पटना: बिहार (Bihar) में अवैध बालू खनन (Illegal Sand Mining) को लेकर ताबड़तोड़ कार्रवाई जारी है. अक्सर देखने को मिलता है कि किसी जिले में कोई घटना घटित होने पर वहां के डीएम, एसपी या अन्य अधिकारी पर गाज गिरती है. लेकिन, अवैध बालू खनन मामले में संलिप्त पाए जाने के बाद 2 आईपीएस अधिकारी समेत भोजपुर और औरंगाबाद के तत्कालीन एसपी को फील्ड से हटाया गया है.
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इसके साथ ही डेहरी ऑन सोन के तत्कालीन एसडीओ और एसडीपीओ को निलंबित किया गया है. वहीं औरंगाबाद, भोजपुर और पालीगंज के तत्कालीन एसडीपीओ पर भी गाज गिरी है. दरअसल, बालू के अवैध खनन में संलिप्त पाए जाने के बाद हटाए गए अफसरों पर गाज गिरनी शुरू हो गई है. 2 आईपीएस समेत 41 अफसरों पर कार्रवाई की गई थी, जिनमें से 2 आईपीएस समेत 18 अफसरों को निलंबित किया गया है. बाकी बचे अधिकारियों पर जल्द ही कार्रवाई की जाएगी.
हालांकि, इन अधिकारियों पर की गई कार्रवाई के बाद पुलिस विभाग में वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों और कर्मियों में खलबली मच गई है. उन्हें भी यह डर सताने लगा है कि उन पर कार्रवाई की जा सकती है. बालू के अवैध व्यापार में संलिप्त अधिकारियों की आय से अधिक संपत्ति की जांच भी आर्थिक अपराध इकाई की ओर से शुरू कर दी गई है. जल्द ही ठोस सबूत मिलने के बाद एक साथ कई अधिकारियों के ठिकानों पर आर्थिक अपराध इकाई की तरफ से रेड किया जाएगा.
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हालांकि, सवाल यह उठ रहा है कि अवैध बालू खनन मामले में संलिप्त पाए गए पुलिस अधिकारी समेत अन्य विभाग के अधिकारियों पर की गई कार्रवाई के बावजूद भी अवैध बालू खनन रुकने का नाम नहीं ले रहा है.
दरअसल, 42वीं बैच के बिहार पुलिस सेवा के अधिकारी से आईपीएस अधिकारी बने राकेश दुबे भोजपुर के 99वें नए एसपी के रूप में जिले की बागडोर संभाले हुए थे. महज 3 महीने के अंदर ही उन पर कार्रवाई की गई है. राकेश दुबे भोजपुर के बतौर एसपी से पहले बिहार के राज्यपाल के एडीसी के पद पर तैनात रह चुके हैं. यहां तक कि तत्कालीन राज्यपाल और वर्तमान में देश के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के एडीसी के पद पर भी रह चुके हैं.
आपको बता दें कि कुछ दिन पहले बिहार के वर्तमान राज्यपाल से उनका व्यक्तिगत संबंध इतना अच्छा है कि वह अपने घर से वापस पटना आने के दौरान आरा उनके सरकारी आवास पर उनसे मुलाकात करने भी गए थे. वह इससे पहले 6 साल तक सीबीआई में भी रहे थे. यहां तक की वो पटना में एसपी और डीएसपी की भी जिम्मेदारी संभाल चुके हैं.
राकेश दुबे मूल रूप से झारखंड के देवघर जिले के निवासी हैं. साल 2000 में वो बीपीएससी क्रैक कर बिहार पुलिस सेवा में आए थे, जिसके बाद दिसंबर 2020 में उन्हें प्रमोशन देकर आईपीएस बनाया गया था. जानकारी के अनुसार राजद शासनकाल में जब चारा घोटाला का मामला चल रहा था, तब वह बतौर दारोगा सीबीआई में पदस्थापित थे. सीबीआई में दारोगा रहने के दौरान ही उन्होंने बीपीएससी क्रैक की थी और डीएसपी बने थे.
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दरअसल, तेज तर्रार आईपीएस माने जाने वाले एसपी राकेश दुबे का भोजपुर और पुलिस विभाग दोनों से पुराना जुड़ाव रहा है. उनके पिता एसएन दुबे बिहार पुलिस में इंस्पेक्टर के पद पर रह चुके हैं. साल 1974-75 में उनके पिता की पोस्टिंग भोजपुर के सहार थाने में हुई थी. उस समय शहर में अगलगी की घटना घटित हुई थी.
आईपीएस अधिकारी राकेश दुबे के निलंबन के मामले को लेकर जब ईटीवी भारत ने उनसे टेलिफोनिक बातचीत की, तो उन्होंने विभागीय कार्रवाई चलने की वजह से ज्यादा कुछ बोलने से परहेज करते हुए कहा कि ''वो ना 3 में रहे और ना 13 में रहे. उन्होंने कहा कि बोलना हमारे लिए उचित नहीं है, अब तो हम बेकार हो गए हैं. समय आने पर ईटीवी भारत से बातचीत करेंगे.''
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बता दें कि बिहार विधानसभा में अवैध बालू खनन को लेकर विपक्ष भी जोरदार तरीके से मुद्दा उठा चुका है. इस कार्रवाई से ठीक पहले बिहार सरकार में खान एवं भूतत्व मंत्री जनक राम ने ईटीवी भारत को बताया था कि सरकार अवैध बालू खनन को लेकर गंभीर है. बालू की दरें भी तय की गई है. उन्होंने लगातार छापेमारी करने और दोषियों पर कार्रवाई की जाने की बातें भी कही थी.
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी बालू के अवैध कारोबार को लेकर बयान दे चुके हैं. हाल ही में उन्होंने कहा था कि मामले की गंभीरता से जांच की जाती है. पूरे मामले में जो भी कर्मचारी गड़बड़ी करने में संलिप्त पाए जाते हैं, उनपर कार्रवाई की जाती है.
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