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बिहार म्यूजियम में विरासत संरक्षण के लिए प्रशिक्षण, 5 दिवसीय ट्रेनिंग में सिखाया जाएगा धरोहर बचाने का तरीका

बिहार म्यूजियम में विरासत संरक्षण के लिए सोमवार को 5 दिवसीय प्रशिक्षण की शुरुआत (Heritage Preservation Training in Patna) हो गयी. इस प्रशिक्षण के माध्यम से विभिन्न प्राकृतिक आपदाओं के समय धरोहरों के संरक्षण करने का तरीका बताया जाएगा. जिससे प्रदेश की ज्यादा सांस्कृतिक धरोहरों को संरक्षित किया जा सके.

Heritage Preservation Training in Patna
बिहार म्यूजियम में विरासत संरक्षण के लिए प्रशिक्षण
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Published : Apr 18, 2022, 10:35 PM IST

पटना: राजधानी पटना में विश्व धरोहर दिवस (World Heritage Day) के मौके पर आपदा के समय धरोहर को बचाये जाने की 5 दिवसीय ट्रेनिंग की शुरुआत सोमवार को हुई. जो राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डिजास्टर मैनेजमेंट के द्वारा संयुक्त रूप से की गयी. जिसका विषय प्रिजर्वेशन एंड कंजर्वेशन ऑफ कल्चरल हेरिटेज साइट्स फ्रॉम डिजास्टर (Preservation and Conservation of Cultural Heritage) था. ये ट्रेनिंग कार्यक्रम सोमवार से शुरू होकर 22 अप्रैल तक चलेगा.

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भूकंप के हाई सेंसिटिव जोन में बिहार: बिहार राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (Bihar State Disaster Management Authority) के उपाध्यक्ष डॉ. उदय कांत मिश्रा ने कहा कि समाज को आगे ले जाने के लिए सांस्कृतिक धरोहरों के संरक्षण की बहुत आवश्यकता होती है. नेपाल में 2015 में आए भूकंप से वहां के 50% से अधिक धरोहर नष्ट हो गयी थी. बिहार भी भूकंप के हाई सेंसिटिव जोन में आता है. बिहार में लगभग 400 धरोहरों में 78% धर्म से जुड़ी हुई हैं. इसका संरक्षण बहुत जरूरी है. बिहार देश के तीन प्रमुख राज्यों में शामिल है. जहां सबसे अधिक सांस्कृतिक धरोहर हैं. ऐसे में विभिन्न प्राकृतिक आपदाओं के समय धरोहरों का किस प्रकार संरक्षण किया जाए. इसका प्रशिक्षण अगले 5 दिनों तक प्रतिभागियों को दिया जाएगा.

नेशनल हेरिटेज में गया और राजगीर: उन्होंने बताया कि नेशनल हेरिटेज के लिस्ट में गया और राजगीर के इलाके आते हैं, लेकिन वैशाली और कई अन्य जगहों पर हेरिटेज साइट है. जिसे स्टेट लेवल पर वह हेरिटेज में शामिल करने का प्रयास कर रहे हैं. हर साल आने वाली बाढ़ की वजह से हेरिटेज को काफी नुकसान होता है. ऐसे में इसका किस प्रकार संरक्षण किया जा सकता है. इसे ट्रेनिंग में बताया जाएगा. उन्होंने कहा कि भवन निर्माण के पांच मानस होते हैं और इन पांच मानस को अपनाकर अपने धरोहरों को बचा सकते हैं.

आपदा में हजारों वर्षों के धरोहर खत्म: डॉ. उदय कांत मिश्रा ने कहा कि विक्रमशिला विश्वविद्यालय की बनावट क्लाइमेट के साथ किए गए भवन के कुशल निर्माण का एक अद्भुत नमूना है. जहां गंगा की ओर से गेट खुलने पर ठंडा और बंद करने से गर्मी का एहसास होता है. धरोहरों के बनने में वर्षों का समय लग जाता है और एक प्राकृतिक आपदा में हजारों वर्षों के धरोहर खत्म हो जाती हैं. ऐसे में जरूरी है कि विभिन्न प्राकृतिक आपदाओं के समय अपने धरोहर को कैसे बचा कर रखा जाए ताकि भविष्य की पीढ़ी अपने अतीत से रूबरू हो सके.

बिहार में सांस्कृतिक सामग्रियों का भंडार: बिहार म्यूजियम के डायरेक्टर अंजनी कुमार सिंह ने कहा कि बिहार में बड़े पैमाने पर सांस्कृतिक सामग्रियों का भंडार है. इसके लिए लोगों को जागरूक करना एक चुनौती है. आने वाले दिनों में सांस्कृतिक धरोहर के संरक्षण के लिए एक कोर्स शुरू किए जाने पर विचार किया जा रहा है. इस कोर्स करने वालों को रोजगार भी दिया जाएगा. इस पांच दिवसीय ट्रेनिंग सेशन में प्रतिभागियों को यह बताया जाएगा कि जो हेरिटेज खुदाई वाले जगह हैं, उनका किस प्रकार संरक्षण किया जा सकता है. इसके साथ ही वहां से निकले हेरिटेज वस्तुओं को कैसे सुरक्षित स्टोर किया जा सकता है ताकि वह विभिन्न प्रकार की आपदाओं और विषम परिस्थितियों के बावजूद सुरक्षित रहे.

