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लॉकडाउन के दौरान किन्नरों की आर्थिक हालत खराब, सरकार से मदद की आस

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Published : May 19, 2020, 9:51 PM IST

Updated : May 20, 2020, 10:33 AM IST

किन्नरों का कहना है कि हम लोग किसी भी घर में खुशियों की आाहट पाते ही बधाइयां देने पहुंच जाते थे. बच्चे का जन्म हो, शादी-विवाह, गृह प्रवेश या कोई भी अन्य शुभ कार्य हमारी उपस्थिति शुभ और अनिवार्य मानी जाती है. अपनी बेबसी बताते हुए ये कहती हैं कि हमारा गुजारा लोगों की खुशियों में नाच-गाकर मिलने वाले पैसे से चलता है, जो कि लॉकडाउन के समय पूरी तरह ठप है.

पटना
पटना

पटना: कोरोना महामारी के संभावित खतरों के मद्देनजर देशभर में राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन लागू है. इस दौरान लोगों की तमाम परेशानियां देखने को मिलीं. इसी क्रम में लॉकडाउन की अवधि बढ़ने से किन्नर समाज को भी काफी परेशानी में है. उनकी आर्थिक हालात बहुत खराब हो गई है. इस संकट की घड़ी में किन्नर समाज खुद को उपेक्षित महसूस कर रहा है. इस समय सरकार, जिला प्रशासन और स्थानीय जनप्रतिनिधियों की ओर से कोई भी उनका सुध लेने के लिए आगे नहीं आ रहा है.

पटना
रागिनी किन्नर

किन्नरों का कहना है कि हम लोग किसी भी घर में खुशियों की आाहट पाते ही बधाइयां देने पहुंच जाते थे. बच्चे का जन्म हो, शादी-विवाह, गृह प्रवेश या कोई भी अन्य शुभ कार्य हमारी उपस्थिति शुभ और अनिवार्य मानी जाती है. वहीं, आज यह स्थिति है कि हम लोग अब कहीं जा भी नहीं पा रहे हैं. अपनी बेबसी बताते हुए ये कहती हैं कि हमारा गुजारा लोगों की खुशियों में नाच-गाकर मिलने वाले पैसे से चलता है, जो कि लॉकडाउन के समय पूरी तरह ठप है. कुछ समय तक तो जैसे-तैसे गुजारा कर लिया लेकिन अब दाने-दाने को मोहताज होना पड़ रहा है.

पटना
रजनी किन्नर

मिल रही है घर खाली करने की धमकी
ट्रांसजेंडर समुदाय रोज का कमाने-खाने वाले लोग हैं. किराये के मकान में रहने वाले किन्नरों के लिए सबसे बड़ी परेशानी यह है कि दो महीनों से उनकी कमाई का कोई दूसरा जरिया नहीं है. लेकिन मकान मालिक किराया मांग रहा है, साथ ही न दे पाने पर घर खाली करने की धमकी भी. कुछ ऐसा ही हाल है मीठापुर की एक बस्ती में रहने वाली एक हाथ से अपाहिज रागिनी किन्नर की. उन्होंने बताया कि वह किराए के मकान में रहती हैं. यहां पर हमलोग कुल 12 से 14 की संख्या में रहते हैं. हमारे कई साथी परिचित दोस्तों के यहां फंसे हुए हैं, तो कई गांव चले गए हैं.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

लॉकडाउन में राशन भी मुहाल
रागिनी आगे बताती हैं कि अभी मकान में हम चार किन्नर मौजूद हैं. लॉकडाउन के कारण हालात बहुत खराब हो गए हैं. कई महीनों से हमलोग मकान का किराया भी नहीं दे पाये हैं. जिस कारण मकान मालिक रूम खाली करने की लगातार धमकी भी दे रहे हैं. उन्होंने बताया कि किन्नरों को जल्दी किराए पर मकान भी नहीं मिलता है. ऐसे में वह रोजाना मकान मालिक के हाथ-पैर जोड़कर किराया दे देने का आश्वासन देते हुए कुछ दिनों की मोहलत मांगने को मजबूर हैं. किन्नरों की सबसे बड़ी परेशानी है कि उन्हें सरकार की ओर राशन भी नहीं मिल पा रहा है.

