पटना: दिल्ली में पूर्व केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान (Former Union Minister Ram Vilas Paswan) के नाम आवंटित 12 जनपथ स्थित सरकारी आवास (12 Janpath Bungalow) खाली कराने के बाद से एक बार फिर से चाचा-भतीजे के बीच जुबानी जंग तेज हो गई है. पहले एलजेपीआर अध्यक्ष चिराग पासवान (LJPR President Chirag Paswan) ने आरोप लगाया कि जिस तरह से मेरे पिता की फोटो को बंगले से फेंका गया और पैरों के नीचे कुचल दिया गया, उस पर चाचा (पारस) चुप रहे. अब केंद्रीय मंत्री पशुपति पारस (Union Minister Pashupati Paras) ने भतीजे पर पलटवार किया है. उन्होंने कहा कि फोटो को फेंककर वास्तव में चिराग पॉलिटिकल माइलेज लेने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन जनता असलियत देख भी रही है और समझ भी रही है.
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पॉलिटिकल माइलेज लेने का प्रयास: पशुपति पारस ने वैशाली में पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए आरोप लगाया कि 12 जनपद खाली करने के दौरान चिराग पासवान ने जानबूझकर बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर, पीएम नरेंद्र मोदी और रामविलास पासवान की फोटो को फेंककर पॉलिटिकल माइलेज लेने का प्रयास किया है. उन्होंने कहा कि सारे बहुमूल्य सामान मां-बेटे पहले ही ले जा चुके थे. अंबेडकर, पीएम मोदी और रामविलास पासवान की पुरानी तस्वीरों को वहां छोड़ दिया ताकि मीडिया के जरिए लोगों तक संदेश जाए और उनको पॉलिटिकल माइलेज मिल जाए.
'चिराग से ज्यादा सेवा मैंने की': पारस ने आगे कहा कि कभी भी चिराग पासवान और उनकी मां ने राम विलास पासवान का पैर नहीं दबाया लेकिन मैं रोज उनका पैर दबाता था. खाना खिलाता था. जूठे बर्तन धोता था. आज भी उनकी तस्वीर की पूजा किए बगैर मैं खाना नहीं खाता हूं. हाजीपुर स्थित घर के बारे में पशुपति पारस ने कहा कि वह घर रामविलास पासवान ने खरीदा था जिसे मैंने बनवाया. विवाद हुआ तो चाबी चिराग को दे दी. उन्होंने कहा कि जहां तक 2024 में हाजीपुर से चिराग के चुनाव लड़ने की बात है तो आखिर कोई तो मेरे खिलाफ चुनाव लड़ेगा ही, चिराग पासवान ही लड़ लें. असली मालिक तो जनता होती है.
'पिता की तस्वीरों को रास्ते पर फेंका': दरअसल, चिराग पासवान ने कहा था कि मुझे बंगले में रहना होता तो संघर्ष का रास्ता नहीं चुनता. मुझे बंगला तो खाली करना ही था लेकिन केंद्र सरकार ने घर खाली कराने का जो तरीका अपनाया वो गलत है. मेरे पिता रामविलास पासवान की तस्वीरों को रास्ते पर फेंक दिया गया, जो दुखद है. उन्होंने कहा- 'मेरे चाचा खुद को मेरे पिता रामविलास पासवान जी का उत्तराधिकारी कहते हैं लेकिन जिस तरह से मेरे पिता की फोटो को बंगले से फेंका गया और पैरों के नीचे कुचल दिया गया, उस पर वह चुप रहे.'
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32 साल तक रहा पासवान परिवार: आपको बता दें कि रामविलास पासवान और उनका परिवार 12 जनपथ में लगातार 32 वर्ष तक रहे थे. उनके निधन के एक साल से अधिक वक्त के बाद सरकार ने आखिर खाली करा लिया है. चिराग पासवान को यह बंगला पसंद था और वे चाहते थे कि इसे उनके पिता के नाम पर स्मारक बना दिया जाए. उन्होंने बंगले में अपने पिता की एक प्रतिमा भी लगवा दी थी. रामविलास पासवान पहली बार 1977 में बिहार के हाजीपुर से जनता पार्टी के टिकट पर लोकसभा के लिए चुने गए थे. अक्टूबर 2020 में रामविलास पासवान के निधन के बाद पिछले साल अगस्त में केंद्रीय रेल और आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव को बंगला आवंटित किया गया था. वहीं, चिराग पासवान को पहले ही सांसदों के लिए आरक्षित फ्लैट आवंटित किया जा चुका है.
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