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इस अस्पताल में इलाज कराने से पहले सावधान! यहां टॉर्च की रोशनी में होता है ऑपरेशन - टॉर्च की रोशनी में मरीजों का इलाज

पटना के बिहटा स्थित रेफरल अस्पताल (Bihta Referral Hospital) की एक बड़ी लापरवाही सामने आई है. यहां मरीजों का इलाज मोबाइल टॉर्च की रोशनी में की जा रही है. जिससे यह साफ समझ में आ रहा है कि बिहार में अभी भी सरकारी अस्पतालों का हाल क्या है.

अस्पताल में अंधेरा
अस्पताल में अंधेरा
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Published : Aug 5, 2021, 7:21 AM IST

पटना: राज्य सरकार सरकारी अस्पताल में हर सुविधा देने की बात तो कहती है, लेकिन असलियत कुछ और ही देखने को मिलता है. यह कोई और नहीं बल्कि सरकारी अस्पतालों का हाल बता रहा है. जहां सरकारी अस्पताल मुख्यमंत्री को मुंह चिढ़ाता नजर आ रहा है. राजधानी पटना से सटे बिहटा का रेफरल अस्पताल (Referral Hospital) आज भी लालटेन युग की याद दिलाता है. यहां मरीजों का इलाज मोबाइल की रोशनी में की जाती है.

इसे भी पढ़ें: अब बिहार में सरकारी अस्पतालों के बहुरेंगे दिन, होगी चकाचक साफ-सफाई

बिहार की राजधानी पटना (Patna) से सटे बिहटा के रेफरल अस्पताल में आज भी लाइट नहीं होने के कारण मोबाइल की रोशनी में इलाज (Treatment Of Patients In Mobile Light) होता है. मरीजों के ऑपरेशन से लेकर मरहम-पट्टी तक अंधेरे में की जाती है. रोशनी तो दूर मोमबत्ती की रोशनी भी नहीं जलती है. यही कारण है कि स्वास्थकर्मी अपने मोबाइल की रोशनी में मरीजों का इलाज करते नजर आते हैं.

देखें रिपोर्ट.

ये भी पढ़ें: दाह संस्कार की हो रही थी तैयारी, तभी बच्चे का हिलने लगा हाथ-पांव, भागे-भागे 'भगवान' के पास पहुंचे परिजन

दरअसल बिहटा के सिकंदरपुर गांव के पास सड़क हादसे में घायल मरीजों को इलाज के लिए रेफरल अस्पताल में भर्ती कराया गया. जहां घायलों का इलाज मोबाइल की रोशनी में किया जा रहा था. इस मामले में जब स्वास्थयकर्मी से बात की गई तो उन्होंने बताया कि अभी कुछ देर पहले लाइट कटी है. जो व्यक्ति अस्पताल में लगे जेरनेटर को चालू करता है, वो भी अपने मनमानी तरीके से चलाता है.

इस सम्बंध में प्रखंड चिकित्सा पदाधिकारी डॉ कृष्ण कुमार से बात की गई तो उन्होंने बताया कि जेनरेटर की सुविधा राज्य सरकार ने आउट सोर्स यानी बाहरी कंपनी के जरिए कर रखी है. जो ज्ञान भारती कंपनी के माध्यम से संचालन किया जाता है. जरनेटर और मेन स्विच में जोड़ने वाला प्लग और एमसीबी खराब हो चुका है. ज्ञान भारती को कई बार लिखित शिकायत भी दी जा चुकी है. लेकिन इसके बावजूद भी इसे ठीक नहीं किया गया.

इसके साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि जिस समय मरीज का इलाज ओपीडी में चल रहा था, उस समय लाइट कटी हुई थी. इसलिए उस रूम में लाइट नहीं थी. फिलहाल स्वास्थ्य विभाग और ज्ञान भारती को पुनः शिकायत पत्र दिया गया है. जल्द से जल्द इसे ठीक करने का निर्देश भी दिया गया है.

बता दें कि बिहटा रेफरल अस्पताल 26 पंचायतों का एकमात्र बड़ा अस्पताल है. जिसमें काफी संख्या में मरीज आया करते हैं. बता दें कि इन दिनों बंध्याकरण (Sterilization) का ऑपरेशन भी अस्पताल में चल रहा है. अगर इस तरह से प्राइवेट कंपनियों की मनमानी चलती रहेगी तो आने वाले समय में मरीजों का हाल और भी बुरा हो सकता है. इस मामले में सरकार को जल्द से जल्द संज्ञान लेने की जरूरत है.

