पटना/नई दिल्ली: बिहार के मुजफ्फरपुर में 57 बच्चों की मौत पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने कहा है कि, 'केंद्र से डॉक्टरों की एक टीम ने अस्पतालों का दौरा किया और वहां सरकार से सलाह-मशविरा कर रही है. मैंने बिहार के स्वास्थ्य मंत्री के साथ दो बैठकें की हैं और उन्हें हर संभव सहायता देने का आश्वासन दिया है.'
बता दें कि सरकारी आंकड़ों की माने तो चमकी बुखार से जिले में 57 बच्चों की मौत हो गई. हालात इतने खराब हैं कि अस्पताल के दोनों पीआईसीयू यूनिट भरे हुए हैं. बुखार से पीड़ित बच्चों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. ये मौतें जिले के दो अस्पताल एसकेएससीएच और केजरीवाल अस्पताल में हुई हैं. बुखार से पीड़ित बच्चों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है
मौत का कारण दिमागी बुखार नहीं
हालांकि, राज्य सरकार मौत का कारण दिमागी बुखार नहीं बता रही है. सरकार का कहना है कि अधिकतर मौत का कारण हाईपोग्लाइसीमिया है, यानी लो ब्लड शुगर. वहीं विशेषज्ञों का कहना है कि हाईपोग्लाइसीमिया इस बुखार का ही एक भाग है. शैलेश कुमार ने बताया कि बीमार बच्चों में से अधिकांश हाइपोग्लाइसीमिया (रक्त में चीनी की कमी) से ग्रसित हैं. वहीं, डॉक्टरों का भी मानना है कि बच्चे में अचानक शुगर और सोडियम की कमी से ऐसा होता है. अचानक तेज बुखार के साथ चमकी आने लगती है.
एक्शन प्लान पर नहीं हुआ अमल
2014 में भी मस्तिष्क ज्वर का प्रकोप बढ़ने के बाद केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने मुजफ्फरपुर का दौरा किया था. जिसके बाद स्वास्थ्य मंत्री ने अस्पताल का दौरा कर बिहार के प्रधान सचिव, बिहार के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे और अन्य लोगों के साथ बैठक कर पांच वर्षीय एक्शन प्लान की मंजूरी दी थी. जिसमें विशेष वॉर्ड बनाने, बीमारी की जांच के लिए विशेष सर्विलांस सिस्टम बनाने की घोषणा की गई थी. लेकिन 5 साल बीत जाने के बाद भी केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री की घोषणा सतह पर नहीं उतर सकी.
15 साल तक के बच्चे सबसे ज्यादा प्रभावित
1977 के दौरान इंसेफेलाइटिस बीमारी सामने आई थी. तब से अब तक पूरे देश में एक लाख से अधिक बच्चे इसके शिकार हो चुके हैं. सबसे अधिक पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार, बंगाल और असम इलाके के बच्चे इसके शिकार हुए हैं. वर्ष 2017 के दौरान पूर्वी उत्तरप्रदेश में 400 से अधिक बच्चों की इस बीमारी के कारण मौत हो गई थी. यह बीमारी खासकर 15 साल तक के बच्चों में होती है.
क्या हैं चमकी बुखार के लक्षण?
एईएस (एक्टूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम) और जेई (जापानी इंसेफलाइटिस) को उत्तरी बिहार में चमकी बुखार कहते हैं. इससे पीड़ित बच्चों को तेज बुखार आता है और शरीर में ऐंठन होती है. इसके बाद बच्चे बेहोश हो जाते हैं. बच्चों को उल्टी और चिड़चिड़ेपन की शिकायत भी रहती है.