पटना: बिहार के शिक्षा विभाग (Bihar Education Department) के लिए, सूबे में काम कर रहे शिक्षकों (Teachers) के लिए और इसके साथ-साथ नए शिक्षक बनने वाले अभ्यर्थियों के लिए भी मंगलवार का दिन महत्वपूर्ण है. 20 जुलाई तक ही शिक्षा विभाग (Education Department) ने निगरानी जांच से संबंधित संदिग्ध शिक्षकों को अपने सर्टिफिकेट अपलोड करने का मौका दिया है.
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आज जो शिक्षक सर्टिफिकेट अपलोड करने में फेल हो जाएंगे, उनकी नौकरी जानी तय है. वहीं अब तक काउंसलिंग में शामिल हुए शिक्षक अभ्यर्थियों की पूरी लिस्ट हर जिले की एनआईसी की वेबसाइट पर आज तक नियोजन इकाइयों को प्रकाशित करनी है. बिहार के करीब 91,000 हजार नियोजित शिक्षक जिनकी फाइल निगरानी को जांच के दौरान नहीं मिली, उन्हें 21 जून से 20 जुलाई तक अपनी सर्टिफिकेट शिक्षा विभाग के द्वारा उपलब्ध कराई गई वेबसाइट पर अपलोड करना है.
ऐसे शिक्षकों को 20 जुलाई के बाद यह मान लिया जाएगा कि उनके पास कहने के लिए कुछ नहीं है और तब उनकी नौकरी जानी तय है. उनके खिलाफ एफआईआर (FIR) हो सकती है और उनसे वेतन की वसूली भी हो सकती है. इस बात की पुष्टि खुद शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव संजय कुमार ने की है.
'अब तक उन्हें पर्याप्त मौका दिया जा चुका है. अब कोई और मौका देने की कोई संभावना नहीं है.': संजय कुमार, प्रमुख सचिव, शिक्षा विभाग
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इधर, शिक्षा विभाग ने 5 जुलाई से 12 जुलाई तक जिन नियोजन इकाइयों में शिक्षक नियोजन के लिए काउंसलिंग हुई है. उन सभी को 20 जुलाई तक मेधा सूची और काउंसलिंग में सफल अभ्यर्थियों की पूरी सूची एनआईसी की वेबसाइट पर उपलब्ध कराने का आदेश दिया था.
अब तक कुछ को छोड़कर किसी भी नियोजन इकाई ने मेधा सूची एनआईसी की वेबसाइट पर प्रकाशित नहीं की है. अगर नियोजन इकाई सफल अभ्यर्थियों की लिस्ट एनआईसी की वेबसाइट पर जारी नहीं करती है तो वह नियोजन इकाई सीधे-सीधे संदेह के घेरे में होगी.
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एक तरफ जहां शिक्षा विभाग की कड़ाई की वजह से कई जगहों पर बेहतर तरीके से इस बार काउंसलिंग हुई है. दूसरी तरफ पंचायत नियोजन इकाइयों में जमकर धांधली हुई है. इसकी वजह से 473 पंचायत नियोजन इकाइयों में काउंसलिंग रद्द करनी पड़ी. जबकि कई पर कार्रवाई की तलवार लटक रही है.
पंचायत नियोजन इकाइयों ने मेधा सूची में जबरदस्त हेराफेरी की है. कम अंक वालों को काउंसलिंग में शामिल किया, जबकि ज्यादा अंक वाले बैठे रह गए और वहीं नियोजन इकाइयों ने एनआईसी की वेबसाइट पर मेधा सूची अपलोड करने में कोताही बरत रही है. अब देखना होगा कि शिक्षा विभाग ऐसी नियोजन इकाइयों पर क्या कार्रवाई करता है.
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आपको बताते चलें कि शिक्षा विभाग के निर्देश में स्पष्ट किया गया था कि जो शिक्षक 20 जुलाई तक अपने सर्टिफिकेट शिक्षा विभाग के पोर्टल पर अपलोड नहीं करेंगे, उन्हें फर्जी मानते हुए उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. शिक्षा विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक अब तक करीब 11000 शिक्षकों ने ही अपने सर्टिफिकेट पोर्टल पर अपलोड किए हैं जबकि कुल 90000 शिक्षकों को अपने सर्टिफिकेट अपलोड करने हैं.
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