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पटना: राजधानी पटना में विश्व धरोहर दिवस (World Heritage Day) के मौके पर आपदा के समय धरोहर को बचाये जाने की 5 दिवसीय ट्रेनिंग की शुरुआत सोमवार को हुई. जो राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डिजास्टर मैनेजमेंट के द्वारा संयुक्त रूप से की गयी. जिसका विषय प्रिजर्वेशन एंड कंजर्वेशन ऑफ कल्चरल हेरिटेज साइट्स फ्रॉम डिजास्टर (Preservation and Conservation of Cultural Heritage) था. ये ट्रेनिंग कार्यक्रम सोमवार से शुरू होकर 22 अप्रैल तक चलेगा.

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भूकंप के हाई सेंसिटिव जोन में बिहार: बिहार राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (Bihar State Disaster Management Authority) के उपाध्यक्ष डॉ. उदय कांत मिश्रा ने कहा कि समाज को आगे ले जाने के लिए सांस्कृतिक धरोहरों के संरक्षण की बहुत आवश्यकता होती है. नेपाल में 2015 में आए भूकंप से वहां के 50% से अधिक धरोहर नष्ट हो गयी थी. बिहार भी भूकंप के हाई सेंसिटिव जोन में आता है. बिहार में लगभग 400 धरोहरों में 78% धर्म से जुड़ी हुई हैं. इसका संरक्षण बहुत जरूरी है. बिहार देश के तीन प्रमुख राज्यों में शामिल है. जहां सबसे अधिक सांस्कृतिक धरोहर हैं. ऐसे में विभिन्न प्राकृतिक आपदाओं के समय धरोहरों का किस प्रकार संरक्षण किया जाए. इसका प्रशिक्षण अगले 5 दिनों तक प्रतिभागियों को दिया जाएगा.

नेशनल हेरिटेज में गया और राजगीर: उन्होंने बताया कि नेशनल हेरिटेज के लिस्ट में गया और राजगीर के इलाके आते हैं, लेकिन वैशाली और कई अन्य जगहों पर हेरिटेज साइट है. जिसे स्टेट लेवल पर वह हेरिटेज में शामिल करने का प्रयास कर रहे हैं. हर साल आने वाली बाढ़ की वजह से हेरिटेज को काफी नुकसान होता है. ऐसे में इसका किस प्रकार संरक्षण किया जा सकता है. इसे ट्रेनिंग में बताया जाएगा. उन्होंने कहा कि भवन निर्माण के पांच मानस होते हैं और इन पांच मानस को अपनाकर अपने धरोहरों को बचा सकते हैं.

आपदा में हजारों वर्षों के धरोहर खत्म: डॉ. उदय कांत मिश्रा ने कहा कि विक्रमशिला विश्वविद्यालय की बनावट क्लाइमेट के साथ किए गए भवन के कुशल निर्माण का एक अद्भुत नमूना है. जहां गंगा की ओर से गेट खुलने पर ठंडा और बंद करने से गर्मी का एहसास होता है. धरोहरों के बनने में वर्षों का समय लग जाता है और एक प्राकृतिक आपदा में हजारों वर्षों के धरोहर खत्म हो जाती हैं. ऐसे में जरूरी है कि विभिन्न प्राकृतिक आपदाओं के समय अपने धरोहर को कैसे बचा कर रखा जाए ताकि भविष्य की पीढ़ी अपने अतीत से रूबरू हो सके.

बिहार में सांस्कृतिक सामग्रियों का भंडार: बिहार म्यूजियम के डायरेक्टर अंजनी कुमार सिंह ने कहा कि बिहार में बड़े पैमाने पर सांस्कृतिक सामग्रियों का भंडार है. इसके लिए लोगों को जागरूक करना एक चुनौती है. आने वाले दिनों में सांस्कृतिक धरोहर के संरक्षण के लिए एक कोर्स शुरू किए जाने पर विचार किया जा रहा है. इस कोर्स करने वालों को रोजगार भी दिया जाएगा. इस पांच दिवसीय ट्रेनिंग सेशन में प्रतिभागियों को यह बताया जाएगा कि जो हेरिटेज खुदाई वाले जगह हैं, उनका किस प्रकार संरक्षण किया जा सकता है. इसके साथ ही वहां से निकले हेरिटेज वस्तुओं को कैसे सुरक्षित स्टोर किया जा सकता है ताकि वह विभिन्न प्रकार की आपदाओं और विषम परिस्थितियों के बावजूद सुरक्षित रहे.

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