'जिस वक्त घायल मरीजों को अस्पताल में भर्ती कराया गया था उसी समय लाइट कट गई थी. अस्पताल में जो आउट सोर्सिंग के जरिए जनरेटर की सुविधा है, उसे लेकर काफी शिकायत रहती है. अस्पताल में जनरेटर ऑपरेटर की सर्विस काफी खराब है. जिससे लाइट कटने के बाद मरीजों का इलाज अंधेरे में ही करना पड़ता है. इस समस्या को लेकर प्रत्येक महीने रिपोर्ट कार्ड में लिखकर दिया जाता है कि काम अंसतोषजनक है. लेकिन फिर वही हाल देखने को मिलता है.' -डॉ कृष्ण कुमार, प्रखंड चिकित्सा पदाधिकारी, बिहटा

पटना: राज्य सरकार सरकारी अस्पताल में हर सुविधा देने की बात तो कहती है, लेकिन असलियत कुछ और ही देखने को मिलता है. यह कोई और नहीं बल्कि सरकारी अस्पतालों का हाल बता रहा है. जहां सरकारी अस्पताल मुख्यमंत्री को मुंह चिढ़ाता नजर आ रहा है. राजधानी पटना से सटे बिहटा का रेफरल अस्पताल (Referral Hospital) आज भी लालटेन युग की याद दिलाता है. यहां मरीजों का इलाज मोबाइल की रोशनी में की जाती है.

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बिहार की राजधानी पटना (Patna) से सटे बिहटा के रेफरल अस्पताल में आज भी लाइट नहीं होने के कारण मोबाइल की रोशनी में इलाज (Treatment Of Patients In Mobile Light) होता है. मरीजों के ऑपरेशन से लेकर मरहम-पट्टी तक अंधेरे में की जाती है. रोशनी तो दूर मोमबत्ती की रोशनी भी नहीं जलती है. यही कारण है कि स्वास्थकर्मी अपने मोबाइल की रोशनी में मरीजों का इलाज करते नजर आते हैं.

देखें रिपोर्ट.

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दरअसल बिहटा के सिकंदरपुर गांव के पास सड़क हादसे में घायल मरीजों को इलाज के लिए रेफरल अस्पताल में भर्ती कराया गया. जहां घायलों का इलाज मोबाइल की रोशनी में किया जा रहा था. इस मामले में जब स्वास्थयकर्मी से बात की गई तो उन्होंने बताया कि अभी कुछ देर पहले लाइट कटी है. जो व्यक्ति अस्पताल में लगे जेरनेटर को चालू करता है, वो भी अपने मनमानी तरीके से चलाता है.

इस सम्बंध में प्रखंड चिकित्सा पदाधिकारी डॉ कृष्ण कुमार से बात की गई तो उन्होंने बताया कि जेनरेटर की सुविधा राज्य सरकार ने आउट सोर्स यानी बाहरी कंपनी के जरिए कर रखी है. जो ज्ञान भारती कंपनी के माध्यम से संचालन किया जाता है. जरनेटर और मेन स्विच में जोड़ने वाला प्लग और एमसीबी खराब हो चुका है. ज्ञान भारती को कई बार लिखित शिकायत भी दी जा चुकी है. लेकिन इसके बावजूद भी इसे ठीक नहीं किया गया.

इसके साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि जिस समय मरीज का इलाज ओपीडी में चल रहा था, उस समय लाइट कटी हुई थी. इसलिए उस रूम में लाइट नहीं थी. फिलहाल स्वास्थ्य विभाग और ज्ञान भारती को पुनः शिकायत पत्र दिया गया है. जल्द से जल्द इसे ठीक करने का निर्देश भी दिया गया है.

बता दें कि बिहटा रेफरल अस्पताल 26 पंचायतों का एकमात्र बड़ा अस्पताल है. जिसमें काफी संख्या में मरीज आया करते हैं. बता दें कि इन दिनों बंध्याकरण (Sterilization) का ऑपरेशन भी अस्पताल में चल रहा है. अगर इस तरह से प्राइवेट कंपनियों की मनमानी चलती रहेगी तो आने वाले समय में मरीजों का हाल और भी बुरा हो सकता है. इस मामले में सरकार को जल्द से जल्द संज्ञान लेने की जरूरत है.

'जिस वक्त घायल मरीजों को अस्पताल में भर्ती कराया गया था उसी समय लाइट कट गई थी. अस्पताल में जो आउट सोर्सिंग के जरिए जनरेटर की सुविधा है, उसे लेकर काफी शिकायत रहती है. अस्पताल में जनरेटर ऑपरेटर की सर्विस काफी खराब है. जिससे लाइट कटने के बाद मरीजों का इलाज अंधेरे में ही करना पड़ता है. इस समस्या को लेकर प्रत्येक महीने रिपोर्ट कार्ड में लिखकर दिया जाता है कि काम अंसतोषजनक है. लेकिन फिर वही हाल देखने को मिलता है.' -डॉ कृष्ण कुमार, प्रखंड चिकित्सा पदाधिकारी, बिहटा

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