पटना
बदहाली में किन्नर

सरकारी सुविधाएं भी नहीं मिल रही
महामारी के संकट काल में सरकार राशन कार्डधारियों को मदद पहुंचा रही है. लेकिन ट्रांसजेडर समुदाय के पास राशन कार्ड तक नहीं है. इसकी वजह यह है कि राशन कार्ड के फॉर्म में स्त्री-पुरुष के अलावा कोई विकल्प नहीं होता है. मामले में किन्नर रजनी ने बताया कि राशन कार्ड के लिए भी अप्लाई किया है. मगर अभी तक उनका राशन कार्ड नहीं बना है. सरकार की तरफ से किन्नरों को राशन और उनके खाते में एक हजार रुपये देने की बातें की गई थी. अभी तक सारे दावे खोखले साबित हो रहे हैं. उन्होंने बताया कि सरकार और प्रशासन की तरफ से हमलोगों को कोई सहायता अब तक नहीं मिली है.

पटना
भरत कौशिक, स्टेट कोऑर्डिनेटर, किन्नर अधिकार मंच

'किन्नरों की आर्थिक हालात बहुत खराब'
एसजीपीटी और किन्नरों के लिए काम करने वाली संस्था पवन के जनरल सेक्रेटरी धनंजय ने बताया कि इस समय किन्नरों की आर्थिक हालात बहुत खराब हैं. सामान्य ट्रेनों का परिचालन नहीं हो रहा है और ना ही लॉकडाउन के पीरियड में कोई मांगलिक कार्य ही हो रहा है. किन्नरों के जीविकोपार्जन का एकमात्र साधन इनके पारंपरिक कार्य ट्रेन बेगिंग और मांगलिक कार्यक्रमों में जाकर नाच-गाना करना है. यह सभी कार्यक्रम अभी बंद है. उन्होंने कहा कि सरकार की तरफ से किन्नरों को हजार रुपए और राशन देने की बात कही गई थी मगर किसी भी किन्नर को यह अब तक नहीं मिल सका है. किन्नरों के लिए अच्छी योजनाएं तो आती हैं, मगर धरातल पर नहीं उतर पाती है.

'किन्नरों को मुहैया कराया जाय आपदा राशि'
वहीं, किन्नर अधिकार मंच के स्टेट कोऑर्डिनेटर भरत कौशिक ने बताया कि शहर में कई एनजीओ लॉकडाउन के दौरान गरीबों और भूखों की मदद कर रहे हैं. मगर किन्नरों के लिए उनके जैसे एक-दो संगठन ही काम कर रहे हैं. जो किन्नरों को भोजन के लिए राशन मुहैया कराते हैं. उन्होंने बताया कि किन्नरों ने जो पैसा बचाया था, वह अब खत्म हो चुका है. अब मकान मालिक भी उन्हें परेशान करने लगे हैं. सरकार को चाहिए कि किन्नरों को कुछ आपदा राशि मुहैया कराया जाय ताकि वह अपना जीवन व्यतीत कर सके. साथ ही जिला प्रशासन को मकान मालिक से बात कर समस्या का हल निकालना चाहिए.

पटना: कोरोना महामारी के संभावित खतरों के मद्देनजर देशभर में राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन लागू है. इस दौरान लोगों की तमाम परेशानियां देखने को मिलीं. इसी क्रम में लॉकडाउन की अवधि बढ़ने से किन्नर समाज को भी काफी परेशानी में है. उनकी आर्थिक हालात बहुत खराब हो गई है. इस संकट की घड़ी में किन्नर समाज खुद को उपेक्षित महसूस कर रहा है. इस समय सरकार, जिला प्रशासन और स्थानीय जनप्रतिनिधियों की ओर से कोई भी उनका सुध लेने के लिए आगे नहीं आ रहा है.

पटना
रागिनी किन्नर

किन्नरों का कहना है कि हम लोग किसी भी घर में खुशियों की आाहट पाते ही बधाइयां देने पहुंच जाते थे. बच्चे का जन्म हो, शादी-विवाह, गृह प्रवेश या कोई भी अन्य शुभ कार्य हमारी उपस्थिति शुभ और अनिवार्य मानी जाती है. वहीं, आज यह स्थिति है कि हम लोग अब कहीं जा भी नहीं पा रहे हैं. अपनी बेबसी बताते हुए ये कहती हैं कि हमारा गुजारा लोगों की खुशियों में नाच-गाकर मिलने वाले पैसे से चलता है, जो कि लॉकडाउन के समय पूरी तरह ठप है. कुछ समय तक तो जैसे-तैसे गुजारा कर लिया लेकिन अब दाने-दाने को मोहताज होना पड़ रहा है.

