की शुरुआत कर दी गई है. सभी वैक्सीनेटर को विभिन्न पंचायत में उन्हें युद्धस्तर पर पशुओं को टीका देने के लिए टीकाकरण की शुरुआत कर दी गई है.
"धनरूआ प्रखंड में कुल 19 पंचायत हैं. सभी पंचायत के लिए टीम बनाकर टीकाकरण अभियान की शुरुआत कर दी गई है. डॉ धनंजय कुमार, डॉ रेनू सिंह को तैनात किया गया है. वहीं, वैक्सीनेटर में विनीत कुमार ओझा, विकास कुमार, सुधांशु कुमार, ओम प्रकाश आदी शामिल है. गलघोटू और लंगडी बीमारी के खिलाफ 15 दिसंबर तक गांव में डोर टू डोर पशुपालकों के यहां टीकाकरण अभियान चलाया जाएगा." -डॉ सचदेव, जिला पशुपालन पदाधिकारी.
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