पटना
रजनी किन्नर

मिल रही है घर खाली करने की धमकी
ट्रांसजेंडर समुदाय रोज का कमाने-खाने वाले लोग हैं. किराये के मकान में रहने वाले किन्नरों के लिए सबसे बड़ी परेशानी यह है कि दो महीनों से उनकी कमाई का कोई दूसरा जरिया नहीं है. लेकिन मकान मालिक किराया मांग रहा है, साथ ही न दे पाने पर घर खाली करने की धमकी भी. कुछ ऐसा ही हाल है मीठापुर की एक बस्ती में रहने वाली एक हाथ से अपाहिज रागिनी किन्नर की. उन्होंने बताया कि वह किराए के मकान में रहती हैं. यहां पर हमलोग कुल 12 से 14 की संख्या में रहते हैं. हमारे कई साथी परिचित दोस्तों के यहां फंसे हुए हैं, तो कई गांव चले गए हैं.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

लॉकडाउन में राशन भी मुहाल
रागिनी आगे बताती हैं कि अभी मकान में हम चार किन्नर मौजूद हैं. लॉकडाउन के कारण हालात बहुत खराब हो गए हैं. कई महीनों से हमलोग मकान का किराया भी नहीं दे पाये हैं. जिस कारण मकान मालिक रूम खाली करने की लगातार धमकी भी दे रहे हैं. उन्होंने बताया कि किन्नरों को जल्दी किराए पर मकान भी नहीं मिलता है. ऐसे में वह रोजाना मकान मालिक के हाथ-पैर जोड़कर किराया दे देने का आश्वासन देते हुए कुछ दिनों की मोहलत मांगने को मजबूर हैं. किन्नरों की सबसे बड़ी परेशानी है कि उन्हें सरकार की ओर राशन भी नहीं मिल पा रहा है.

पटना
बदहाली में किन्नर

सरकारी सुविधाएं भी नहीं मिल रही
महामारी के संकट काल में सरकार राशन कार्डधारियों को मदद पहुंचा रही है. लेकिन ट्रांसजेडर समुदाय के पास राशन कार्ड तक नहीं है. इसकी वजह यह है कि राशन कार्ड के फॉर्म में स्त्री-पुरुष के अलावा कोई विकल्प नहीं होता है. मामले में किन्नर रजनी ने बताया कि राशन कार्ड के लिए भी अप्लाई किया है. मगर अभी तक उनका राशन कार्ड नहीं बना है. सरकार की तरफ से किन्नरों को राशन और उनके खाते में एक हजार रुपये देने की बातें की गई थी. अभी तक सारे दावे खोखले साबित हो रहे हैं. उन्होंने बताया कि सरकार और प्रशासन की तरफ से हमलोगों को कोई सहायता अब तक नहीं मिली है.

पटना
भरत कौशिक, स्टेट कोऑर्डिनेटर, किन्नर अधिकार मंच

'किन्नरों की आर्थिक हालात बहुत खराब'
एसजीपीटी और किन्नरों के लिए काम करने वाली संस्था पवन के जनरल सेक्रेटरी धनंजय ने बताया कि इस समय किन्नरों की आर्थिक हालात बहुत खराब हैं. सामान्य ट्रेनों का परिचालन नहीं हो रहा है और ना ही लॉकडाउन के पीरियड में कोई मांगलिक कार्य ही हो रहा है. किन्नरों के जीविकोपार्जन का एकमात्र साधन इनके पारंपरिक कार्य ट्रेन बेगिंग और मांगलिक कार्यक्रमों में जाकर नाच-गाना करना है. यह सभी कार्यक्रम अभी बंद है. उन्होंने कहा कि सरकार की तरफ से किन्नरों को हजार रुपए और राशन देने की बात कही गई थी मगर किसी भी किन्नर को यह अब तक नहीं मिल सका है. किन्नरों के लिए अच्छी योजनाएं तो आती हैं, मगर धरातल पर नहीं उतर पाती है.

'किन्नरों को मुहैया कराया जाय आपदा राशि'
वहीं, किन्नर अधिकार मंच के स्टेट कोऑर्डिनेटर भरत कौशिक ने बताया कि शहर में कई एनजीओ लॉकडाउन के दौरान गरीबों और भूखों की मदद कर रहे हैं. मगर किन्नरों के लिए उनके जैसे एक-दो संगठन ही काम कर रहे हैं. जो किन्नरों को भोजन के लिए राशन मुहैया कराते हैं. उन्होंने बताया कि किन्नरों ने जो पैसा बचाया था, वह अब खत्म हो चुका है. अब मकान मालिक भी उन्हें परेशान करने लगे हैं. सरकार को चाहिए कि किन्नरों को कुछ आपदा राशि मुहैया कराया जाय ताकि वह अपना जीवन व्यतीत कर सके. साथ ही जिला प्रशासन को मकान मालिक से बात कर समस्या का हल निकालना चाहिए.

Last Updated : May 20, 2020, 10:33 AM IST
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